Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    UP Weather Update: अगले सप्ताह से बदलेगा मौसम, बनारस समेत यूपी के इन जिलों में भारी वर्षा की संभावना

    Updated: Tue, 28 Oct 2025 07:27 PM (IST)

    वाराणसी में बारिश के बाद तापमान में गिरावट आई है, जिससे ठंड का अहसास होने लगा है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में और बारिश की संभावना जताई है। बारिश से वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है, लेकिन किसानों को फसलों को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी गई है। नमी बढ़ने से मच्छर और कीटों की सक्रियता भी बढ़ सकती है।

    Hero Image

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। मौसम ने करवट ली है। शहर में सोमवार को हुई हल्की बारिश के चलते तापमान में गिरावट हुई है। नवंबर के पहले सप्ताह में तापमान में काफी गिरावट हो सकती है। लोगों को सर्दी शुरू होने का अहसास हो सकता है। पिछले 24 घंटे में करीब साढ़े चार मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मंगलवार को सुबह से ही बादल छाए रहे और ठंडी हवा चली। दिनभर हल्की धूप के बीच बादलों की आवाजाही जारी रही। हालांकि, कुछ स्थानों पर बूंदाबादी हुई। अधिकतम तापमान 29.3 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया, जो सामान्य से 2.4 डिग्री कम रहा। न्यूनतम तापमान 20 डिग्री रहा, यह भी सामान्य से 2.2 डिग्री कम था।

    हालांकि, अधिकतम तापमान 29 से 30 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 22 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की उम्मीद है। सुबह और शाम के समय हल्की धुंध छाने की संभावना है। लगातार हो रही नमी और गिरते तापमान के कारण लोगों को हल्की ठंड का एहसास होने लगा है।

    भारत मौसम विज्ञान विभाग के विज्ञानी अतुल कुमार सिंह ने बताया कि 30 अक्टूबर को बनारस और मीरजापुर मंडल के जिलों में कहीं-कहीं भारी वर्षा होने की भी संभावना है। बंगाल की खाड़ी में सक्रिय चक्रवाती तूफान ''''मोंथा'''' सुबह और अधिक प्रबल होकर गंभीर चक्रवाती तूफान में बदल गया। ''''मोंथा'''' उत्तर से उत्तर पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ा और देर रात आंध्र प्रदेश तट को पार कर गया।

    तटीय इलाकों में 90 से 110 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से तेज हवा चलने का अनुमान है। तूफान के तट पार करने के बाद इसके अवशेषों का प्रभाव 29 से 31 अक्टूबर के दौरान दक्षिणी एवं पूर्वी यूपी में देखने को मिल सकता है, जिससे प्रदेश में बेमौसम मध्यम से भारी वर्षा होने की आशंका है।

    पूर्व-मध्य अरब सागर से आई द्रोणी भी निचले क्षोभ मंडल में नमी ला रही है, जिससे मौसमी गतिविधियां और तेज हो सकती हैं। सक्रिय मौसमी गतिविधियों के कारण प्रदेश के कई हिस्सों में तड़ित झंझावात और वज्रपात की घटनाएं होंगी, जिससे खुले में काम कर रहे कृषकों एवं कार्मिकों को खतरा है। कई और दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

    तेज झोंकेदार हवा और वज्रपात से जर्जर इमारतों, कच्चे घरों और झोपड़ियों को आंशिक क्षति पहुंच सकती है। तेज हवा के साथ बारिश से बागवानी के साथ ही खड़ी और पकी फसलों को व्यापक नुकसान हो सकता है। दृश्यता में प्रभावी कमी आने की संभावना है। भारी बारिश के दौरान कच्चे रास्तों पर फिसलन और जलभराव के कारण खनन गतिविधियों का प्रभाव दिख सकता है।

    कृषि पर मौसम के प्रभाव आधारित पूर्वानुमान एवं सलाह
    -- बेमौसम बारिश और तेज हवा से रबी और खरीफ फसलों पर गंभीर असर पड़ सकता है। गन्ना व तोरिया की फसल जलभराव से गिर सकती हैं, ऐसे में सिंचाई स्थगित रखें और जलभराव को रोकें। तेज हवा शांत होने पर ही रासायनिक छिड़काव करें।
    -- धान की फसल गिरेगी और अनाज का रंग खराब हो सकता है। बारिश के दौरान कटाई न करें। कटी फसल को ऊंचे स्थान पर एकत्र कर पालीथीन शीट से ढक दें और अतिरिक्त पानी निकाल दें।
    -- अरहर का फूल झड़ना और फलियां क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। फफूंद जनित रोगों का खतरा बढ़ जाएगा। ऐसे में उचित जल निकासी सुनिश्चित करें और फफूंद संक्रमण को रोकने के लिए अनुशंसित कवकनाशी का प्रयोग करें। तेज हवा में छिड़काव न करें।
    -- सरसों, चना, मटर व आलू की बोआई में जलभराव व अंकुरण में देरी हो सकती है। बोए हुए खेत में जल निकासी सुनिश्चित करें। भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में बोवाई से बचें।
    -- सब्जियों की पौध सड़ सकती है। रोगों का खतरा बढ़ेगा। ऐसे में खेत में जल निकासी बनाए रखें और रोग नियंत्रण के लिए अनुशंसित कवकनाशी का प्रयोग करें।

    मौसम की नमी मिट्टी की गुणवत्ता संतुलित करेगी
    बीएचयू के कृषि विज्ञानी प्रो. पीके शर्मा कहते हैं कि यह वर्षा खरीफ और रबी दोनों के मोर्चे पर असर डाल सकती है। मौसम की यह नमी मिट्टी की गुणवत्ता को संतुलित करेगी और शुरुआती सिंचाई की जरूरत को घटाती है। हालांकि, अगर बारिश लंबे समय तक जारी रही तो खलिहानों में रखी फसल को नुकसान पहुंच सकता है।

    बारिश के बाद प्रदूषक तत्व नीचे बैठे, वायु गुणवत्ता में सुधार
    पर्यावरण विज्ञानी डा. कृपा राम कहते हैं कि पिछले हफ्ते वाराणसी का एक्यूआइ 180 से ऊपर था। बारिश के बाद प्रदूषक तत्व नीचे बैठ गए और वायु गुणवत्ता में सुधार आया है। यह सांस और त्वचा से जुड़ी बीमारियों में राहत लाने वाला है। नमी बढ़ने से मच्छर व कीटों की सक्रियता भी बढ़ सकती है, इसलिए स्वच्छता और जलभराव से बचाव पर जोर दिया जा रहा है। बारिश के बाद पशुओं को ठंड से बचाएं। भैंस और गाय के बाड़ों में सूखा बिछावन रखें और गीला चारा न खिलाएं। यह पेट और त्वचा संबंधी रोग बढ़ा सकता है।