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    काशी में जन्‍मा दशानन, माह भर तक त्रेतायुगीन कथाओं से जीवंत होगा यूनेस्को के धरोहर में शाम‍िल "रामनगर की रामलीला"

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 06:43 PM (IST)

    वाराणसी के रामनगर में यूनेस्को की धरोहर रामलीला की शुरुआत शनिवार को हुई। काशीराज परिवार ने किले से बग्घी में निकलकर रामलीला का आरम्भ किया। कलाकारों ने मंच पर संवादों के माध्यम से त्रेता युग को जीवंत किया। अनंत चतुर्दशी पर रावण जन्म के साथ ही क्षीर सागर की झांकी सजी और रामलीला शुरू हुई।

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    पूरा काशी हर हर महादेव और जय श्री राम के नारों से गूंज उठा।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी (रामनगर)। धर्म और आध्‍यात्‍म की नगरी काशी में यूनेस्‍को के हेर‍िटेज यानी धरोहर में शाम‍िल व‍िश्‍व प्रस‍िद्ध रामनगर की रामलीला की शुरुआत शन‍िवार को हो गई। परंपरागत तारीके से काशि‍राज पर‍िवार की ओर से अपनी बग्‍घी पर क‍िले के भीतर से न‍िकलकर शुरू की गई। 

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    रामनगर की रामलीला में बग्घी से जाते काशि‍राज परिवार के अनन्त नारायण सिंह को देखकर जनता भी परंपराओं में पगी भाव व‍िभोर नजर आई और उनको प्रणाम कर परंपराओं में शाम‍िल होने न‍िकल पड़ी। परंपराओं की अगली कड़ी में लीला स्थल पर काशि‍राज परिवार के अनन्त नारायण सिंह को गार्ड आफ आनर 36 वीं वाहिनी पीएसी के जवान ने दी तो आयोजन को गत‍ि म‍िली।

    मंच पर सधे कलाकारों ने कंधे पर सवार होकर पहुंचने के बाद अपने संवादों को दोहराया और मंच एक बार फ‍िर से त्रेता कालीन घटनाओं को जीवंत करने के ल‍िए मानस की चौपाइयों से गुंजायमान हो गया। प्रथम द‍िन के आयाेजन से हजारों लीला प्रेम‍ियों की जुटान हुई तो नारों से आसमान भी गूंज उठा। प्रथम द‍िन के आयोजन में भीड़ भी रही और उत्‍साह भी लीला प्रे‍म‍ियों का दोपहर से नजर आने लगा। ज‍िधर नजर गई उधर लीला प्रेमी दोपहर बाद आयोजन स्‍थल की ओर खि‍ंंचे चले आए।   

    आयोजन की परंपराओं के क्रम में सबसे पहले रावपण जन्‍म की कथा के बाद रामनगर की रामलीला में यज्ञ करता रावण लोगों के आकर्षण का केंद्र बना। आग की धधकती लपटों के बीच लंकेश का यज्ञ करने का क्रम शुरू हुआ तो लीला प्रेमी भी आयोजन से आ जुटे।

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    भगवान श‍िव की नगरी काशी के उपनगर रामनगर में शनिवार को दोपहर के बाद आयोजनों ने गत‍ि पकड़ी तो धरती पर लगा मानो त्रेतायुग उतर आया हो। अनंत चतुर्दशी पर शन‍िवार की शाम होते ही सबसे पहले पूजनोपरांत रावण जन्म हुआ।

    इसके साथ ही क्षीर सागर की झांकी सजी और मास पर्यंत चलने वाली विश्वप्रसिद्ध रामलीला का श्रीगणेश हो गया। इसी के साथ काशी माह भर के ल‍िए हर हर महादेव के घोष के साथ ही जय श्री राम के नारों से भी गगनभेदी ध्‍वन‍ि के साथ गुंजायमान हो उठी। 

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