देहरादून की एटीएस कॉलोनी: बिल्डर के नक्शे रद्द करने की तैयारी, एमडीडीए की जांच में खुलासा
एटीएस वेलफेयर रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी की शिकायत पर एमडीडीए ने एटीएस कालोनी में बिल्डर पुनीत अग्रवाल के अवैध निर्माण की जांच की। जांच में नक्शे में झोल पाए जाने पर एमडीडीए ने नक्शे निरस्त करने की सिफारिश की है, और बिल्डर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। बिल्डर पर पहले भी अवैध कब्जे के आरोप लग चुके हैं।

प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। सहस्रधारा रोड पर एटीएस कॉलोनी में बिल्डर पुनीत अग्रवाल की मनमानी पर नगर निगम के बाद अब एमडीडीए ने भी शिकंजा कस दिया है। अवैध निर्माण को लेकर सख्त नजर आ रहे एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी के निर्देश पर कराई गई जांच में बिल्डर से जुड़े दोनों भवनों के नक्शे में झोल पाया गया है। लिहाजा, जांच में नक्शे निरस्त करने की संस्तुति की गई है। इसके साथ ही बिल्डर के भवनों पर ध्वस्तीकरण की तलवार भी लटकने लगी है।
एटीएस वेलफेयर रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी की शिकायत पर एमडीडीए ने की जांच
एटीएस रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष अजय सिंह आदि ने बिल्डर पुनीत अग्रवाल और उनकी मां ऊषा अग्रवाल के नाम पर स्वीकृत नक्शों को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में आरोप लगाया था कि बिल्डर ने प्राधिकरण को धोखे में रखकर नक्शा स्वीकृत कराया और निर्माण किया गया। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशी तिवारी ने संयुक्त सचिव गौरव चटवाल की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की थी।
बिल्डर और कॉलोनी के निवासियों के बीच विवाद अब परिणाम के करीब पहुंचा
समिति ने जांच में पाया है कि बिल्डर से जुड़ा पहला नक्शा कंपाउंड कराया गया है। कंपाउंडिंग में शर्त थी कि कुछ भाग को ध्वस्त करना पड़ेगा। लेकिन, कंपाउंड के दायरे से बाहर का भाग अभी भी जस का तस है। इसके अलावा पहले भवन के नक्शे में दर्ज मार्ग को दूसरे भवन के सेटबैक में नियम विरुद्ध जोड़ा गया है। इसके लिए गिफ्ट डीड भी कराई गई। ताकि मार्ग का यह झोल पकड़ में न आने आए। हालांकि, जांच टीम में जब दोनों भवन का नाप लिया तो मामला पकड़ में आ गया। लिहाजा, जांच रिपोर्ट में नक्शे को निरस्त करने की संस्तुति की गई है।
इसके साथ ही बिल्डर को कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिया गया है। बिल्डर को जवाब दाखिल करने के लिए 16 अक्टूबर का समय दिया गया है। इससे पहले बिल्डर के विरुद्ध नगर निगम के अधीन दी गई भूमि पर कब्जे के भी आरोप लगे थे। हालांकि, नगर निगम ने जांच के क्रम में कार्रवाई कर अवैध कब्जे को हटा दिया।
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