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    उत्‍तराखंड में 25 वर्षों में सड़कों ने नापे ऊंचे पहाड़, चौतरफा बिछा जाल

    Updated: Thu, 30 Oct 2025 06:15 PM (IST)

    उत्तराखंड राज्य ने पिछले 25 वर्षों में सड़क निर्माण में बहुत विकास किया है। इससे राज्य के विकास को एक नई गति मिली है। वर्तमान में कई बड़ी परियोजनाएं चल रही हैं, जिससे आने वाले वर्षों में उत्तराखंड में सड़कों का जाल और भी बड़ा हो जाएगा।

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    (उत्तराखंड: रजत जयंती लोगो लगाएं )
    -राज्य गठन के समय 19,000 किलोमीटर लंबा था सड़क नेटवर्क, अब सड़कों की कुल लंबाई 45,000 किमी


    अश्वनी त्रिपाठी, जागरण, देहरादून। पच्चीस वर्षों पहले जब उत्तराखंड ने 9 नवंबर 2000 को अपना अस्तित्व पाया, तब यह नवनिर्मित राज्य एक नए सफर की शुरुआत पर था। दुर्गम पहाड़ों, नदियों और गहरी घाटियों के बीच बसे राज्य के सामने सड़क नेटवर्क का अभाव बड़ी चुनौती बनकर खड़ा था। अपनी यात्रा के 25 वर्षों में उत्तराखंड ने इस चुनौती को स्वीकारा। अब राज्य में रोड नेटवर्क का कायाकल्प हो चुका है। पहाड़ों की कोई भी ऊंचाई अब सड़कों की जद से बाहर नहीं है।

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    राज्य गठन के समय जहां कुल सड़क नेटवर्क करीब 19,000 किलोमीटर था, अब यह बढ़कर 45,000 किमी. से अधिक हो चुका है, यानी सड़कों का करीब तीन गुना विस्तार हो चुका है। नया राज्य बनने के बाद बनी 27,000 किमी. नई सड़कें सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि उत्तराखंड के विकास का रिपोर्ट कार्ड भी है। राज्य में सड़कों के विकास ने सिर्फ प्रदेश की भौगोलिक सीमाओं को ही नहीं जोड़ा, बल्कि अवसरों के द्वार भी खोल दिए हैं। जहां कभी पगडंडियां थीं, वहां अब चमचमाती सड़कें हैं। जहां सिर्फ उम्मीदें थीं, वहां अब पुल और राजमार्ग हैं। उत्तराखंड में बढे रोड नेटवर्क ने पर्यटन, अर्थव्यवस्था और जनजीवन को नई ऊंचाई दी है।

    • सड़क श्रेणी ---सन् 2000 में लंबाई (किमी) ---- 2025 में लंबाई (किमी)
    • राष्ट्रीय राजमार्ग ---526.00----------- 3590
    • राज्य राजमार्ग -----1,235------------ 5761
    • प्रमुख जिला सड़कें-----1,364--------------3673
    • अन्य जिला सड़कें----- 4,583--------------2,714
    • ग्राम सड़कें --------- 7,446------------- 27,000
    • लाइट व्हीकल रोड----- 315-------------- 536
    • ब्रिडल रोड-बार्डर ट्रैक --- 3,970----------- 3,580
    • पीएमजीएसवाई---------00--------------21,316

     प्रति लाख जनसंख्या पर 616 किमी. लंबी सड़क

    पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड ने अकेले रोड नेटवर्क ही नहीं तैयार किया, बल्कि कई बड़े राज्यों को भी पीछे छोड़ दिया। प्रतिलाख जनसंख्या पर उत्तराखंड में पक्की सड़कों की लंबाई 616 किमी. है, जबकि प्रति हजार वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर पक्की सड़कों की लंबाई 1285 किमी. है। राष्ट्रीय औसत से भी उत्तराखंड काफी आगे निकल चुका है।

    पर्यटन के द्वार खुले

    सड़कों ने उत्तराखंड में पर्यटन के लिए नए द्वार खोल दिए हैं। चारधाम, हेमकुंड साहिब, पिरान कलियर, मसूरी, नैनीताल, टिहरी, कौसानी व आदि कैलाश तक पहुंचना अब काफी सरल हो गया है। पर्यटन से न केवल आस्था का प्रवाह बढ़ा, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी नया संबल मिला।

    युवाओं को रोजगार मिला

    पहाड़ों के युवाओं को रोज़गार मिला, महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को अपने उत्पादों के लिए बाजार मिला, और स्थानीय हस्तशिल्प ने देश-विदेश तक अपनी पहचान बनाई। सड़कों का नेटवर्क सीमावर्ती इलाकों में भी फैल गया है। सेना की आवाजाही हो पाने से सुरक्षा इंतजामों को नई ताकत मिली है।

    अब कोई गांव दूर नहीं रहा

    राज्य में कुल 1.25 लाख किमी से अधिक ग्रामीण सड़कें हैं। ग्रामीण सड़कों ने विकास को पहाड़ों के गांवों तक पहुंचा दिया है। बच्चे स्कूल तक आसानी से पहुंचते हैं। मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने में पहले जैसी दिक्कत नहीं होती। सड़कों के जरिए किसान अपने उत्पाद सीधे मंडियों तक ले जा रहे हैं।

    जीआईएस से ड्रोन सर्वेक्षण तक

    उत्तराखंड में सड़क निर्माण में पारंपरिक तरीकों की जगह आधुनिक तकनीक अपनाई जा रही है। हाट मिक्स प्लांट, कोल्ड मिक्स टेक्नोलाजी और जीआईएस आधारित मानिटरिंग सिस्टम से सड़कों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा रही है। ड्रोन सर्वेक्षण से सड़क मार्गों की स्थिति और निर्माण प्रगति की रियल टाइम निगरानी हो रही है। साथ ही प्लास्टिक वेस्ट मिक्सिंग और ग्रीन रोड माडल को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ सड़कों के निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है।

    अभी भी कई चुनौतियां

    • भूस्खलन -बरसात और भूकंपीय गतिविधियों के दौरान पहाड़ों का खिसकने से सड़कें बार-बार बाधित हो जाती हैं।
    • भूगर्भीय अस्थिरता- कमजोर चट्टानी ढांचे के कारण सड़कें लंबे समय तक टिक नहीं पातीं।
    • कठिन परिस्थितियां- बर्फबारी, अत्यधिक वर्षा और कोहरा सड़क निर्माण कार्य को प्रभावित करते हैं।
    • संकरी घाटियां और ढलान- सीमित जगह में सड़क चौड़ीकरण मुश्किल कार्य होता है।
    • पर्यावरणीय संतुलन- सड़क निर्माण से जंगल और जलस्रोतों पर असर पड़ता है।
    • रखरखाव में कठिनाई- दुर्गम क्षेत्रों में मशीनरी और सामग्री पहुंचाना चुनौतीपूर्ण है, इससे सड़क निर्माण में समस्या आती है।
    • लागत और समय- कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण परियोजनाएं महंगी और समय-खपत वाली होती हैं।

    राज्य ने पिछले 25 सालों में सड़क निर्माण में सराहनीय प्रगति की है, इससे विकास को नई गित मिली है, अभी भी कई बड़ी परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है, आने वाले वर्षों में उत्तराखंड में सड़क नेटवर्क और विशाल होगा।

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    - सतपाल महाराज, लोक निर्माण मंत्री