वाराणसी के ग्रामीण क्षेत्रों में 50% से अधिक वोटर "नो मैपिंग" में, लक्ष्य भला कैसे हो सकेगा पूरा?
वाराणसी के ग्रामीण क्षेत्रों में आधे से अधिक मतदाता अभी भी 'नो मैपिंग' में हैं, जिससे चुनाव संबंधी लक्ष्यों को प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है। सही ...और पढ़ें

कई पुश्तों से गांव को ठौर बनाने वाले आखिर 2003 की मतदाता सूची में अपनी उपस्थिति के बारे में फार्म में क्यों नहीं जिक्र कर सके।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। विधानसभा मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) जारी है। मतदाताओं की ओर से गणना प्रपत्र भरने के बाद डिजिटाइजेशन व मैपिंग तेजी से हो रही है। शहरी क्षेत्र में बड़ी संख्या में मतदाता नो मैपिंग (2003 की मतदाता सूची से प्रमाणित न होना) की सूची में हैं तो गांव से जुड़े विधानसभा क्षेत्र भी इससे अछूते नहीं हैं।
वाराणसी के पिंडरा, अजगरा व सेवापुरी में नो मैपिंग की सूची में 50 प्रतिशत से ज्यादा मतदाता अब तक आ चुके हैं। नो मैपिंग की सूची में इनका आना पूरी व्यवस्था पर ही सवाल उठा रहा है। कई पुश्तों से गांव को ठौर बनाने वाले आखिर 2003 की मतदाता सूची में अपनी उपस्थिति के बारे में फार्म में क्यों नहीं जिक्र कर सके। बीएलओ ने इनका सहयोग क्यों नहीं किया।
जल्दीबाजी में लोगों ने भरा आधा अधूरा फार्म : एसआइआर से जुड़े राजनीतिक दलों के बीएलए का कहना है कि गणना प्रपत्र जब चार दिसंबर तक भरने की अंतिम तिथि निर्धारित थी तो लोगों से नाम, आधार नंबर व मोबाइल नंबर आदि भरा कर फार्म ले लिया गया। वर्ष 2003 की मतदाता सूची से मिलान करने की चिंता नहीं की गई। बताया गया कि बाद में इसको ठीक कर लिया जाएगा। फिलहाल आयोग ने इसके लिए अब बीएलओ को पर्याप्त समय दे दिया है लेकिन इसको नो मैपिंग की सूची से बाहर करना बहुत आसान काम नहीं होगा।
बहुएं अपने ही आंगन में हुईं बेगानी : एसआइआर से जुड़े लोगों का कहना है कि गांव के विधानसभा क्षेत्रों में नो मैपिंग में अधिक वोटरों का होना चिंता का विषय है। इसके पीछे मुख्य यह भी वजह यह भी रही कि लोगों ने इस कार्य में दिलचस्पी नहीं ली। पुरुष मतदाता ने बीएलओ के सहयोग से अपना ब्योरा तो दिया। किंतु बहुओं के बारे में जानकारी नहीं दी।
सिर्फ पति का नाम भरकर फार्म बीएलओ के हवाले कर दिया। जबकि नियमत: उक्त महिला के पिता, माता से जुड़े वोटर लिस्ट के बारे में जानकारी देनी थी ताकि 2003 की मतदाता सूची से मिलान हो सके। इसकी वजह से वोटर की संख्या नो मैपिंग में ज्यादा है। यह समस्या आगे भी रहेगी। इस तरह के समस्त वोटरों को नोटिस के बाद इसकी जानकारी देनी आवश्यक होगी। वरना मतदाता सूची से नाम कटना तय है।
ग्रामीण क्षेत्रों में नो मैपिंग वोटरों की संख्या में शीर्ष पर अजगरा विस क्षेत्र : पिंडरा विधानसभा क्षेत्र में पिंडरा 54.11 प्रतिशत, अजगरा विधानसभा क्षेत्र में 67.9 व सेवापुरी विधानसभा क्षेत्र में 54.41 वोटर नो मैपिंग की श्रेणी में हैं।
शहरी विस क्षेत्रों में नो मैपिंग वोटरों की संख्या : कैंट विधानसभा क्षेत्र में 84.31 प्रतिशत, रोहनिया विधानसभा क्षेत्र में 82.84 प्रतिशत, उत्तरी विधानसभा क्षेत्र में 78.31 प्रतिशत, शिवपुर विस क्षेत्र में 71.79 प्रतिशत, दक्षिणी विस में 64.76 प्रतिशत वोटर नो मैपिंग श्रेणी में हैं।

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