उत्तराखंड के अभिषेक का हरित मंत्र, कचरे से तैयार किया स्वदेशी बायो एंजाइम क्लीनर
उत्तराखंड के रुड़की में, बीटेक छात्र अभिषेक कुमार ने फल के छिलकों से 'अनघा क्लीनर्स' नामक एक स्वदेशी बायो एंजाइम क्लीनर विकसित किया है। यह स्टार्टअप, जिसे आईआईटी रुड़की और उत्तराखंड सरकार से सराहना मिली है, रासायनिक प्रदूषण के खिलाफ एक प्रभावी समाधान प्रदान करता है। अभिषेक ने 10 टन फल अपशिष्ट को पुनर्चक्रित करके 1,000 से अधिक परिवारों को जोड़ा है और जल संरक्षण में योगदान दिया है।

पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी से सम्मान पाते हुए युवा अभिषेक कुमार। साभार स्वयं
शैलेंद्र गोदियाल, जागरण हरिद्वार। मौसमी, कीनू, नींबू व संतरे के जिन छिलकों को लोग कचरा मानकर कूड़ेदान में फेंक देते हैं, क्वांटम यूनिवर्सिटी रुड़की में बीटेक के छात्र अभिषेक कुमार को उन छिलकों में भविष्य की उम्मीद नजर आई। उन्होंने इन छिलकों से स्वदेशी बायो एंजाइम क्लीनर तैयार किया और उसे नाम दिया ‘अनघा क्लीनर्स’, जिसने सफाई की परिभाषा ही बदल डाली। यह ऐसा क्लीनर है, जिसने रासायनिक प्रदूषण से कराहती प्रकृति को एक प्रभावी समाधान दिया है।
स्वच्छता, स्वास्थ्य और प्रकृति की रक्षा के संकल्प से प्रेरित 21-वर्षीय उद्यमी अभिषेक ने दो वर्ष पूर्व हरिद्वार जिले के भगवानपुर में ‘अनघा क्लीनर्स’ नाम से एक स्टार्टअप की शुरुआत की। इस स्टार्टअप की सराहना उत्तराखंड सरकार और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की दोनों ने की है।
उत्पाद की गुणवत्ता और प्रभावशीलता को देखते हुए आइआइटी रुड़की ने उन्हें पांच लाख रुपये और उत्तराखंड सरकार ने एक लाख रुपये की अनुदान राशि प्रदान की। इससे उन्हें उत्पादन को और बेहतर बनाने व लोगों तक पहुंचाने में सहूलियत मिलेगी। वर्तमान में ‘अनघा क्लीनर्स’ के उत्पादों का उपयोग आइआइटी रुड़की के कुछ कार्यालयों, अधिकारी आवास और कई प्रतिष्ठित होटल, सिडकुल व भगवापुर के औद्योगिक संस्थानों में किया जा रहा है।
प्रकृति से प्रेरित नवाचार
अभिषेक की प्रेरणा वर्ष 2020 में तब मिली, जब उन्होंने केमिकलयुक्त क्लीनर्स से होने वाले त्वचा रोगों पर एक रिपोर्ट पढ़ी। रुड़की आने के बाद उन्होंने एक बालक को गंभीर एक्जिमा से पीड़ित देखा, जिसे चिकित्सकों ने रासायनिक उत्पादों से दूर रहने की सलाह दी थी। औद्योगिक क्षेत्र भगवानपुर में नदी में गिरते विषैले अपशिष्ट देखे, जिसने उनके भीतर परिवर्तन का बीज बो दिया।
अभिषेक ने लगभग एक वर्ष तक शोध कर पाया कि खट्टे फलों यानी मौसमी, कीनू, नींबू व संतरे के छिलकों के किण्वन से उत्पन्न बायोएंजाइम रासायनिक क्लीनर्स का स्वदेशी और पर्यावरण हितैषी विकल्प बन सकते हैं। इन एंजाइमों में ऐसी प्राकृतिक क्षमता होती है, जो चिकनाई, बैक्टीरिया और जैविक गंदगी को आणविक स्तर पर तोड़ देती है, वह भी बिना किसी हानिकारक प्रभाव के।
