रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून। उत्तराखंड को गंदगी मुक्त बनाकर पर्यटन प्रदेश बनाने का हिमालयी दायित्व जिन नगर निकायों पर है, उनका रवैया ढीला-ढाला है। संपत्ति कर बढ़ाने की शर्त पूरी नहीं करने वाले 42 नगर निकायों को 22 करोड़ के टाइड और अनटाइड अनुदान से हाथ धोना पड़ा।
15वें वित्त आयोग की संस्तुति पर अनुदान की यह राशि इन निकायों को जारी नहीं की गई। इनमें नौ कंटोनमेंट भी हैं। इसका सीधा प्रभाव यह होने जा रहा है कि स्वच्छता रैंकिंग में इन निकायों के साथ उत्तराखंड भी पिछड़ेगा।
टाइड और अनटाइड अनुदान की 50 प्रतिशत धनराशि का उपयोग ठोस कूड़ा प्रबंधन के लिए केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय की स्टार रेटिंग पाने के लिए किया जाना है। केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में जारी स्वच्छता रैंकिंग में उत्तराखंड ओवरआल प्रदर्शन में संतोषजनक स्थिति में नहीं है।
कई नगर निकायों ने प्रदर्शन में सुधार तो किया है, लेकिन शुरुआती 20 स्थान में आना चुनौती बना है। जीएसडीपी के अनुरूप हो वृद्धि दर वित्तीय वर्ष 2024-25 में 15वें वित्त आयोग की संस्तुति के अनुसार अनुदान राशि पाने के लिए शर्त रखी गई हैं।
इनमें शत-प्रतिशत निकायों को संपत्ति कर की न्यूनतम दर में वृद्धि को राज्य सकल घरेलू उत्पाद की दर के अनुरूप रखनी है। साथ ही इसकी ऑनलाइन जानकारी देना अनिवार्य है। अनुदान की 50 प्रतिशत धनराशि पेयजल एवं वर्षा जल संचयन व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में उपयोग की जानी है।
ये निकाय अनटाइड मद में नौ करोड़ और टाइड मद में 13 करोड़ की राशि से वंचित हो गए हैं। वित्त अपर सचिव हिमांशु खुराना के अनुसार अनुदान पाने के लिए निकायों को प्रदर्शन में सुधार लाना होगा।
42 निकायों को नहीं मिला अनुदान
ये हैं 33 नगर निकाय- अगस्त्यमुनि, बदरीनाथ, बागेश्वर, गदरपुर, जोशीमठ, कालाढूंगी, किच्छा, पौड़ी, टिहरी, चमियाला, गंगोलीहाट, गंगोत्री, घनसाली, गूलरभोज, केदारनाथ, लंबगांव, रानीखेत, सतपुली, तिलवाड़ा, ऊखीमठ, चौखुटिया, सेलाकुई, पडली गुर्जर, ढंढेरा, सुलतानपुर आदमपुर, इमलीखेड़ा, गरुड़, लालपुर, नगला, थलीसैंण, रामपुर, नरेंद्रनगर। ये हैं नौ कैंटोनमेंट- देहरादून, क्लेमेंटटाउन, लंढौर, चकराता, लैंसडौन, रुड़की, नैनीताल, रानीखेत व अल्मोड़ा।
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