वाराणसी में गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु पार करने के बाद निचले इलाकों में फैलने लगा पानी
वाराणसी में गंगा का जलस्तर लगातार चौथे दिन बढ़ गया है जो खतरे के निशान के करीब है। पिछले 24 घंटों में जलस्तर में दो मीटर से अधिक की वृद्धि हुई है जिससे घाटों और निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। वरुणा नदी भी उफान पर है जिससे तटवर्ती इलाकों में खतरा बढ़ गया है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। गंगा का जलस्तर लगातार चौथे दिन बढ़ा। तीन सेंटीमीटर प्रति घंटा की दर से पानी बढ़ रहा है। चेतावनी स्तर 70.262 मीटर है जबकि खतरा स्तर 71.262 मीटर। गुरुवार को दोपहर में 70.95 मीटर जलस्तर रिकार्ड करने के बाद लगभग जलस्तर स्थिर होता नजर आया। हालांकि आंकड़ों में 0.5 सेमी प्रतिघंटे जलस्तर बढ़ रहा है। हालांकि नए इलाकों में पानी फैलने से बढ़ाव में कुछ कमी आई है।
गंगा खतरा बिंदु से थोड़ा ही नीचे बह रहीं हैं। स्थिर भले ही जलस्तर हुआ हो लेकिन हाल यही बना रहा तो जलस्तर खतरा बिंदु को भी क्रास कर जाएगा। उच्च जल स्तर 73.901 मीटर है। बाढ़ के हालात फिर से गंभीर होते जा रहे हैं। पिछले 24 घंटों में गंगा का जलस्तर दो मीटर से अधिक बढ़ चुका है। तेजी से बढ़ोतरी ने घाटों और निचले इलाकों की स्थिति बिगाड़ दी है। गंगा के उफान से घाटों पर बने मंच और चौकियां डूब चुकी हैं।
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अस्सी घाट स्थित सुबह-ए-बनारस का मंच जलमग्न है जबकि मणिकर्णिका घाट की गलियों में बाढ़ का पानी घुस गया है। दशाश्वमेध घाट की जल पुलिस चौकी पानी में समा गई है, वहीं शीतला मंदिर के गर्भगृह में भी बाढ़ का पानी भर गया। अस्सी से राजघाट तक हजारों मंदिर जलमग्न हो चुके हैं।
यह पहली बार है जब एक ही मानसून के सत्र के दौरान दूसरी बार बाढ़ का संकट वाराणसी में आया है। यह हालात दस हजार से अधिक की आबादी को फिलहाल प्रभावित कर रहा है। बाढ़ से प्रभावित इलाकों में पलायन भी शुरू हो चुका है।
फिलहाल वाराणसी में हनुमान घाट, कर्नाटक स्टेट घाट, हरिश्चंद्र घाट व केदार घाट सहित लगभग सभी घाटों का संपर्क टूटा हुआ है और संचालन में रोक के कारण नावें किनारे बंधी हैं।
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गंगा के साथ ही सहायक नदी वरुणा भी उफान पर हैं। पिछले 24 घंटों में वरुणा का जलस्तर पांच मीटर से ज्यादा बढ़ गया है। इसका असर वरुणा तटवर्ती इलाकों में देखने को मिल रहा है। बुधवार की सुबह ही वरुणा कारिडोर का पाथवे डूब चुका है। नक्खी घाट, दीनदयालपुर, पुरानापुल, शक्कर तालाब, उंचवां और हिदायत नगर समेत आसपास के मोहल्लों की करीब दस हजार आबादी पर बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। स्थानीय लोग दोबारा बाढ़ से परेशान हैं। बाढ़ से घर लौटे हुए उन्हें कुछ ही दिन हुए थे, मकान की सफाई भी पूरी नहीं हो पाई थी कि वरुणा का पानी फिर से बढ़ने लगा।
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यमुना का पानी व बादल फटना बना बाढ़ का कारण
मध्य प्रदेश और राजस्थान में भारी वर्षा की वजह से यमुना नदी उफान पर हैं। बादल फटने की घटनाओं से गंगा में पानी बढ़ा है। गंगा और यमुना का पानी प्रयागराज में मिलकर भदोही, मीरजापुर, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया आदि जिलों में तबाही मचाने को आतुर है।
गंगा आरती का स्थल फिर बदला
गंगा के लगातार बढ़ते जलस्तर का असर बुधवार को असि घाट पर प्रतिदिन होने वाली दो गंगा आरतियों पर पड़ा। गंगा सेवा समिति के तत्वावधान में असि स्थित वाहन स्टैंड से गंगा आरती हुई तो मां जाह्नवी सेवा समिति की आरती पंच देव मंदिर के सामने कराई गई। घाट स्थित फूड स्ट्रीट पानी से लबालब भर गया है। सुबह-ए-बनारस मंच के छत को पानी स्पर्श कर रहा। होटल रूफ टाप तक पानी भरा है।
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