वाराणसी में पुलिस की धौंस के बल पर छठ पूजा के लिए छेका गंगा घाट
वाराणसी में छठ पूजा के लिए गंगा घाटों को पुलिस द्वारा कथित तौर पर जबरन आरक्षित करने से विवाद उत्पन्न हो गया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस ने कुछ लोगों के लिए घाटों को 'चेक' कर दिया है, जिससे उनमें आक्रोश है। इस मामले पर अभी तक अधिकारियों की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

बनारस में हर साल वर्दी की धौंस के साथ घाट छेकने की घटनाएं सामने आती हैं।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। छठ पूजा के अवसर पर जलस्रोतों के किनारे छेकने की परंपरा पूर्वांचल में प्रचलित है। हालांकि, बनारस में हर साल वर्दी की धौंस के साथ घाट छेकने की घटनाएं सामने आती हैं।
पिछले वर्षों में वरुणा तट पर दारोगा जी के नाम से घाट छेकने की खबरें आती थीं। इस बार गंगा तट स्थित सामने घाट पर गुरुवार को शुभम, पंकज, प्रकाश, बब्लू और पप्पू नाम के साथ पुलिस की धौंस भी देखने को मिली।
सामने घाट पर छठ पूजन के लिए बेदी बनाने के स्थान पर पुलिस लिखकर दबाव बनाने का प्रयास किया गया है। घाट पर लाल रंग के पेंट से पुलिस लिखकर घाट छेकने की तस्वीर देखकर लोग उस स्थान को छोड़कर आगे बढ़ रहे हैं। यह दृश्य न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि श्रद्धालुओं के लिए भी चिंता का विषय बन गया है।
छठ पूजा एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें श्रद्धालु सूर्य देवता और छठी माई की पूजा करते हैं। इस अवसर पर लोग जलस्रोतों के किनारे इकट्ठा होते हैं और अपनी श्रद्धा के अनुसार पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन जब पुलिस की धौंस के चलते घाट छेकने की घटनाएं होती हैं, तो यह पर्व की पवित्रता को प्रभावित करता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस का इस तरह का व्यवहार न केवल अनुचित है, बल्कि यह श्रद्धालुओं की भावनाओं के साथ भी खिलवाड़ है। घाटों पर पूजा करने के लिए स्थान की आवश्यकता होती है, और जब पुलिस इस स्थान को छेकती है, तो श्रद्धालुओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
इस बार सामने घाट पर पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई ने लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है। श्रद्धालुओं का कहना है कि उन्हें अपने पूजा स्थल के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, जबकि यह उनका अधिकार है कि वे अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन कर सकें।
इस प्रकार की घटनाएं हर साल छठ पूजा के दौरान देखने को मिलती हैं, और यह आवश्यक है कि प्रशासन इस पर ध्यान दे। श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करना और उन्हें पूजा करने के लिए उचित स्थान प्रदान करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।
आशा है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होंगी और श्रद्धालु बिना किसी बाधा के अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन कर सकेंगे। छठ पूजा का पर्व सभी के लिए एकता और श्रद्धा का प्रतीक है, और इसे इस तरह की धौंस से प्रभावित नहीं होना चाहिए। बनारस में छठ पूजा के दौरान घाट छेकने की घटनाएं एक बार फिर चर्चा का विषय बनी हैं, और यह आवश्यक है कि प्रशासन इस पर गंभीरता से विचार करे।
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