उत्तराखंड के इस माता मंदिर में बढ़ी भक्तों की भीड़, महीने में पहुंच रहे करीब साढ़े चार लाख श्रद्धालु
रामनगर के गिरिजा मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है जहां रोजाना लगभग 15 हजार भक्त आ रहे हैं। वन विभाग को जनवरी से जून तक वाहनों से 21.24 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। यह राजस्व इको रिस्टोरेशन शुल्क के रूप में प्राप्त किया गया है जिसका उद्देश्य क्षेत्र को स्वच्छ रखना है और नुकसान की भरपाई करना है।

जासं, रामनगर। गिरिजा मंदिर में श्रद्धालुओं के आस्था की डोर मजबूत होती जा रही है। मंदिर तीर्थाटन के रूप में और तेजी से विकसित हो रहा है और पहले की तुलना में इस बार श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है। रोजाना मंदिर में लगभग 15 हजार श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। जनवरी से दस जून तक वन विभाग को श्रद्धालुओं के वाहनों से इको रिस्टोरेशन शुल्क के रूप में 21.24 लाख रुपये का राजस्व मिला है।
गिरिजा देवी मंदिर रामनगर का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां दूर दूर से श्रद्धालु मनोकामना के लिए पहुंचते हैं। उत्तराखंड व उत्तरप्रदेश के क्षेत्रों से लोग मंदिर पहुंचते हैं। पिछले कुछ समय से मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। इस साल पहले की तुलना में काफी श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है। एक अनुमान के मुताबिक रोजाना 15 हजार व महीने में साढ़े चार लाख से अधिक श्रद्धालु मंदिर पहुंच रहे हैं।
गिरिजा मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं से ईको रेस्टोरेशन शुल्क के रूप में वाहनों को वन क्षेत्र में खड़े करने का शुल्क लेता है। वन विभाग से मिले शुल्क के आंकड़ों के मुताबिक एक जनवरी से 31 मई तक 70 हजार छोटे बड़े वाहनों से वन विभाग को 18.66 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ।जबकि एक जून से दस जून तक करीब चार वाहनों से वन विभाग को 2.57 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ।
एक से दस जून के बीच में सबसे ज्यादा वन विभाग को 35200 रुपये सात जून को श्रद्धालुओं के वाहन से मिला। इसके अलावा जनवरी से मई तक सबसे ज्यादा मई माह में 5.11 लाख रुपये का शुल्क श्रद्धालुओं के वाहनों से प्राप्त हुआ।
गिरिजा मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के वाहनों से वन विभाग का बाइक से दस रुपये, कार तीस रुपये व बस से सौ रुपये ईको रिस्टोरेशन शुल्क तय है। शुल्क लेने का मकसद यह है कि लोगों की आवाजाही से उस क्षेत्र में जो नुकसान हो रहा है, उसकी भरपाई की जा सके।इसलिए वन विभाग श्रद्धालुओं के वाहनों से यह शुल्क ले रहा है। उस क्षेत्र को स्वच्छ रखा जा रहा है।
- दिगंथ नायक, डीएफओ, रामनगर वन प्रभाग

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