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    Uttarakhand Weather Update: उत्तराखंड में बदला मौसम, ऊंची पहाड़ियों पर बर्फबारी और हल्की बारिश

    By Jagran NewsEdited By: Anil Pandey
    Updated: Wed, 11 Jan 2023 09:48 AM (IST)

    उत्तराखंड में कई दिनों से मौसम शुष्क बना हुआ था जहां कल तक चटख धूप फौरी राहत दे रही थी वहीं आज से मौसम करवट ले ली है। ऊंची चोटियों पर बर्फबारी के साथ साथ हल्की बारीश की जानकारी मिल रही है।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकातमक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है।

    ऑनलाइन डेस्क, देहरादून: उत्तराखंड में कई दिनों से मौसम शुष्क बना हुआ था जहां कल तक चटख धूप फौरी राहत दे रही थी वहीं आज से मौसम करवट ले ली है। ऊंची चोटियों पर बर्फबारी के साथ साथ हल्की बारीश की जानकारी मिल रही है। मौसम विभाग के अनुसार, प्रदेश में तापमान तेजी से गिरा है। उत्तरकाशी के गंगोत्री-यमुनोत्री धाम सहित ऊंची पहाड़ियों पर बर्फबारी शुरू हो गई है। जिला मुख्यालय और आसपास के क्षेत्र में हल्के बादल छाए हुए हैं। इधर पहाड़ों पर हुई बर्फबारी के कारण मैदानी क्षेत्रों में अगले कुछ दिन शीत का प्रकोप बढ़ सकता है। खासकर हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिले में कड़ाके की ठंड पड़ सकती है। प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में चटख धूप खिलने से तापमान सामान्य से अधिक बना हुआ था हालांकि, सुबह-शाम कंपकंपी बरकरार थी।

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    जनवरी के पहले सप्ताह में मौसम सामान्य बने रहने के बाद अब एक बार फिर मौसम करवट बदल सकता है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, ताजा पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से उत्तराखंड में वर्षा और बर्फबारी के आसार बन रहे हैं। आज से अगले तीन दिन प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में आंशिक से लेकर आमतौर पर बादल छाए रह सकते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में वर्षा के एक से दो दौर होने की संभावना है। जबकि, 3000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर हिमपात हो सकता है। अगले दो दिन हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में कोहरे से कुछ राहत रह सकती है। देहरादून में अगले तीन दिन आंशिक बादल छाने और हल्की वर्षा की संभावना है।

    जोशीमठ में दुश्वारियां बढ़ा सकता है मौसम

    मौसम विभाग के अनुसार, चमोली जिले में अगले तीन दिन बादलों का डेरा रह सकता है। जोशीमठ में हल्की से मध्यम वर्षा होने के आसार हैं। चोटियों पर बर्फबारी और निचले इलाकों में वर्षा से कड़ाके की ठंड पड़ सकती है। जिससे भूधंसाव प्रभावितों की दुश्वारियां बढ़ सकती हैं। इसके अलावा भूधंसाव वाले क्षेत्रों में वर्षा होने से धंसाव का दायरा बढ़ने की भी आशंका है।