उत्तराखंड में इलेक्ट्रिक यात्री वाहनों के संचालन का दायरा होगा तय, सरकार कर रही तैयारी
देहरादून में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती संख्या और यातायात व्यवस्था पर इसके प्रभाव को देखते हुए राज्य सरकार संचालन के लिए सीमा निर्धारित करने की तैयारी कर रही है। परिवहन विभाग पंजीकरण के समय रूट का नाम जोड़ने की योजना बना रहा है। पुराने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए भी नीति बनाने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए एक समिति का गठन किया गया है।

अंकुर अग्रवाल, देहरादून। अर्बन मोबिलिटी प्लान के अंतर्गत राज्य सरकार प्रदेश में इलेक्ट्रिक यात्री वाहनों के संचालन के लिए निश्चित दायरा निर्धारित करने की तैयारी कर रही है। दरअसल, प्रदेश के मैदानी शहरों में वर्तमान में संचालित हो रहे इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए परमिट की बाध्यता नहीं है। यह फ्री-पालिसी के अंतर्गत दौड़ रहे हैं।
इस वजह से शहरों में इनकी संख्या में बेतहाशा वृद्धि होने से यातायात-व्यवस्था ध्वस्त होती जा रही है। खासकर ई-रिक्शा व ई-आटो के बेरोकटोक संचालन से अन्य वाहनों का चलना मुश्किल होता जा रहा है।
ऐसे में परिवहन सचिव ने इनके संचालन का दायरा निर्धारित करने के लिए अब पंजीकरण के समय ही संबंधित मार्ग का नाम जोड़ने की तैयारी की है। वर्तमान में प्रदेश में करीब 25 हजार इलेक्ट्रिक यात्री वाहन संचालित हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर पिछले दिनों मुख्य सचिव आनंद बर्धन ने अर्बन मोबिलिटी प्लान के अंतर्गत इलेक्ट्रिक यात्री वाहनों व अन्य वाहनों के संचालन को लेकर पॉलिसी बनाने के निर्देश दिए थे।
इसी क्रम में सचिव परिवहन बृजेश कुमार संत की ओर से सहायक परिवहन आयुक्त दिनेश चंद्र पठोई की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति गठित की गई है।
समिति में उप परिवहन आयुक्त शैलेश तिवारी व सुनील शर्मा, आरटीओ (प्रशासन) देहरादून संदीप सैनी भी शामिल हैं। समिति का मुख्य फोकस इलेक्ट्रिक यात्री वाहनों (इलेक्ट्रिक बस, ई-रिक्शा व ई-आटो) के संचालन का दायरा निर्धारित करने पर रहेगा।
पुराने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए भी मंथन
समिति के अनुसार नये इलेक्ट्रिक यात्री वाहनों के संचालन का दायरा तय करने के लिए पंजीकरण के समय ही मार्ग की शर्त जोड़ दी जाएगी, लेकिन पुराने इलेक्ट्रिक यात्री वाहनों को लेकर क्या निर्णय लिया जाए।
इसके लिए सोमवार को परिवहन मुख्यालय में समिति की बैठक होनी है। इसमें पुराने इलेक्ट्रिक वाहनों का सत्यापन करने और उसके बाद संचालन का दायरा तय करने का निर्णय लिया जा सकता है।
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