Uttarakhand: आपदा में अनाथ हुए बच्चों की दर्दनाक कहानी, बोले- 'हमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से उम्मीद'
Uttarakhand Disaster उत्तराखंड के बागेश्वर आपदा में अनाथ हुए पवन और गणेश जोशी ने अपनी आपबीती सुनाई। 28 अगस्त की रात आई आपदा में उन्होंने अपने माता-पिता और छोटे भाई को खो दिया। प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनके भविष्य के लिए कुछ करेगी और वे अपने माता-पिता के सपनों को पूरा कर पाएंगे।

अशोक केडियाल, जागरण, देहरादून । बागेश्वर जनपद की तहसील कपकोट के पौसारी तोक साईजर गांव में आई भीषण आपदा ने एक ही परिवार से माता-पिता और भाई का साया छीन लिया। गांव के अनाथ हुए 14 वर्षीय पवन जोशी और 20 वर्षीय गणेश जोशी ने रुंधे गले से कहा कि ‘लगता है जैसे हमें अनाथ करने के लिए ही आपदा आई थी।’
28 अगस्त की मध्यरात्रि को आए जलजले में पूरा परिवार गदेरे की धारा में बह गया। इस त्रासदी में केवल पवन चमत्कारिक रूप से बच पाया। वह भी कुछ देर तक माता-पिता और छोटे भाई के साथ उफनते गदेरे में बहता चला गया, लेकिन अचानक किनारे लग गया।
दुर्भाग्य से उसके माता-पिता और नौ वर्षीय छोटा भाई गिरीश की जान नहीं बच सकी। गुरुवार को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जौलीग्रांट पहुंचे और आपदा प्रभावितों से संवाद किया तो पूरा माहौल गमगीन हो गया। नाबालिग पवन की नम आंखों को देखकर हर कोई भावुक हो उठा। उस पल बड़े भाई गणेश ने तुरंत छोटे भाई के आंसू पोंछकर उसे ढांढस बंधाया।
गणेश ने जागरण से बातचीत में बताया कि “28 अगस्त को सुबह पांच बजे से मूसलधार वर्षा शुरू हो गई थी। दोपहर तीन बजे तक नाले और गदेरे उफान मारने लगे थे। रात करीब सवा 11 बजे अचानक पौसारी गदेरा रौद्र रूप में आ गया और 50 फीट ऊपर बसे हमारे गांव को अपनी चपेट में ले लिया। कुछ समझने का मौका तक नहीं मिला। बड़े-बड़े पत्थर, मलबा और पेड़ पहाड़ी से गिरे और महज एक मिनट में पूरा घर बह गया।” इस हादसे में माता-पिता और नौ वर्षीय भाई गिरीश बह गए। पवन घायल अवस्था में किनारे लगा और बच गया।
छोटे भाई का शव 12 दिन बाद मिला
इस आपदा में गणेश के सबसे छोटे भाई गिरीश का शव 13 दिन बाद गांव से करीब 12 किलोमीटर दूर गदेरे के एक बड़े पत्थर के नीचे मिला। पिता का शव अगले दिन 29 अगस्त को घर से मात्र 500 मीटर की दूरी पर और माता का शव उसी रात तीन किलोमीटर दूर बरामद हुआ।
हमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से है उम्मीद
गणेश और पवन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संवाद के बाद कहा कि अब उनकी जिंदगी का सहारा सिर्फ यही उम्मीद है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री उनके भविष्य को संवारने के लिए कुछ कदम उठाएंगे। उन्होंने कहा कि “हम अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करना चाहते हैं और हमें भरोसा है कि सरकार हमें आगे बढ़ने का अवसर देगी।”
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