सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट ने 12 विद्यालयों में लगवाई 50 महान विभूतियों की तस्वीरे
इस पहल से बच्चों में आजादी के महानायकों और उस समय के समाज सुधारकों के प्रति रुचि बढ़ेगी। चित्रों पर नाम, जन्मतिथि और पुण्यतिथि अंकित की गई है, जिससे अध्यापक कक्षा में बच्चों को इन महापुरुषों के बारे में जानकारी दे सकेंगे। विद्यालयों के शिक्षकों ने संस्था के प्रयासों की सराहना की है।

विद्यालयों के शिक्षकों ने संस्था के प्रयासों की सराहना की है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। आजादी के महानायकों और समाज सुधारकों से बच्चों को अवगत कराने के उद्देश्य से सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट ने "हमारे आदर्श" श्रृंखला के अंतर्गत चौबेपुर क्षेत्र के 9 विद्यालयों और नगरीय क्षेत्र के 3 विद्यालयों में 50 महान विभूतियों के चित्रों के पोस्टर लगाए हैं।
इनमें प्राथमिक विद्यालय दुर्गवा, कुर्सियां, भगवानपुर, टेकुरी, सरैया, दुबान बस्ती, सुभाष इंटर कॉलेज चौबेपुर, लक्ष्मी शंकर इंटर कॉलेज राजवारी, पश्चिम वाहिनी कन्या इंटर कॉलेज सोनबरसा, केन्द्रीय विद्यालय बी एच यू, भारतीय निकेतन विद्यालय ईश्वरगंगी आदि शामिल हैं।
इस कार्यक्रम के बारे में संस्था के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने बताया कि इस पहल से बच्चों में आजादी के महानायकों और उस समय के समाज सुधारकों के प्रति रुचि बढ़ेगी। चित्रों पर नाम, जन्मतिथि और पुण्यतिथि अंकित की गई है, जिससे अध्यापक कक्षा में बच्चों को इन महापुरुषों के बारे में जानकारी दे सकेंगे। विद्यालयों के शिक्षकों ने संस्था के प्रयासों की सराहना की है।
इस कार्य में प्रदीप सिंह, अमर बहादुर यादव, धनञ्जय त्रिपाठी, रवि सिंह, दीपक यादव, संजय सिंह, डॉ इंदु पाण्डेय सहित सभी विद्यालय के शिक्षकों ने सहयोग प्रदान किया। आशा ट्रस्ट की यह पहल न केवल बच्चों को आजादी के नायकों से परिचित कराती है, बल्कि उन्हें प्रेरणा भी देती है। यह चित्र न केवल विद्यालयों की दीवारों पर सजते हैं, बल्कि बच्चों के मन में अपने देश के प्रति गर्व और सम्मान की भावना भी जगाते हैं।
इस प्रकार के कार्यक्रमों से बच्चों में इतिहास के प्रति जागरूकता बढ़ती है और वे अपने पूर्वजों के संघर्षों को समझते हैं। आशा ट्रस्ट का यह प्रयास निश्चित रूप से बच्चों के लिए एक सकारात्मक बदलाव लाएगा और उन्हें अपने देश के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा देगा।
इस पहल के माध्यम से आशा ट्रस्ट ने शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जो आने वाले समय में बच्चों के विकास में सहायक सिद्ध होगा। इस प्रकार की गतिविधियाँ न केवल शिक्षा को समृद्ध बनाती हैं, बल्कि बच्चों को अपने इतिहास से जोड़ने का कार्य भी करती हैं।
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