Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    सांप के काटने से ज्यादा डर से होती है मौत, झाड़-फूंक अंधविश्वास के चक्कर में जाती है जान

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 11:46 PM (IST)

    अल्मोड़ा में हुए एक शोध में यह बात सामने आई है कि सांप के काटने से ज्यादा लोग डर और अंधविश्वास के कारण मरते हैं। डॉ. वेदांत शर्मा ने बताया कि केवल 5% सांप ही जहरीले होते हैं। समय पर इलाज मिलने से मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। अधिकतर मामलों में पीड़ित 21 से 30 वर्ष के बीच के थे।

    Hero Image
    सांप के काटने से ज्यादा डर से होती है मौत, झाड़-फूंक अंधविश्वास के चक्कर में जाती है जान

    जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा। सांप के काटने को लेकर फैले डर और भ्रांतियों के बीच सोबन सिंह जीना राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान के चिकित्सक डा. वेदांत शर्मा ने शोध कर कई खुलासे किए हैं।

    65 प्रतिशत सांप के डसने के मामले मई से अगस्त के बीच सामने आए हैं। 48 प्रतिशत मामलों में घटना देर शाम सात बजे से सुबह छह बजे तक के है। अस्पताल पहुंचे केवल छह प्रतिशत लोगों की ही मौत हुई। अंधविश्वास और डर के कारण भी मरने वालों की संख्या अधिक रहती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मेडिकल कालेज के जनरल मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डा. वेदांत शर्मा ने कुमाऊं क्षेत्र में 100 से अधिक सांप के डसने से अस्पताल आए मरीजों पर शोध किया। उन्होंने बताया कि केवल पांच प्रतिशत सांप ही जहरीले होते हैं, जबकि 95 प्रतिशत सांप गैर-जहरीले होते हैं। कई बार सांप के डसने से नहीं भय से ही लोगों की मौत हो जाती है।

    डा. शर्मा ने बताया कि मरीजों पर किए अध्ययन में पाया गया कि सांप डसने के अधिकतर मामलों में पीड़ित की उम्र 21 से 30 वर्ष के बीच थी। इनमें पुरुषों की संख्या 59 और महिलाओं की 41 रही। अध्ययन से स्पष्ट है कि समय पर इलाज और एएसवी उपलब्धता से सांप के काटने से होने वाली मृत्यु और गंभीरता को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

    मैदानी क्षेत्र में 66 व पहाड़ में 33 प्रतिशत आए मामले

    सांप डसने के मामले में मजदूरों 23 प्रतिशत और 20 प्रतिशत कृषक थे। इसमें मैदान क्षेत्रों में 66 जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में केवल 33 प्रतिशत मामले सामने आए। 60 प्रतिशत मरीजों ने काटे जाने के एक से चार घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचकर इलाज कराया।

    64 प्रतिशत मामलों में सांप ने निचले अंग पर डसा था। 45 प्रतिशत मामलों में सांप की पहचान नहीं हो पाई। जबकि 37 प्रतिशत विषैले वाइपर और 11 प्रतिशत मामलों में कोबारा शामिल था।

    लक्षण और उपचार

    84 प्रतिशत सांप डसने के मामलों में तेज दर्द और शरीर पर दांत के निशान पाए गए। श्वसन पक्षाघात और खून के जमना आम था। 17 प्रतिशत मरीजों को सर्जरी की आवश्यकता पड़ी । 16 प्रतिशत आईसीयू में भर्ती हुए। 90 प्रतिशत मरीज ठीक हो गए।