अंतिम दिन पर्यटकों के स्वागत को फूलों की घाटी में खास इंतजाम, विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि
विश्व धरोहर फूलों की घाटी 31 अक्टूबर को शीतकाल के लिए बंद हो जाएगी। पर्यटकों के स्वागत के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। इस वर्ष कम पर्यटक आए, लेकिन विदेशी पर्यटकों की संख्या अधिक रही। 87.5 वर्ग किमी में फैली यह घाटी जैव विविधता का खजाना है, जहाँ 500 से अधिक प्रकार के फूल खिलते हैं। पार्क प्रशासन को 32.88 लाख रुपये की आय हुई।

देवेंद्र रावत, गोपेश्वर। विश्व धरोहर फूलों की घाटी आज 31 अक्टूबर को शीतकाल के लिए बंद कर दी जाएगी। पार्क बंद होने के उत्सव में शामिल होने वाले पर्यटकों के स्वागत को नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने कुछ खास इंतजाम किए हैं।
इसके तहत जहां फूलों की घाटी के बेस कैंप घांघरिया स्थित मुख्य द्वार पर पर्यटकों का माल्यार्पण कर स्वागत किया जाएगा, वहीं पर्यटकों के साथ वनकर्मी भी पार्क की सैर करेंगे।
वर्षाकाल की चुनौतियों के चलते इस बार पिछले वर्ष की अपेक्षा काफी कम पर्यटक घाटी के दीदार को पहुंचे, लेकिन इनमें विदेशी पर्यटकों की संख्या पिछले वर्ष से काफी अधिक रही।
चमोली जिले में 12995 फीट की ऊंचाई पर 87.5 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली फूलों की घाटी जैव विविधता का खजाना है। वर्ष 1982 में घाटी को राष्ट्रीय पार्क और वर्ष 2005 में यूनेस्को की ओर से विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया। घाटी प्रतिवर्ष एक जून से 31 अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुली रहती है।
यहां 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। हर 15 दिन के अंतराल में अलग प्रजाति के फूल खिलने के कारण घाटी अपना रंग बदल देती है। घाटी के रास्ते में भोजपत्र का जंगल भी पड़ता है, जो पर्यटकों के लिए आर्कषण का केंद्र रहता है।
नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क की उप प्रभागीय वनाधिकारी सुमन ने बताया कि इस वर्ष विदेशी पर्यटकों को फूलों की घाटी की सैर खूब भायी और 29 अक्टूबर तक 415 विदेशी पर्यटक घाटी में पहुंच चुके हैं। पिछले वर्ष यह संख्या 330 थी। हालांकि, कुल पर्यटकों की बात करें तो इस बार अब तक 15,309 पर्यटक घाटी की सैर को पहुंचे हैं, जबकि बीते वर्ष यह संख्या 19,071 थी।
पार्क प्रशासन को हुई 32.88 लाख की आमदनी
29 अक्टूबर तक कुल 15,309 पर्यटक घाटी में पहुंचे हैं, जिनसे पार्क प्रशासन को 32,87,950 रुपये की आय हुई। फूलों की घाटी में पर्यटकों को रात रुकने की अनुमति नहीं है, इसलिए दोपहर दो बजे तक उन्हें घांघरिया के लिए वापसी करनी पड़ती है।
फूलों की घाटी जाने के लिए पर्यटकों को बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर जोशीमठ से आगे गोविंदघाट से 14 किमी का सफर पैदल तय कर घांघरिया पहुचंना पड़ता है।

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