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    एमडीडीए के नोटिस के बाद लोगों में हड़कंप, देहरादून की बस्तियों पर चलेगा बुलडोजर!

    Updated: Wed, 26 Nov 2025 08:00 PM (IST)

    देहरादून में एमडीडीए के नोटिस के बाद कई बस्तियों पर बुलडोजर का खतरा मंडरा रहा है। प्रभावित लोग मेयर से मदद मांगने नगर निगम पहुंचे। बस्तियों को अवैध घोषित कर दिया गया है, जिससे निवासियों में डर का माहौल है। मेयर ने मामले में हस्तक्षेप करने और समाधान निकालने का आश्वासन दिया है।

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    महापौर को ज्ञापन सौंपकर ध्वस्तीकरण रोकने की मांग उठाई। आर्काइव

    जागरण संवाददाता, देहरादून। तरला नागल और ढाकपट्टी बस्तियों में एमडीडीए की ओर से ध्वस्तीकरण का नोटिस दिए जाने के बाद से हड़कंप मचा हुआ है। बस्तीवासियों को बेघर होने का डर सता रहा है। जिसके चलते बड़ी संख्या में बस्तीवासी नगर निगम पहुंच गए और महापौर से मदद की गुहार लगाई। मामले में महापौर सौरभ थपलियाल की ओर से नोटिस और ध्वस्तीकरण को लेकर एमडीडीए के अधिकारियों के साथ वार्ता करने का आश्वासन दिया गया।

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    बुधवार को बड़ी संख्या में बस्तीवासी नगर निगम परिसर पहुंच गए। यहां विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं की अगुआई में उन्होंने सरकार के विरुद्ध नारेबाजी की और बस्तियों में घर उजाड़ने का आरोप लगाया। काफी देर हंगामे के बाद बस्तीवासियों का एक प्रतिनिधि मंडल महापौर से मिला। जहां उन्होंने एमडीडीए का नोटिस दिखाकर मदद का आग्रह किया। जिस पर महापौर अपने कक्ष से बाहर बस्तीवासियों के बीच पहुंच गए और उन्होंने इस प्रकरण पर एमडीडीए के अधिकारियों और शहरी विकास मंत्री से वार्ता का आश्वासन दिया। जिसके बाद बस्तीवासी वापस लौट गए।

    दरअसल, उच्चतम न्यायालय व राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेशों के बाद रिस्पना नदी के अधिसूचित बाढ़ परिक्षेत्र में मौजूद अवैध निर्माणों को हटाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। इसी क्रम में एमडीडीए ने तरला नागल एवं ढाकपट्टी क्षेत्र के निवासियों को औपचारिक नोटिस जारी करते हुए अवैध निर्माणों की पहचान, सत्यापन और पुनर्वास से जुड़ी कार्रवाई की जानकारी दी है।

    बाढ़ क्षेत्र में वर्ष 2016 से पूर्व बसे परिवारों का होगा पुनर्वास!

    हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने एक याचिका की सुनवाई में दिए आदेश और उसके अनुपालन में एनजीटी के आदेश के तहत स्पष्ट किया है कि रिस्पना नदी के किनारे बाढ़ परिक्षेत्र में किए गए किसी भी नियम-विरुद्ध निर्माण को जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार संबंधित विभागों की ओर से तुरंत हटाया जाना अनिवार्य है। इस कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी देहरादून ने नगर आयुक्त की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है, जिसमें पुलिस अधीक्षक शहर, सचिव एमडीडीए, उप जिलाधिकारी सदर व सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता शामिल हैं।

    समिति को प्रभावित परिवारों के सर्वे, पात्रता निर्धारण और पुनर्वास प्रक्रिया की जिम्मेदारी सौंपी गई है। नगर निगम, राजस्व, पुलिस और सिंचाई विभाग की संयुक्त टीमों ने विद्युत बिल, गैस कनेक्शन और स्थलीय निरीक्षण के आधार पर घर-घर जाकर निवासियों की पात्रता का सत्यापन किया था। सर्वे में पाया गया कि कई परिवारों के निर्माण 11 मार्च 2016 से पूर्व के हैं और वे शासनादेश के अनुसार एमडीडीए को हस्तांतरित भूमि ढाकपट्टी और तरला नागल पर बने हुए हैं। ऐसे पात्र परिवारों को काठबंगला में नगर निगम की ओर से निर्मित ईडब्ल्यूएस आवासीय फ्लैटों में पुनर्वासित करने की तैयारी है। जबकि, कोर्ट के आदेशों के अनुसार जिन निर्माणों को अवैध पाया जाएगा, उन्हें ध्वस्त कर दिया जाएगा।

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