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    हवाई सेवा का विकल्प बनेगी वंदे भारत, PM Modi पर्यटन के सीजन में दे रहे हैं सौगात

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Fri, 07 Nov 2025 12:10 PM (IST)

    बनारस-खजुराहो वंदे भारत एक्सप्रेस से रेलवे की आय बढ़ने के साथ पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। विदेशी पर्यटक सीमित हवाई सेवा के कारण वाराणसी आने से कतराते थे, पर अब वे आसानी से यात्रा कर सकेंगे। विंध्याचल और चित्रकूट धाम भी पर्यटन सर्किट से जुड़ेंगे। रेलवे की आय में वृद्धि होगी और पर्यटन उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा।

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    वाराणसी और खजुराहो के पर्यटन उद्योग के उड़ान भरने का पंख भी यह वंदेभारत बनेगी। 

    राकेश श्रीवास्तव, जागरण, वाराणसी। बनारस-खजुराहो वंदेभारत एक्सप्रेस रेलवे की आर्थिकी को मजबूत करने संग वाराणसी और खजुराहो के पर्यटन उद्योग के उड़ान भरने का पंख भी बनेगी। इसलिए कि विदेशी पर्यटक खजुराहो तक पहुंचने के बाद सीमित अवधि के हवाई परिवहन नेटवर्क के कारण वाराणसी के बजाए जयपुर का रुख कर लेते थे।

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    खजुराहो-वाराणसी-खजुराहो का रेल परिवहन भी कमजोर था। नई व्यवस्था में वंदे भारत विदेशी पर्यटकों को लुभाएगी और देशी-विदेशी पर्यटक खजुराहो और वाराणसी का टूर प्लान बनाने से नहीं हिचकेंगे। रेलवे की इस तरह मजबूत होगी आर्थिकी: वाराणसी-खजुराहो-वाराणसी वंदे भारत एक्सप्रेस (26422/26421) का कामर्शियल ठहराव विंध्याचल, चित्रकूट धाम में है। इस तरह पर्यटन सर्किट में दोनों धार्मिक स्थल भी जुड़ जाएंगे।

    रेल के किराए के लिहाज से देखेंगे तो वाराणसी से खजुराहो का जितना किराया होगा, उस मुताबिक विंध्याचल और चित्रकूट का किराया कुछ फीसद ही कम होगा। इसे वाराणसी-लखनऊ वाया अयोध्या जाने वाली ट्रेनों के यात्री किराए से समझें। एसी टू का किराया जितना वाराणसी से अयोध्या का पड़ता है, उससे कुछ ही कम अयोध्या से लखनऊ का है। एक व्यक्ति वाराणसी से लखनऊ 1470 रुपये में जा रहा तो अयोध्या दर्शन के बाद फिर से लखनऊ जाने के लिए उसे 1400 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। ठीक इसी तरह पर्यटकों को सुविधाएं देकर वंदे भारत रेलवे की आर्थिकी मजबूत करेगी।

    वर्तमान में दो स्पेशल ट्रेनें चलती हैं खजुराहो के लिए

    वाराणसी रेल परिवहन में जितना सशक्त है, उतना ही खजुराहो रेल सेवा कमजोर है। 01026 और 01028 स्पेशल ट्रेनें वाराणसी से खजुराहो के लिए चलती हैं। स्पेशल ट्रेनें होने के कारण इनका किराया ज्यादा होने के साथ साढ़े 10 घंटे लेती हैं। 

     

    दिल्ली, आगरा, जयपुर, वाराणसी, खजुराहो, चित्रकूट का पर्यटन सर्किट होगा मजबूत l ट्रैवेल एजेंट पूरे साल बुक कर सकेंगे सेवाएं, मजबूत होगी रेलवे आर्थिकी। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष भर में तीन लाख से ज्यादा विदेशी पर्यटक काशी आते हैं। ज्यादातर टूर प्लान बनाकर चलते हैं। चूंकि हवाई सफर फिक्स नहीं था, इसलिए टूर प्लान हमलोग फिक्स नहीं कर पाते थे। वंदे भारत एक्सप्रेस के लिए हम पूरे वर्ष टूर प्लान उपलब्ध कराएंगे। देश पर्यटकों की संख्या भी पूरे वर्ष में छह करोड़ तक जा पहुंचती है। -राहुल मेहता, अध्यक्ष, टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन, वाराणसी। 

     

    काशी और खजुराहो दोनों प्राचीन धार्मिक व सांस्कृतिक नगरी हैं। विदेशी पर्यटक दिल्ली आने के साथ आगरा में ताज महल देखने के बाद खजुराहो जाना ज्यादा पसंद करते हैं। परिवहन व्यवस्था सही नहीं होने से पर्यटक खजुराहो जाने से कतराते हैं। उनके शेड्यूल में होने के बाद भी कैंसिल कर देते हैं। खजुराहो तक वंदे भारत ट्रेन चलने से पर्यटकों का आवागमन अधिक होने के साथ उद्योग भी बढ़ेगा। -दिनेश कुमार, संयुक्त निदेशक पर्यटन।

     

    खजुराहो में पर्यटन का डोमेस्टिक उद्योग मजबूत होगा। इसलिए कि वाराणसी से सीधा खजुराहो पहुंचकर लोग पन्ना टाइगर रिजर्व, पन्ना टाइगर सफारी, पन्ना राष्ट्रीय उद्यान का आनंद ले पाएंगे। वर्ष 2024 में खजुराहो में 5 लाख देशी पर्यटक आए थे जिनमें विदेशी पर्यटकों की संख्या 40 हजार रही। अनुमान है कि वंदे भारत से विदेशी पर्यटकों की संख्या एक लाख तक पहुंच जाएगी। -निशांक जैन, पर्यटन गाइड, खजुराहो। 

     

    विदेशी पर्यटक दिल्ली पहुंचने के साथ जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, आगरा, ओरछा, खजुराहो होते हुए बनारस पहुंचते हैं। दिल्ली के ट्रैवेल्स एजेंट पर्यटक को आगरा छोड़ देते हैं। वहां से खजुराहो जाने पर पर्यटक का खर्च बढ़ जाता है। सड़क मार्ग से खजुराहो से बनारस का सफर 12 घंटे का है। इतनी लंबी दूरी कोई पर्यटक तय नहीं करना चाहता है। -संतोष सिंह, पूर्व अध्यक्ष, वाराणसी गिल्ट एसोसिएशन।