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    IMA POP: कहीं दूसरी को कई जगह तीसरी पीढ़ी सेना में बढ़ा रही मान, कहीं देखा न होगा देश सेवा का ऐसा जज्‍बा

    Updated: Sat, 14 Jun 2025 04:35 PM (IST)

    भारतीय सेना में दूसरी और तीसरी पीढ़ी के सैनिक परिवारों की सैन्य विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। आइमए में पासिंग आउट परेड के बाद 419 नौजवान सेना का हिस्सा ...और पढ़ें

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    419 नौजवान भारतीय सेना का हिस्सा बन गए। Jagran

    जागरण संवाददाता, देहरादून। भारतीय सेना में, दूसरी और तीसरी पीढ़ी के सैनिक न सिर्फ परिवारों की गौरवशाली सैन्य विरासत को आगे बढ़ाते हैं बल्कि देश की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। कई परिवारों में सेना में सेवा करना एक पारिवारिक परंपरा बन गई है, जहां दादा-दादी और माता-पिता से प्रेरणा लेकर युवा पीढ़ी सेना में अधिकारी बन रहे हैं।

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    शनिवार को भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में अंतिम पग भरते ही 419 नौजवान भारतीय सेना का हिस्सा बन गए। इसमें कुछ ऐसे युवा हैं, जिन्‍होंने तीसरी पीढ़ी की सैन्‍य परंपरा को आगे बढ़ाया, तो कुछ ऐसे हैं जिन्‍हें वर्दी के जुनून ने सैन्य अफसर बनने की प्रेरणा दी।

    तीसरी पीढ़ी ने बढ़ाया सैन्य परंपरा को आगे

    दादा और पिता के सेना में रहकर देश सेवा करने के बाद तीसरी पीढ़ी भी सैन्य परंपरा को आगे बढ़ाना उत्तराखंड में कोई नई बात नहीं है। वीरों की भूमि उत्तराखंड में सेना में शामिल होकर देश सेवा की पुरानी परंपरा रही है। खटीमा निवासी निखिल चंद भी अपने पिता मनोहर चंद और दादा गोपाल चंद की राह पर हैं।

    शनिवार को निखिल आइएमए से प्रशिक्षण पूरा करने के बाद सैन्य अफसर के रूप में सेना में शामिल हुए। उन्होंने जहां अपना सपना पूरा किया वहीं परिवार की सैन्य परंपरा को भी आगे बढ़ाया। निखिल के पिता मनोहर चंद सेना के सिग्नल में जबकि दादा गोपाल चंद भी सेना में रहे। पिता मनोहर चंद ने बताया कि यह हमारी तीसरी पीढ़ी है जो सैन्य परंपरा को आगे बढ़ा रही है।

    हम सिपाही रैंक से सेनि हुए लेकिन सपना था कि बेटा कुछ इससे अच्छा कर दिखाए। सैनिक स्कूल घोड़ाखाल में जब निखिल का दाखिला कराया तो उस समय उसके स्कूल जाने का मन नहीं था। कई बार वापस भी आ गया। लेकिन आज वह खुद ही इस बात को कहता है कि यदि स्कूली दिनों में मार्गदर्शन की बदौलत ही यहां पहुंचा हूं। आज पूरा परिवार इस खुशी में शामिल है।

    अल्मोड़ा के निर्मल भट्ट ने बढ़ाई परिवार की परंपरा

    अल्मोड़ा के दन्या के सल्याड़गांव निवासी निर्मल भट्ट सेना में योगदान देने वाले परिवार की दूसरी पीढ़ी हैं। निर्मल के पिता नंदावल्लभ भट्ट नायब सुबेदार 2013 में सेवानिवृत्त हुए जबकि मांग पुष्पा देवी गृहिणी हैं। निर्मल के भाई चंदन भट्ट ने सीडीएस पास कर बीते मार्च को बतौर लेफ्टिनेंट सेना में शामिल हुए।

    पिता नंदावल्लभ भट्ट ने बताया कि आर्मी पब्लिक स्कूल अल्मोड़ा और फिर सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से पढ़ाई पूरी की। इसके बाद एनडीए के माध्यम से आइएम तक पहुंचे। बड़े बेटे चंदन ने स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद इंजीनियरिंग कालेज घुड़दौड़ी पौड़ी से बीटेक किया और सीडीएस निकालकर लेफ्टिनेंट बने।

    बताया कि परिवार में दोनों बेटे सेना में अधिकारी बने हैं। जबकि बड़ी बेटी डा. सविता भट्ट ने पंडित गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से पीएचडी करने के बाद सहारनपुर में कृषि वैज्ञानिक हैं। जकि छोटी बेटी निर्मला भट्ट आइआइटी रुड़की से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी कर रही है।