Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Uttarakhand: आयुर्वेद विवि के कुलपति, कुलसचिव व विवादित कार्मिकों का रोका वेतन, अनियमितताओं पर कार्रवाई के आदेश

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 05:58 AM (IST)

    उत्तराखंड शासन ने आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के वेतन के लिए 13.10 करोड़ रुपये जारी किए हैं। कुलपति, कुलसचिव और सीएएस का लाभ लेने वालों के वेतन पर रोक है। यह निर्णय 2017-2022 के बीच वित्तीय अनियमितताओं के चलते लिया गया। शासन ने नियम विरुद्ध नियुक्तियों पर कार्यवाही और वेतन वसूली के निर्देश दिए हैं। अगली किस्त निर्देशों के अनुपालन पर निर्भर करेगी।

    Hero Image

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। शासन ने उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कार्मिकों के वेतन के लिए 13.10 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। शासन ने यह स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव और कैरियर एडवांस स्कीम (सीएएस) का लाभ लेने वाले कार्मिकों को वेतन अग्रिम आदेशों तक किसी भी दिशा में भुगतान नहीं किया जाएगा।

    उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में वर्ष 2017 से 2022 के बीच वित्तीय अनियमितता और प्रशासनिक अनियमितता का प्रकरण प्रकाश में आया था। इस दौरान विवि प्रशासन पर वर्ष भर के बजट को छह माह के भीतर ही खर्च करने का आरोप लगा था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    साथ ही विभाग में नामित प्रोफेसरों की नियुक्ति और बाद में इन्हें नियम विरुद्ध विनियमित करने की बात भी सामने आई थी। इस प्रकरण पर काफी हंगामा भी हुआ। वित्त विभाग ने इस पर शासन व विवि प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी, तब तक के लिए इनके बजट पर रोक लगा दी गई थी।

    अब वित्त विभाग को रिपोर्ट मिल चुकी है लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से भेजे गए जवाब से विभाग संतुष्ट नहीं है। यद्यपि, वित्त विभाग के अनुमोदन पर शासन ने विश्वविद्यालय के वेतन भत्ते के रूप में 13.10 करोड़ रुपये की धनराशि जारी कर दी है।

    इसमें स्पष्ट किया गया है कि आयुर्वेद विश्वविद्यालय में नियम विरुद्ध किए गए विनियमितीकरण में संबंधित अधिकारी व कार्मिकों पर नियमानुसार अनुशासनिक कार्यवाही करते हुए अतिरिक्त वेतन वसूली की कार्यवाही की जाए।

    विश्वविद्यालय में उपनल के माध्यम से तैनात कार्मिकों की नियमविरुद्ध पदोन्नति प्रकरण पर संबंधित अधिकारियों व कार्मिकों के विरुद्ध अनुशासनिक तथा वसूली की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।

    यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगली किस्त उसी दशा में जारी की जाएगी, जब विश्वविद्यालय प्रशासन शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पूरी तरह से अनुपालन करेगा।