वाराणसी में मानव तस्करी में सात अभियुक्त दोषी करार, नौ आरोपित दोषमुक्त किए गए
वाराणसी की अदालत ने मानव तस्करी मामले में सात लोगों को दोषी पाया, जबकि नौ को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। दोषियों पर पीड़ितों को धोखा देकर या जबरन एक जगह से दूसरी जगह ले जाकर उनका शोषण करने का आरोप था। मानव तस्करी एक गंभीर अपराध है, जिसके खिलाफ वैश्विक स्तर पर कार्रवाई की जा रही है।

फास्ट ट्रैक कोर्ट (प्रथम) कुलदीप सिंह की अदालत ने सात अभियुक्तों को दोषी पाया है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। भेलूपुर थाना में मानव तस्करी के दर्ज आपराधिक मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट (प्रथम) कुलदीप सिंह की अदालत ने सात अभियुक्तों संतोष गुप्ता (मंडुवाडीह), मनीष जैन (जयपुर), महेश राणा (कोडरमा), मुकेश पंडित (हजारीबाग), महेश राणा (गिरिडीह), शिखा (शिवदासपुर) और सुनीता देवी (गिरिडीह) को दोषी करार दिया है।
जबकि नौ आरोपितों अनुराधा देवी (हजारीबाग), जगबीर बरनवाल (कोडरमा), संगीता देवी (कोडरमा झारखंड), संतोष साव (कोडरमा), गुड़िया देवी (कोडरमा), यशोदा पंडित (हजारीबाग), शिवम गुप्ता उर्फ प्रवीण मोदनवाल (मंडुवाडीह), संजय गुप्ता उर्फ संजय मोदनवाल (मंडुवाडीह) व मदन मोदी उर्फ मदन बरनवाल (हजारीबाग) को दोषमुक्त कर दिया है।
सामने घाट, लंका निवासी संजय की तहरीर पर भेलूपुर पुलिस ने 16 मई 2023 को मुकदमा दर्ज की थी। संजय अपनी पत्नी और चार साल के बेटे के साथ रविन्द्र पुरी कॉलोनी के पास सोया हुआ था। सुबह जब उठा तो उसका बच्चा गायब था। दौरान विवेचना सीसीटीवी फुटेज में शिवदासपुर, मंडुवाडीह निवासी संतोष गुप्ता को बच्चे को ले जाते देखा गया।
पुलिस ने 21 मई को नवाबगंज, भेलूपुर स्थित कूड़ेखाने के पास से संतोष गुप्ता को गिरफ्तार किया और उसके घर से अपहृत बच्चे का बनियान बरामद की। दौरान विवेचना पुलिस ने 23 मई को मंडुवाडीह (बनारस) रेलवे स्टेशन के सामने स्टैंड में बरामद किया गया। इस मामले में पुलिस ने अन्य आरोपितों की संलिप्तता के आधार पर अदालत में आरोपपत्र दाखिल की थी।

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