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    Uttarakhand News: कांग्रेस की तू-तू मैं-मैं जुबां से गिरकर गिरेबां तक पहुंची

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 11:57 PM (IST)

    परिवार या राजनीति, पीढ़ियों का बदलाव मुश्किल कष्टकारी होता है। इस समय उत्तराखंड कांग्रेस भी पीढ़ी परिवर्तन की ऐसी ही पीड़ा से गुजर रही है। नई पीढ़ी को बागडोर सौंपे जाने के बाद से शुरू जुबानी जंग तेज होती जा रही है। एक तरफ हैं वयोवृद्ध नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तो वहीं, दूसरी ओर गणेश गोदियाल की अगुआई में गठित नई टीम।

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    पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और विधायक व पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह।

    विकास गुसाईं, जागरण देहरादून: परिवार हो या राजनीति, पीढ़ियों का बदलाव हमेशा मुश्किल भरा और कष्टकारी होता है। खासकर, नई पीढ़ी के दमखम और जोश को देखकर पुरानी पीढ़ी कहीं न कहीं दुख या पीड़ा का अहसास करती है। उत्तराखंड कांग्रेस भी इस समय पीढ़ी परिवर्तन की ऐसी ही पीड़ा से गुजर रही है। नई पीढ़ी को बागडोर सौंपे जाने के बाद से शुरू हुई जुबानी जंग लगातार तेज होती जा रही है। एक तरफ वयोवृद्ध नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हैं तो दूसरी तरफ गणेश गोदियाल की अगुआई में गठित नई टीम है।

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    कांग्रेस हाईकमान ने वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों के दृष्टिगत पार्टी के प्रांतीय नेतृत्व में परिवर्तन किया है। साढ़े तीन साल के अंतराल के बाद एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस की कमान युवा कांग्रेसियों के बीच लोकप्रिय माने जाने वाले पूर्व विधायक गणेश गोदियाल को सौंपी गई है।

    वहीं, पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत को चुनाव प्रबंधन समिति और विधायक व पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह को चुनाव प्रचार समिति की कमान दी गई है। उत्तराखंड में अभी तक कांग्रेस की धुरी रहे हरीश रावत को फिलहाल कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है। इसका असर कहीं न कहीं कांग्रेस में नजर भी आ रहा है। गणेश गोदियाल तो फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन प्रीतम सिंह व हरक सिंह रावत खासे मुखर है।

    हरक सिंह रावत ने नया पद संभालने के बाद एक बयान में कहा कि आने वाले चुनाव में पार्टी केवल जिताऊ उम्मीदवारों को ही टिकट देगी, फ्यूज कारतूसों पर दांव नहीं खेलेगी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए हरीश रावत ने कहा कि दुश्मन को गिराने में जो कारतूस काम आया है, उसका फ्यूज खोखा भी महत्वपूर्ण होता है।

    इसके बाद हरीश रावत की कसक एक बार फिर तब नजर आई जब उन्होंने खुद को बूथ अध्यक्ष से लेकर पार्टी एजेंट बनाने तक का आग्रह कर डाला। इसके बाद उन्होंने पार्टी व अन्य राजनीतिक दलों में विष पुरुष होने की बात कह डाली।

    हरदा के इन बयानों के संबंध में एक पत्रकार के सवाल पर प्रीतम सिंह ने उन्हें अपने गिरेबां में झांकने की नसीहत दे डाली। पत्रकार ने प्रीतम से हरदा के विष पुरुष संबंधी बयान पर सवाल पूछा था। इस पर प्रीतम ने कहा कि सभी को अपने गिरेबां में झांकना चाहिए। जब व्यक्ति अपने गिरेबां में झांकता है तब वह आगे बढ़ता है।

    पार्टी में कोई विष पुरुष नहीं है। गणेश गोदियाल व प्रीतम सिंह को हरीश रावत का नजदीकी माना जाता रहा है। यद्यपि, हरीश रावत ने जब प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली तो उसके बाद उनके कई नजदीकी उनसे दूर चले गए। वर्ष 2016 में जब कांग्रेस में बगावत हुई तो उनका व हरक सिंह रावत के बीच छत्तीस का आंकड़ा हो गया था। हरक सिंह रावत कांग्रेस में वापसी कर महत्वपूर्ण दायित्व पा चुके हैं तो अब दोनों के बीच जुबानी जंग नजर आ रही है।

    कांग्रेस के भीतर चल रही इस जुबानी जंग के बीच चुनावी तैयारियां कहां तब परवान चढ़ेगी और केंद्रीय नेतृत्व इसे कितनी गंभीरता से लेगा यह देखने वाली बात होगी। फिलहाल, हर बात का जवाब देने वाले हरीश रावत का प्रीतम सिंह के बयान पर जवाब आना बाकी है। देखना यह है कि अब जुबां व गिरेबां से गिरकर यह बात कहां तक जाएगी।

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