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    उत्तराखंड में इनवेस्‍ट करने वालों के लिए राहत, 'सुरक्षा ढाल' बनेगा बिल्डरों पर सरकार का 'प्रहार'

    Updated: Wed, 26 Nov 2025 02:40 PM (IST)

    उत्तराखंड सरकार निवेशकों के लिए राहत लेकर आई है। बिल्डरों पर 'प्रहार' करके निवेशकों के हितों की रक्षा की जाएगी। यह कदम राज्य में निवेश के माहौल को बेहतर बनाएगा और निवेशकों का भरोसा बढ़ाएगा। सरकार निवेशकों को हर संभव सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है।

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    सरकार के कदम से निवेशकों को मिलेगी राहत। प्रतीकात्‍मक

    अंकुर अग्रवाल, देहरादून। रियल एस्टेट सेक्टर में लंबे समय से चल रही अव्यवस्थाओं और निवेशकों के साथ हो रही ठगी पर अब प्रभावी रोक लगने की उम्मीद है। सरकार द्वारा तैयार की जा रही नई नियमावली से न केवल निवेशकों को राहत मिलेगी, बल्कि शहर में बेतरतीब निर्माण व अवैध बिल्डर फ्लोर की बढ़ती समस्या पर भी लगाम कसेगी।रियल एस्टेट सेक्टर में बढ़ती ठगी, अधूरे प्रोजेक्ट और निवेशकों के पैसे अटकने जैसी समस्याओं को देखते हुए सरकार जो नया कदम उठाने जा रही है, उससे हजारों निवेशकों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। बिल्डरों की मनमानी पर लगाम लगाने व उपभोक्ताओं का हित सुरक्षित रखने के लिए तैयार की जा रही नई नियमावली अब निवेशकों की ''''सुरक्षा ढाल'''' बनकर सामने आएगी।

    सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब किसी भी निवेशक का पैसा बिना सुरक्षा के बिल्डरों के हाथ में नहीं जाएगा। नए प्रविधानों के लागू होते ही बिल्डरों के लिए पारदर्शिता, जवाबदेही और वित्तीय अनुशासन कायम रखना अनिवार्य हो जाएगा। दरअसल, सरकार को यह कदम देहरादून में पिछले दिनों बिल्डर शाश्वत गर्ग के फरार होने के बाद उठाना पड़ा है। दून-मसूरी रोड पर आरकेडिया हिलाक्स सोसाइटी के नाम से बन रही परियोजना में निवेशकों व बैंकों के करोड़ों रुपये लेकर बिल्डर शाश्वत गर्ग परिवार समेत फरार हो गया। इससे पांच वर्ष पहले देहरादून में ही पुष्पांजलि बिल्डर भी करोड़ों रुपये हड़पकर फरार हो गया था।

    शहर में निवेश के नाम पर कई बिल्डरों द्वारा फर्जी वादे करने, तय नक्शे से अलग निर्माण करने और सुविधाओं को लेकर भ्रमित करने की शिकायतें लगातार बढ़ रही थीं। कई उपभोक्ताओं ने अपनी जीवन भर की जमा-पूंजी से खरीदे घरों में पार्किंग और संरचना से जुड़ी समस्याओं का सामना किया है। इन घटनाओं और करोड़ों ठगकर फरार हो रहे बिल्डरों को रोकने के लिए सरकार ने कड़ा ढांचा तैयार करने की शुरुआत की है। सरकार अब यह व्यवस्था बनाने जा रही, जिसमें बिल्डर फरार नहीं हो पाएंगे। शहर में कई ऐसे प्रोजेक्ट सामने आए, जहां बिल्डरों ने करोड़ों रुपये लेकर न तो निर्माण पूरा किया और न ही निवेशकों को पैसा लौटाया। कई बिल्डर शहर छोड़कर गायब ही हो गए। इसके चलते निवेशकों को आर्थिक व मानसिक रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ा है। सरकार की नई नियमावली इन घटनाओं पर अंकुश लगाएगी एवं सुरक्षित निवेश का वातावरण बनाएगी।

    निवेशकों को सबसे बड़ी राहत, अब नहीं फंसेगा पैसा
    शहर में कई प्रोजेक्ट ऐसे हैं जहां बिल्डरों ने निवेशकों के लाखों-करोड़ों रुपये अटका दिए। नई व्यवस्था में न केवल निवेशकों की धनराशि सुरक्षित रहेगी, बल्कि प्रोजेक्ट समय पर पूरे होने की संभावना मजबूत होगी। इसी के साथ तय समय-सीमा में घर मिलने की गारंटी भी रहेगी। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी का कहना है कि नियमावली बनने के बाद न केवल निवेशकों की परेशानी कम होगी, बल्कि शहर की भविष्य की विकास योजना भी मजबूत और संतुलित होगी।

    शहर की व्यवस्था सुधरेगी, रुकेगा अवैध निर्माण
    देहरादून में लंबे समय से बिना अनुमति के फ्लोर बढ़ाने, स्टिल्ट पार्किंग पर कब्जा करने के साथ पड़ोसियों के अधिकारों का उल्लंघन करने जैसी समस्याएं बढ़ रही थीं। हालांकि, एमडीडीए ने इसका संज्ञान लेकर न केवल बिल्डर फ्लोर दो मंजिल से अधिक बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है बल्कि स्टिल्ट पार्किंग भी अनिवार्य कर दिया है। नई नियामवली में नक्शे से हटकर निर्माण पर तुरंत कार्रवाई होगी, पार्किंग और सार्वजनिक स्थानों पर कब्जा रोकने में मदद मिलेगी और शहर की यातायात और रहन-सहन व्यवस्था भी सुधरेगी।

