प्रति सौ सड़क दुर्घटनाओं में मौत के मामले में छठे स्थान पर उत्तराखंड, मृत्यु दर चिंताजनक
उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु दर चिंताजनक रूप से बढ़ रही है, जिससे राज्य देश में छठे स्थान पर है। पहाड़ी क्षेत्रों में स्थिति और भी गंभीर है, जहां प्रति 100 दुर्घटनाओं में लगभग 105 लोगों की जान जा रही है। चालकों की लापरवाही, तेज गति और सुरक्षा उपायों की कमी दुर्घटनाओं के मुख्य कारण हैं। सरकार सड़क सुरक्षा को लेकर कई कदम उठा रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर इनका असर कम दिख रहा है।

उत्तराखंड में हर 100 दुर्घटना में हो रही है 69 व्यक्तियों की मौत
विकास गुसाईं, जागरण, देहरादून। उत्तराखंड में सड़कों पर वाहन दुर्घटना घातक साबित हो रही हैं। यहां दुर्घटनाओं की संख्या के साथ ही इनमें होने वाली मौत का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। स्थिति यह है कि उत्तराखंड प्रति सौ सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु के मामले में छठे स्थान पर है, जबकि उत्तराखंड जैसी समान भौगोलिक परिस्थिति वाला हिमाचल इस मामले में 20वें स्थान पर है।
स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाली 100 दुर्घटनाओं में तकरीबन 105 व्यक्तियों की मौत होती है। यद्यपि प्रति 100 दुर्घटनाओं में पूरे राज्य का औसत 69.53 प्रतिशत है। वहीं राष्ट्रीय औसत 36 प्रतिशत है।
उत्तराखंड में सड़क सुरक्षा को लेकर लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन धरातल पर इसका असर नहीं नजर आ रहा है। स्थिति यह है कि वर्ष 2023 में प्रदेश में 1691 दुर्घटनाएं हुईं। वर्ष 2024 में यह आंकड़ा बढ़ कर 1747 पहुंच गया। इस वर्ष शुरुआती सात महीने यानी जुलाई तक ही प्रदेश में 1184 सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इसमें भी 717 व्यक्तियों की मौत हो चुकी हैं।
यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। प्रति सौ दुर्घटनाओं में मौत के मामले में उत्तराखंड छठे स्थान पर है। इस सूची में नागालैंड पहले, बिहार दूसरे और तीसरे स्थान पर झारखंड है। चौथे स्थान पर पंजाब और पांचवें स्थान पर मेघालय है। केंद्र सरकार के इलेक्ट्रानिक डिटेल्ड एक्सीडेंट रिपोर्ट (ई-डीएआर) में इसका जिक्र किया गया है।
अपर आयुक्त परिवहन एसके सिंह का कहना है कि सड़क सुरक्षा को लेकर लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। दुर्घटनाओं को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण
वाहन दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण चालक की लापरवाही के रूप में सामने आया है। इसमें तेज रफ्तार, रेड लाइट जंप करना, चालक का ध्यान भटकना व थका होना शामिल है। पर्वतीय क्षेत्रों में तेज मोड़, तेज रफ्तार और क्रैश बैरियर का न होना भी दुर्घटना में अधिक मौत का कारण बन रहे हैं।
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क्या उठाए जा रहे हैं कदम
सड़कों को सुरक्षित करने के लिए क्रैश बैरियर लगाने की कवायद, चालकों को आठ घंटे से अधिक के सफर के बाद विश्राम की व्यवस्था, सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। अब तेज रफ्तार व रेड लाइट जंप करने पर लाइसेंस निरस्त करने की भी तैयारी है।
इस वर्ष जुलाई तक हुई दुर्घटनाओं का विवरण
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