स्पर्श हिमालय महोत्सव में केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, कहा- 'महिलाओं के आगे आने से पूरा होगा विकसित भारत का संकल्प'
केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि नया संसद भवन आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है, जहाँ महिला सशक्तिकरण के लिए पहला बिल लाया गया। उन्होंने लेखक गांव को साहित्यकारों का संगम बताया। मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति और अन्य विद्वानों ने भारतीय संस्कृति और शिक्षा नीति के महत्व पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने लेखकों से स्थानीय मुद्दों पर लिखने और संस्कृति को संरक्षित करने का आह्वान किया।

स्पर्श हिमालय महोत्सव का दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ करते परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि (दाएं), केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल(दाएं से दूसरे) लेखक गांव के संरक्षक डॉ रमेश पोखरियाल निशंक (बाएं ),मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति पृथ्वीराज रूपेण (बाएं से दूसरे)
संवाद सहयोगी, जागरण डोईवाला (देहरादून)। कानून एवं न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि दिल्ली में बना नया संसद भवन आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है। इस संसद भवन में सर्वप्रथम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण के लिए पहला बिल लाया गया। जिसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम दिया। प्रधानमंत्री का ध्येय है कि जब विधानसभाओं और संसद में महिलाओं की भूमिका बढ़ेगी तो भारत को विकसित बनने से कोई नहीं रोक सकता।
उन्होंने कहा कि डा . निशंक ने लेखक गांव को मूर्त रूप देकर एक शानदार पहल की है जिसे देश विदेश के लेखको, साहित्यकारों, रचनाकारों को यहां आकर अपनी रचनाएं लिखने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि जब पूर्व में स्टीम का आविष्कार हुआ रेल के जरिए आना-जाना शुरू हुआ तब कई तरह की बातें उठी। परंतु वह कार्य हुआ। इसके बाद बिजली का आविष्कार हुआ इंडस्ट्रिया लगी और आज स्थिति यह है कि हम बिना बिजली के नहीं रह सकते।
फिर कंप्यूटर आया लोगों को लगा कि सब नौकरियां चली जाएगी परंतु ऐसा नहीं हुआ बल्कि रोजगार बढ़ा आज हम घर बैठे ही कंप्यूटर के माध्यम से विभिन्न कार्य कर पाते है। वर्तमान के दौर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स का दौर चला है जो की खदान में नीचे स्तर तक भी जानकारी जुटा सकता है। आज एआइ ने हमारे निजी जीवन में भी प्रवेश कर लिया है जो की एक बड़ा चैलेंज है। पर यह रुकेगा नही। हमारे लेखकों का काम है कि इसे हम अवसर में कैसे बदलें। यह हम अपने लेखन से सबको बताएं। इस अवसर पर डा .वेद प्रकाश की ओर से लिखी गई पुस्तक लेखक गांव सृजन यात्रा व विकसित भारत का संकल्प का भी विमोचन किया गया। वहीं इससे पूर्व सभी ने लेखक गांव के प्रांगण में लगी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की प्रतिमा पर भी पुष्प अर्पित किए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपेन ने कहा कि हमारे देश में गंगा दशहरा भी मनाया जाता है। हिंदी, भोजपुरी, संस्कृति की यूनियन है और भारत की संस्कृति को अच्छा माना जाता है । उन्होंने अपील करी कि खुद जियो और औरों को भी जीने दो।
गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डा.भाग्येश झा ने कहा कि भारत के लोग पूजनीय है। क्योंकि उन्होंने अपने महाकाव्य को आज भी जीवित रखा है। आज भी रामायण, महाभारत पर नाटक चलते है। कहानी लिखी जाती है। इस महोत्सव में महान कवियों का संगम देखने को मिला है। महाभारत के दौरान पांडवों के पांचो भाइयों के नाम में ही देश की पांच समस्याओं का समाधान मिलता है। प्रधानमंत्री तो बहुत हुए परंतु देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमालय को पिता की संज्ञा दी और गंगा को अपने मां की संज्ञा देकर उसमें स्नान किया। जिससे देश-विदेश में हमारी संस्कृति का संदेश गया। जिसकी सराहना भी होती है।
टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान के कुलाधिपति प्रोफेसर डीपी सिंह ने कहा कि हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमें वैश्विक नागरिक बनाने की ओर ले जाती है। हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहना होगा। यह देवभूमि एक नई ऊर्जा देने वाली भूमि है। उन्होंने लेखको से अपील करी की वह यहां की पीड़ा, यहां की उपलब्धियां को केंद्र में रखकर लेखन लिखें और यहां की समस्याओं के समाधान कैसे हो सकते हे उसे भी अपनी कलम के जरिए बताए । पूर्व मुख्यमंत्री एवं लेखक गांव के संरक्षक डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि लेखक गांव देश ही नहीं विश्व के भी साहित्यकारों,कवि, लेखक को जोड़ने का एक माध्यम बनेगा। इस अवसर पर विदुषी निशंक, श्रेयसी निशंक, बालकृष्ण चमोली, सुभाष भट्ट आदि देश विदेश से आए साहित्यकार रचनाकार मौजूद रहे।
नारी को वंदन करने का मोदी ने अवसर दिलाया है
डोईवाला - भारत सरकार के कानून एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि वह मंत्री होने के साथ ही लेखक,कवि और संगीतकार भी है। उन्होंने संसद में पास हुए महिला बिल पर कविता गाकर सुनायी और कहा कि 'एक अटके हुए बिल को संसद से पास कराया है, उस बिल पर सर्वसम्मति बनाकर इतिहास रचाया है। नारी को वंदन करने का मोदी ने अवसर दिलाया है।'
जिसमें उन्होंने कहा कि 40 साल से जो बिल संसद में अटका हुआ था और एक बार संसद में पेश होने पर उसे फाड़ भी दिया गया। परंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई संसद में उस बिल को पास कराया । जिससे महिलाओं को भी बराबरी का अधिकार मिल सके। वहीं उन्होंने मीरा की पीड़ा को रखते हुए 'भई मैं तो प्रेम दीवानी मेरी पीड़ा न जाने कोई' गीत सुना कर भी दर्शकों की तालियां बटोरी।
साइंस और इंजीनियरिंग को आध्यात्म से जोड़ना जरूरी - पंत
डोईवाला - आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर कमल किशोर पंत ने कहा की वर्तमान दौर में साइंस और इंजीनियरिंग को आध्यात्म से जोड़ना जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टेक्नोलॉजी बढ़ाने का मतलब यह नहीं कि हम सड़क, बिल्डिंग बनाएं। बल्कि इसका मतलब यह है कि दूरस्थ क्षेत्र में अध्यात्म और तकनीक को आगे बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि आज का युवा व उसके माता पिता पैकेज पर तवज्जो देते है। पैकेज महत्वपूर्ण नहीं है। हमारा बच्चा समाज को अपनी शिक्षा से क्या दे पाएगा यह ज्यादा जरूरी है और असली शिक्षा भी यही है।
तभी हम विकसित भारत का सपना सच कर पाएंगे। इसके लिए हमें महिलाओं की भागीदारी आगे बढ़ानी होगी। आज का युवा कहीं भी रहे पर अपने माता-पिता का सम्मान जरूर करे। यह शिक्षा हमें आज के युवाओं को देनी है। वर्तमान में फैमिली कल्चर समाप्त होता जा रहा है इसे हमें संजोकर रखना होगा। ज्ञान को सही दिशा में ले जाना ही छात्रों, विद्वानों व शिक्षकों का कार्य है। आज प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में किसानों की कई परेशानियां हैं उन्हें हमें मिलजुल कर दूर करना होगा। लोकल फोर वोकल को हमें बढ़ाना होगा। कलम की ताकत को कोई तोड़ नहीं सकता। इसके जरिए हमें गांवो को सवारने की जरूरत है। जिससे कि हम पलायन को रोक सके।
सूर्य नमस्कार करने वाले लोग आज चांद पर चमत्कार कर रहे हैं - स्वामी चिदानंद सरस्वती
डोईवाला - परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा की जीवन को जो संभाल कर रखता है। वह जीवन का संगीत है। जिस पुस्तक को लिखने में लेखक की जवानी चली जाती है। जिसे लिखने के लिए वह ना रात देखता है ना दिन देखता है। तब एक किताब तैयार होती है। यही किताबें लोगों का जीवन भी बदल देती है। अटल जी के सपने को लेखक गांव का निर्माण कर निशंक ने साकार किया है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था की सोच बदलो सब बदल जाएगा जो समाज केवल अपने लिए जीता है। स्वार्थ के लिए जीता है। उस समाज को मेरे देश के लेखक एक दिशा दे सके। इसलिए इस लेखक गांव का जन्म हुआ है। उन्होंने कहा कि आज यह गांव पूरे विश्व में रोशनी देगा। हमें एक वैचारिक दिए की जरूरत है।
आज भले ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जमाना हो परंतु हिमालय में ऋषि इंटेलिजेंस ही काम आएगी। आज सूर्य नमस्कार करने वाले लोग ही चांद पर चमत्कार कर रहे है। स्थिति कैसी भी हो पर अपने मूल को नहीं छोड़ना चाहिए। अपने घरों में अपनी संस्कृति को बचाए रखना जरूरी है। आज देश को प्रदूषण से बचाने के लिए कार्य करना होगा। जितने पटाखे हम जलाएं उससे अधिक पेड़ लगाने की आज जरूरत है। सनातन को लेकर आज अपशब्द कहे जा रहे है। परंतु वह लोग यह नहीं जानते कि सनातन सर्व समावेशी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटीयो को आगे बढ़ाने के लिए कार्य किया है जो काबिले तारीफ है। हमें देश को नशे के बढ़ते जंजाल से भी बचाना होगा।

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