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    बदरीनाथ हाईवे पर पहाड़ी से गिर रहा मलबा और चीड़ के पेड, 14 घंटे बाद हुआ वाहनों का संचालन

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 05:44 PM (IST)

    चमोली में भारी बारिश के कारण बद्रीनाथ राजमार्ग पर कमेड़ा के पास भूस्खलन हो गया जिससे राजमार्ग अवरुद्ध हो गया। यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर इंतजार करने की सलाह दी गई। मलबा हटाने के बाद यातायात सुचारू हुआ लेकिन लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ा। स्थानीय लोगों ने कमेड़ा भूस्खलन क्षेत्र में ट्रीटमेंट न होने पर चिंता जताई। कर्णप्रयाग के ग्रामीण मार्गों पर भी भूस्खलन से खतरा बना हुआ है।

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    बदरीनाथ राजमार्ग कमेड़ा में पहाड़ी से गिर रहा मलबा और चीड़ के पेड़।

    जागरण संवाददाता, चमोली। बदरीनाथ राजमार्ग चमोली जनपद की प्रवेश सीमा कमेड़ा में एनएच के लिए नासूर बन गया है। यहां थोडी सी बारिश में पहाउ़ी से भूस्खलन का दायरा बढ़ रहा है और चीड़ के साथ गिरता मलबा और बोल्डरों को साफ करने में जुटे जेसीबी मशीन आपरेटर भी जोखिम में राजमार्ग पर आवागमन सुचारू में जुटे है।

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    सोमवार पहले सुबह से राजमार्ग पर कमेड़ा और गलनाऊं में लगातार जारी बारिश से गिर रहे मलबे को साफ कर एनएच द्वारा आवागमन सुचारू कराया लेकिन अपराह्न एक बजे एकाएक आए भारी मलबे को हटाने में अधिक समय लग गया, जिससे राजमार्ग खुलने का इंतजार करते मुसाफिरों को पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षित स्थानों पर रात्रि विश्राम की अपील की।

    इस दौरान मशीनों से मलबा हटाकर रात नौ बजे कुछ वाहनों गुजरने लेकिन दस बजे भूस्खलन फिर से हुआ और राजमार्ग बंद हो गया इसके बाद मंगलवार को दोपहर बारह बजे तक दोनों ओर से मशीनों द्वारा मलबा हटाने का काम कर आवागमन सुचारू किया।

    जाम के चलते अपने गंतव्यों तक पहुंचने और रवाना होने वाले लोगों को घंटों इंतजार करना पडा। स्थानीय निवासी मोहन सिह ने कहा कमेडा भूस्खलन जॉन पर ट्रीटमेंट दो साल से अधिक समय से आधुनिक तकनीक के बाद नही किया जाना चिंताजनक है और राजमार्ग बंद रहने से बीमार और जरूरी काम से देहरादून, दिल्ली का सफर करने वालों को जोखिम उठाते हुए मलबे से पैदल गूजरना मजबूरी बनी है।

    लगातार बारिश के चलते पहाड़ी से भूस्खलन का दायरा दो सौ मीटर से अधिक हो गया है जबकि गधेरे के उफान से भी राजमार्ग को खतरा बना है। इसी तरह गलनाऊं और चट्टवापीपल में भी बारिश के बाद पहाड़ी से गिरते पत्थर और मलबे के साथ पानी ने परेशानियों को बढ़ा दिया है जबकि उमट्टा पुलिया भी एनएच की कड़ी परीक्षा ले रही है।

    जगह-जगह राजमार्ग पर निकासी नालियों के अभाव में पानी का रूख आबादी की ओर होने से लोग जलभराव की समस्या से जूझ रहे है समय पर निकासी और बंद स्कवरों को ठीक न कर एनएच द्वारा भूस्खलित क्षेत्र के ट्रीटमेंट को बेहद हल्के में लेते हुए प्रकृति पर छोड़ दिया ऐसे में अब इसका खामियाजा स्थानीय लोगों की आवाजाही की राह आसान न होकर जोखिमभरी हो गई है।

    कर्णप्रयाग-नैनीसैंण और स्टेट हाईवे धारडुंग्री-सोनला मोटर मार्ग पर भी मलबा गिरने से प्रभावित

    राजमार्ग के साथ कर्णप्रयाग विकासखंड के ग्रामीण और आंतरिक मोटर मार्गों पर सफर सुरक्षित नही है नगर से लगे ग्वालदम राजमार्ग पर भारी भूस्खलन के बीच हर दिन सैकड़ों वाहन गुजर रहे है और अपर बाजार के शीर्ष पर आवासीय भवन भी भूस्खलन की जद में है।

    इसी तरह कर्णप्रयाग-नैनीसैंण मोटर मार्ग आईटीआई के समीप किमी एक और किमी दो में दयूडी डांडे से हो रहे भूस्खलन की जद में है जबकि मार्ग के निचले क्षेत्र तक बोल्डर और मलबा आवासीय भवनों में पहुंच गया है।

    सोमवार की रात आवासीय भवन में बसासत परिवारों किशोरी प्रसाद डिमरी, प्रमोद रावत, प्रमोद बहुगुणा और मोहन सिह ने होटल और अन्य सुरक्षित स्थानों पर रात स्वजनो के साथ गुजारी। मौके पर पहुंचे प्रशासन और नगर पालिका अध्यक्ष गणेश शाह ने भी भूस्खलित क्षेत्र का निरीक्षण किया।

    आईटीआई के निचले क्षेत्र में भी आवासीय भवनों को भूस्खलन का खतरा बना है भवन स्वामी सोहन नौटियाल ने कहा पालिका द्वारा यहां आधा-अधुरी दीवार का काम होने से भूस्खलन फिर से शुरू हो गया है।