करीब डेढ़ वर्ष तक रिसर्च करने के बाद वर्ष 2023 में अभिषेक ने ‘अनघा क्लीनर्स’ को एक पंजीकृत स्टार्टअप के रूप में स्थापित किया। फिर वर्ष 2024 में मात्र एक लाख रुपये के शुरुआती ऋण से भगवानपुर में इसका उत्पादन शुरू किया। उन्होंने बताया कि 100 एमएल ‘अनघा क्लीनर्स’ मात्र 50 रुपये में उपलब्ध है, जिससे तीन लीटर फ्लोर क्लीनर तैयार किया जा सकता है।
स्वदेशी तकनीक का उत्पाद
अभिषेक कुमार ने बताया कि ‘अनघा क्लीनर्स’ की विशिष्टता इसकी स्वदेशी तकनीक में है। खट्टे फलों के छिलकों से तैयार बायोएंजाइम सफाई में प्रभावी होने के साथ जल और मिट्टी के सूक्ष्मजीवी संतुलन को भी बनाए रखते हैं। ये क्लीनर टाक्सिन-फ्री, बायोडिग्रेडेबल और त्वचा के लिए सुरक्षित हैं। इनके प्रयोग से जल प्रदूषण में कमी आती है और नदियों की जैविक शुद्धता बनी रहती है। अनघा क्लीनर्स को बेहतर बनाने के लिए उन्होंने नीम, दालचीनी, गुड़, लौंग, हल्दी आदि उपयोग भी किया है।
15 टन फल अपशिष्ट को किया पुनर्चक्रित
अभिषेक कुमार कहते हैं कि अब तक ‘अनघा क्लीनर्स’ ने 1,000 से अधिक परिवारों को अपने उत्पादों से जोड़ा है। पांच लोगों को रोजगार दिया है। कंपनी ने दो वर्ष के अंतराल में 10 टन फल अपशिष्ट को पुनर्चक्रित कर बायोएंजाइम क्लीनर में परिवर्तित किया है, जिससे जैविक कचरे में कमी आई है।
इन क्लीनरों के प्रयोग से अब तक पांच लाख लीटर से अधिक जल की बचत हुई है, जबकि ईको-फ्रेंडली पैकेजिंग से 250 किलोग्राम प्लास्टिक कचरे को लैंडफिल में जाने से रोका गया है। वह रुड़की व सहारनपुर के जूस कार्नर और फैक्ट्रियों से संकलित छिलकों को पांच रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदते हैं। इससे जूस संचालकों को भी लाभ हुआ है। अभिषेक का लक्ष्य वर्ष 2026 तक 20 टन छिलके एकत्र कर उत्पादन को और विस्तृत करना है।
अभिषेक को मिले हैं कई सम्मान
मूलरूप से राजेंद्र नगर, पटना (बिहार) निवासी अभिषेक कुमार ने 12वीं की पढ़ाई के बाद वर्ष 2022 में उत्तराखंड के रुड़की आए। उनके पिता मिथलेश कुमार रेलवे कर्मचारी हैं और माता श्वेता कुमारी गृहिणी। पारिवारिक सादगी में पले अभिषेक ने अपनी दृष्टि और परिश्रम से यह मुकाम हासिल किया, जिसे उत्तराखंड में सराह गया है। अभिषेक के ‘अनघा क्लीनर्स’ को स्टार्टअप उत्तराखंड ग्रैंड चैलेंज में विजेता स्थान प्राप्त हुआ। अभिषेक को क्वांटम यूनिवर्सिटी की ओर से एंटरप्रेन्योर आफ द ईयर, आइआइटी रुड़की जेनेसिस प्रोग्राम विजेता, आइआइएम काशीपुर बिजनेस गोल्ड मेडलिस्ट और शार्क टैंक इंडिया-2023 फाइनलिस्ट जैसी उपलब्धियां हासिल हुईं।
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