    आनलाइन पारदर्शिता से बढ़ेगा भरोसा
    प्रोजेक्ट की अनुमति से लेकर निर्माण की स्थिति तक की जानकारी आनलाइन उपलब्ध होगी। इससे निवेशक आसानी से पता कर सकेंगे कि जिस प्रोजेक्ट में वे पैसा लगा रहे हैं, उसकी वास्तविक स्थिति क्या है। नियमावली में एक समर्पित शिकायत निस्तारण सेल बनाने का भी प्रस्ताव है। इससे निवेशक अपनी समस्या सीधे दर्ज करा सकेंगे और कार्रवाई भी समयबद्ध होगी। यह नियमावली न केवल निर्माण कार्यों को सुव्यवस्थित करेगी, बल्कि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा भी सुनिश्चित करेगी।

    पूरी तरह एक्शन मोड में आया एमडीडीए
    घर खरीदने वालों को ठगी, भ्रमित करने वाले दावों और अवैध निर्माण की मार से बचाने के लिए अब एमडीडीए पूरी तरह सक्रिय हो गया है। शहर में बिल्डर गतिविधियों में तेजी से बढ़ रही अनियमितताओं को देखते हुए अब बिल्डर लाबी को किसी तरह की राहत नहीं मिलती दिख रही। शहर में बिल्डर फ्लोर संस्कृति के तेजी से बढ़ने, अवैध अतिरिक्त निर्माण, पार्किंग पर कब्जा, बिना अनुमति मंजिलें खड़ी करना, नक्शों में मनमानी जैसी समस्या लगातार सामने आ रही हैं। प्राधिकरण को शिकायतें मिल रही थीं कि कई बिल्डर निवेशकों को अलग तरह की सुविधाओं का वादा करते हैं, लेकिन कब्जा देते समय स्थिति पूरी तरह अलग निकलती है। अब इन घटनाओं को रोकने के लिए नियमों को और सख्त व स्पष्ट बनाने की तैयारी है।

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    नई नियमावली में तुरंत कार्रवाई का होगा प्रविधान

    दो मंजिल से अधिक निर्माण पर रोक: एमडीडीए पहले ही आदेश कर चुका है कि दो से अधिक मंजिल वाले बिल्डर फ्लोर पूरी तरह प्रतिबंधित रहेंगे। नई नियमावली में इस प्रविधान को कानूनी ताकत दी जाएगी एवं बिना अनुमति अतिरिक्त मंजिल बनाने पर तुरंत कार्यवाई और निर्माण सील करने का प्रविधान होगा।

    स्टिल्ट पार्किंग को अनिवार्य: शहर में पार्किंग संकट लगातार बढ़ रहा है। कई बिल्डर स्टिल्ट पार्किंग दिखाकर बाद में उसमें कमरे बना देते हैं। नियमावली में यह स्पष्ट होगा कि स्टिल्ट पार्किंग का उपयोग किसी भी स्थिति में आवासीय या व्यावसायिक निर्माण के लिए नहीं किया जा सकेगा। उल्लंघन पर भारी जुर्माना और एफआइआर तक की कार्रवाई होगी।

    आनलाइन नक्शा सत्यापन और पारदर्शिता: खरीदारों की सुविधा के लिए एक पोर्टल बनाया जा रहा है। कोई भी व्यक्ति यहां जाकर किसी भी प्रोजेक्ट का नक्शा, अनुमति, निर्माण स्थिति और बिल्डर की प्रोफाइल देख सकेगा। इससे नकली अनुमतियों और गलत जानकारी देने पर रोक लगेगी।

    नक्शे से हटकर निर्माण पर सीधे मामला दर्ज: अब तक अधिकतर मामलों में नोटिस देकर कार्रवाई धीमी पड़ जाती थी। नई व्यवस्था में स्वीकृत नक्शे से अलग निर्माण मिलने पर नोटिस के साथ-साथ तुरंत मुकदमा दर्ज करने की प्रक्रिया तय होगी। इससे बिल्डरों में जवाबदेही बढ़ेगी।

    अनिवार्य एग्रीमेंट और समयबद्ध हैंडओवर: कई मामलों में बिल्डर मौखिक वादों पर निर्माण बेच देते हैं। नई नियमावली में एग्रीमेंट को अनिवार्य किया जाएगा, जिसमें फ्लोर प्लान, निर्माण गुणवत्ता, सुविधाएं और हैंडओवर की तिथि स्पष्ट रूप से दर्ज होगी। समय-सीमा में देरी पर बिल्डर को पेनाल्टी देनी होगी।

    निगरानी के लिए विशेष निरीक्षण टीम: एमडीडीए और प्रशासन की संयुक्त टीम निर्माण के दौरान मौके पर अलग-अलग चरणों में निरीक्षण करेगी। इससे घटिया सामग्री उपयोग और सुरक्षा मानकों के उल्लंघन पर तुरंत रोक लगेगी और पारदर्शी निर्माण की उम्मीद बढ़ेगी।

    नई नियमावली लागू होने के बाद शहर में बिल्डिंग निर्माण से जुड़ी मनमानी पर पूरी तरह लगाम लगेगी। उपभोक्ताओं को सुरक्षित और पारदर्शी व्यवस्था मिलेगी, जबकि बिल्डरों को हर चरण में नियमों का पालन करना होगा।
    - बंशीधर तिवारी, उपाध्यक्ष एमडीडीए