Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ...तो चिटफंड कंपनी के 800 करोड़ के घपले की जांच करेगी CBI, हाई कोर्ट ने याचिका को पीआइएल से किया संबद्ध

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 04:15 PM (IST)

    नैनीताल उच्च न्यायालय ने एलयूसीसी चिटफंड कंपनी के 800 करोड़ रुपये के घोटाले की सीबीआई जांच की याचिका को जनहित याचिका के साथ जोड़ दिया है। पीड़ितों ने आरोप लगाया कि कंपनी ने बिना पंजीकरण के कार्यालय खोले और निवेशकों को धोखा दिया। मुख्य आरोपी के दुबई भागने के बाद निवेशक अपनी डूबी हुई रकम के लिए परेशान हैं। अदालत ने सीबीआई से इस मामले पर राय मांगी थी।

    Hero Image
    चिटफंड कंपनी के 800 करोड़ के घपले की जांच करेगी सीबीआई. File

    जासं, नैनीताल। हाई कोर्ट ने प्रदेश के नागरिकों की 800 करोड़ रुपये से अधिक का चुना लगाकर फरार चिटफंड कंपनी एलयूसीसी से संबंधित मामले की सीबीआई जांच कराए जाने के मामले पर सुनवाई करते हुए इस मामले को पहले से चल रही जनहित याचिका के साथ संबद्ध कर दिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बुधवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ में सुनवाई के दौरान सीबीआई के अधिवक्ता की तरफ से कहा गया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो की ओर से निर्देश आ चुके हैं, जिसका उत्तर उनको कोर्ट में बताना है इसलिए इस मामले को भी पूर्व में विचाराधीन जनहित याचिका के साथ सुनवाई के लिए संबद्ध किया जाए। कोर्ट ने एजेंसी के बयान को स्वीकार करते हुए इसे जनहित याचिका के साथ सुनवाई के लिए भेज दिया।

    इस मामले में देहरादून ऋषिकेश सहित अन्य स्थानों के पीड़ितों की ओर से तरफ से याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया कि इस घोटाले की सीबीआई से जांच कराई जाय, पूर्व में इसी मामले दायर जनहित याचिका कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण एकलपीठ ने इस मामले को भी उसी के साथ सुनवाई के लिए खंडपीठ में भेज दिया है। पूर्व में कोर्ट ने सीबीआई के अधिवक्ता से पूछा था कि इसमें अपनी राय दें।

    क्या सीबीआई इस मामले की जांच कर सकती है ?

    ऋषिकेश निवासी आशुतोष ने जनहित याचिका की विचाराधीन है। जिसमें कहा गया है कि एलयूसीसी नामक चिटफंड कंपनी ने 2021 में प्रदेश के कई जिलों के लोगो को तमाम तरह के लाभ देने के मकसद से अपना कार्यालय देहरादून, ऋषिकेश सहित पौड़ी में खुलवाया। उसके बाद स्थानीय लोगो को अपना एजेंट नियुक्त किया।

    अभिकर्ताओं ने अपने करीबियों से कंपनी में निवेश के लिए प्रेरित किया, लोगों ने सहानुभूति दिखाकर निवेश भी किया जबकि राज्य में कंपनी ने सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत अपना पंजीकरण तक नहीं कराया। 2023 -24 में यह कंपनी कार्यालय बंद कर फरार हो गयी।

    निवेशकों की शिकायत पर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में 56 मुकदमे दर्ज हुए लेकिन पता चला कि मुख्य आरोपित दुबई भाग गया है। अब निवेशक अभिकर्ताओं को अपनी डूबी रकम दिलाने के लिए परेशान कर रहे है। पुलिस भी परेशान कर रही है। याचिका में कहा गया कि अगर राज्य सरकार के भीतर कोई बाहरी कंपनी बिना रजिस्ट्रेशन के कार्य कर रही है तो सोसाइटी के सदस्य कुंभ निंदा में थे।