Dehradun News: इन दो बहनों के लिए 'पिता' के रूप में सामने आ गए जिलाधिकारी, अब नहीं रुकेगी 'बेटी' की पढ़ाई
पिता की मृत्यु के बाद आर्थिक संकट से जूझ रही दो बहनों में से एक की पढ़ाई जिलाधिकारी सविन बंसल ने सुनिश्चित की। उन्होंने चित्रा का दाखिला एक निजी संस्थान में कराया और उसकी शिक्षा का खर्च उठाने का वादा किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने दिव्यांग भव्य को भी ट्राइसाइकिल खरीदने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की, जिससे वह आत्मनिर्भर बन सके।
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कलेक्ट्रेट में जिलाधिकारी सविन बंसल के समक्ष अपनी व्यथा सुनाती चित्रा व हेतल। सूवि
जागरण संवाददाता, देहरादून: पिता की मृत्यु के बाद उनका लिया ऋण चुकाने में असमर्थ दो बहनों में से एक चित्रा की पढ़ाई पर विराम लग गया, जबकि दूसरी बहन हेतल के सामने भी आर्थिक संकट खड़ा हो गया तो दून के जिलाधिकारी सविन बंसल उनके लिए एक 'पिता' के रूप में सामने आ गए।
जिलाधिकारी बंसल ने चित्रा का मंगलवार को ही एक निजी संस्थान में दाखिला कराया और सारथी वाहन से कालेज भेजा। अब चित्रा की पढाई, किताबों व आवाजाही का खर्च भी जिला प्रशासन व संस्थान की ओर से वहन किया जाएगा।
वहीं, चलने-फिरने और बोलने में असमर्थ 13 वर्षीय भव्य को भी जिलाधिकारी ने ट्राइसाइकिल खरीदने के लिए 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता रायफल फंड से उपलब्ध कराई, जिससे अब भव्य अपना 'सारथी' खुद बन सकेगा।
एमडीडीए कालोनी चंदर रोड डालनवाला निवासी चित्रा व हेतल ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर बताया कि उनके पिता गोपाल कालरा ने व्यवसाय के लिए बैंक से ऋण लेकर दुकान खोली।
कोरोनाकाल में काम न चलने के कारण वह ऋण की किश्त नहीं भर पाए और आर्थिक तंगी के चलते उनका स्वास्थ्य खराब हो गया। इसी वर्ष 23 अक्टूबर को उनकी मृत्यु हो गई। बैंक वाले घर बेचने का दबाव बना रहे हैं।
दोनों बहनों ऋण माफी का जिलाधिकारी से अनुरोध किया। चित्रा ने बताया कि उसने 12वीं प्रथम श्रेणी में पास की है और हेतल की एक कंपनी में इंटर्नशिप चल रही है। मां ट्यूशन पढ़ाकर घर का जैसे-तैसे खर्च चला रहीं।
जिलाधिकारी ने ऋण माफ करने के लिए उप जिलाधिकारी न्याय एवं एलडीएम को लिए गए ऋण के बीमा के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
वहीं, दरबार साहिब से अनुरोध कर चित्रा का दाखिला एसजीआरआर विवि में बीकाम आनर्स में करा दिया गया है। दरबार साहिब ने प्रशासन के सहयोग से चित्रा की फीस वहन करने का भरोसा दिया है।
भव्य को अब नहीं होगी परेशानी
आर्यनगर निवासी प्रिया वर्मा ने जिलाधिकारी सविन बंसल से गुहार लगाते हुए बताया कि उनका 13 वर्ष का पुत्र भव्य चलने-फिरने और बोलने में असमर्थ है। पुत्र को वह ट्राइसाइकिल (परम) से चलाती हैं, जो अब टूट चुका है।
प्रिया ने बताया कि उनके पति दिहाड़ी-मजदूरी करते हैं और घर में आर्थिक तंगी है। भव्य की चलने-फिरने में सहायता के लिए परम वाहन लेने को आर्थिक सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया था।
इस पर जिलाधिकारी ने उपजिलाधिकारी (न्यायिक) कुमकुम जोशी को पत्रावली प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। दिव्यांग भव्य को परम वाहन दिए जाने के लिए मंगलवार को रायफल फंड से 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी गई। माता प्रिया की आर्थिक स्थिति देखते हुए उन्हें जल्द ही किसी संस्थान में रोजगार दिलाने का प्रयास भी किया जाएगा।

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