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    15 राज्यों से होकर गुजरा देहरादून के ये जोड़ा, इलेक्ट्रिक कार से 8447 किमी लंबी यात्रा कर बचाए 46 पेड़

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 05:00 PM (IST)

    देहरादून के अवधेश और अर्चना ने इलेक्ट्रिक कार से कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा पूरी की। 28 दिनों में 15 राज्यों से गुजरते हुए 8447 किमी की दूरी तय की। इस दौरान 35 बार कार चार्ज की गई। अवधेश ने दावा किया कि यह भारत की सबसे लंबी इलेक्ट्रिक कार यात्रा है जिससे पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया गया। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इसकी सराहना की।

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    देहरादून लौटते समय नागपुर में केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी से मुलाकात करते अवधेश व अर्चना श्रीवास्तव। फोटो - स्वयं

    अंकुर अग्रवाल, जागरण देहरादून। इलेक्ट्रिक कार एमजी विंडसर ईवी-प्रो से कश्मीर टू कन्याकुमारी की यात्रा पूरी कर दून निवासी दंपती अवधेश कुमार श्रीवास्तव और उनकी पत्नी अर्चना मंगलवार शाम देहरादून लौट आए।

    कश्मीर में श्रीनगर से 15 अगस्त को एनएच-44 से यात्रा आरंभ करने वाले अवधेश व अर्चना इन 28 दिनों में 15 राज्यों से होकर गुजरे और कुल 8447 किमी यात्रा की। इस दौरान 35 बार कार को चार्ज कराया व कार चार्जिंग में उनके 17830 रुपये खर्च हुए जबकि 3900 रुपये टोल शुल्क अदा किया गया।

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    देहरादून पहुंचने पर ''''दैनिक जागरण'''' से बातचीत में अवधेश कुमार श्रीवास्तव ने दावा किया कि यह भारत में अब तक की इलेक्ट्रिक कार से की गई सबसे लंबी यात्रा है। जिसे इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स और लिम्का बुक आफ रिकार्ड्स में दर्ज करने की सभी औपचारिकता पूरी कर ली गई है। अवधेश ने यह भी दावा किया कि यदि यह यात्रा पेट्रोल कार से की जाती तो ईंधन पर 75 हजार रुपये से अधिक का खर्च आता, लेकिन इलेक्ट्रिक कार से यह यात्रा महज 17830 रुपये में पूरी हुई।

    इलेक्ट्रिक कार उपयोग से न केवल 58 हजार रुपये की बचत हुई है बल्कि पर्यावरण को भी कोई हानि नहीं पहुंची। बता दें कि, देहरादून के पैसेफिक गोल्फ इस्टेट सहस्रधारा रोड निवासी सेवानिवृत्त बैंकर 61 वर्षीय अवधेश कुमार श्रीवास्तव अपनी 56 वर्षीय पत्नी अर्चना के संग इलेक्ट्रिक कार एमजी विंडसर ईवी-प्रो कार से गत 12 अगस्त को कश्मीर के लिए रवाना हुए थे। वहां से उन्होंने स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त को कश्मीर टू कन्याकुमारी यात्रा शुरू की।

    उनकी कार एक बार में चार्ज करने पर करीब 380 किमी चलती है। इलाहाबाद बैंक में 18 वर्ष और टाटा कंसलटेंसी सर्विस (टीसीएस) में 15 वर्ष की सेवा के बाद अवधेश ने धर्मपत्नी अर्चना के साथ तीन वर्ष पूर्व स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। अर्चना मुंबई के एक निजी स्कूल में शिक्षिका थीं। इसके बाद दोनों मुंबई से देहरादून शिफ्ट हो गए। उनके दोनों बेटे यूएसए में रहते हैं।

    गड़करी से मुलाकात का सपना हुआ पूरा

    केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी की ओर से ग्रीन एनर्जी व इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की कवायद को लेकर दंपती ने उक्त यात्रा की योजना बनाई थी। यात्रा के दौरान नागपुर में दंपती का केंद्रीय मंत्री गड़करी से मुलाकात का सपना भी पूरा हो गया।

    अवधेश ने बताया कि गड़करी ने उनकी यात्रा को ऐतिहासिक बताया और कहा कि इससे इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन की मुहिम को बढ़ावा मिलेगा। अवधेश व अर्चना ने बताया कि उन्होंने लोगों को संदेश दिया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अब पूरे देश में पर्याप्त अनुकूल माहौल है। लंबी दूरी की यात्रा अब इलेक्ट्रिक वाहनों से पूरी तरह संभव और भरोसेमंद है।

    46 पेड़ लगाने के बराबर पर्यावरण संरक्षण

    अवधेश कुमार ने बताया कि उनकी यात्रा में 1000 किलो कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन में कमी आई, जो कि लगभग 46 पेड़ बचाने के बराबर है। पर्यावरण के लिहाज से यह कदम प्रेरक उदाहरण है। अवधेश और अर्चना का कहना है कि इस यात्रा का उद्देश्य केवल रोमांचक ड्राइव नहीं था, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और इलेक्ट्रिक वाहनों के महत्व का संदेश पूरे देश में पहुंचाना भी है।