वाराणसी के ग्रामीण क्षेत्र में शालिग्राम और तुलसी विवाह धूमधाम से सम्पन्न
वाराणसी के ग्रामीण क्षेत्र में शालिग्राम और तुलसी का विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ। गांव में उत्सव का माहौल था, घरों को सजाया गया और विशेष पकवान बनाए गए। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शालिग्राम और तुलसी को परिणय सूत्र में बांधा गया। हिंदू धर्म में इस विवाह का बहुत महत्व है, जिससे सुख, शांति और समृद्धि आती है।

विधि-विधान के साथ तुलसी विवाह का आयोजन धूमधाम से किया।
जागरण संवाददाता (हरहुआ) वाराणसी। हरहुआ-रामेश्वर ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों ने विधि-विधान के साथ तुलसी विवाह का आयोजन धूमधाम से किया।
घर-घर में तुलसी चौरे की सफाई कर उसे झालर, गुब्बारे, लाइटिंग और दीपक से सजाया गया। शाम होते ही चौरे पर घी का दिया जलाकर माँ तुलसी की चुनरी ओढ़ाकर पूजन किया गया। महिलाओं ने विविध प्रकार के नैवेद्य, फल, फूल, पकवानों, गन्ना सहित अन्य सामग्री रखकर भोग लगाया और भगवान विष्णु को नए गन्ने का रसपान कराकर मंगल गीत गाए।
रामेश्वर मंदिर के पीठाधीश्वर पं. अनूप तिवारी ने धार्मिक मान्यता की जानकारी देते हुए कहा कि तुलसी विवाह तीनों लोकों में देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु के मिलन का प्रतीक है।
यह विवाह भक्त और भगवान के बीच प्रेम और समर्पण का महत्व दर्शाता है। माता तुलसी भगवान की परम भक्त थीं। देवी तुलसी की पूजा करने से दांपत्य जीवन में सुख-शांति, समृद्धि, सभी बाधाओं का अंत होता है और अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
इस बार एकादशी को भद्रा होने के कारण रविवार को उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में शुभ मुहूर्त में तुलसी विवाह किया गया। हरहुआ क्षेत्र के आयर, औरा, मुर्दहा, सुलेमापुर, गुरवट, बेनीपुर, हरहुआ, भटौली, चक्का, करोमा, औसानपुर, बेरवा, अनौरा, मोहनपुर, कोइराजपुर, पुआरी कला, काजीसराय और रामेश्वर क्षेत्र के अन्य गांवों की महिलाओं ने भजन-कीर्तन के साथ विधि-विधान से तुलसी विवाह सम्पन्न किया।
इसके बाद महिलाओं ने पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की। दो मंडपों में महिलाओं ने तुलसी माता और शालिग्राम का विवाह सम्पन्न कराया। विवाह के दौरान युवाओं ने जमकर आतिशबाजी की। मंजरी, नैन्सी, जानसी, माही, निक्की, तन्नू, मान्या, पूजा देवी, प्रियका तिवारी, प्रियंका पटेल, अन्नू सहित अन्य लड़कियों ने पूरे उत्साह के साथ नृत्य करते हुए खुशियां मनाई।

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