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    उत्तराखंड: अवैध प्रमाणपत्र रैकेट का भंडाफोड़, हल्द्वानी में सोसाइटी के नाम पर चल रहा था खेल

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 08:41 PM (IST)

    हल्द्वानी में स्थायी प्रमाणपत्र सत्यापन अभियान के दौरान प्रशासन ने एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है। एक अवैध प्रमाणपत्र गिरोह चलाने वाली संस्था के रिकॉर्ड जब्त किए गए हैं, जिसके संचालक पर प्राथमिकी के निर्देश दिए गए हैं। जांच में पता चला कि रईस अहमद अंसारी नामक व्यक्ति 2007 से अवैध रूप से प्रमाणपत्र जारी कर रहा था। प्रशासन ने ऐसे प्रमाणपत्रों का उपयोग करने वालों पर भी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

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    प्रशासन की जांच में खुला अंजुमन मोमिन अंसार आजाद नगर नाम की संस्था का यह कारनामा. Concept Photo

    जागरण संवाददाता, हल्द्वानी ! स्थायी प्रमाणपत्र सत्यापन अभियान के दौरान प्रशासन ने शहर में एक और बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है। अवैध प्रमाणपत्र गिरोह संचालित करने वाली अंजुमन मोमिन अंसार, आजाद नगर, नैनीताल के रिकार्ड जब्त कर लिए हैं। वर्षों से अवैध प्रमाणपत्र जारी कर रही संस्था के कथित संचालक पर प्राथमिकी के निर्देश दिए गए हैं। इस गोरखधंधे का भंडाफोड़ होने के बाद प्रमाण पत्र बनाने वालों में भी खलबली मच गई है।

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    कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के 13 नवंबर को बनभूलपुरा में छापा मारने और स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनाने वाले रैकेट का पर्दाफाश करने के बाद प्रशासन ने जांच तेज कर दी है। फर्जी स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनाने वाले फैजान मिकरानी के साथ ही प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले रईस व सहयेागी दीपक सिंह को गिरफ्तार किया था। इसके बाद डीएम ललित मोहन रयाल ने उपजिलाधिकारियों को स्थायी निवास प्रमाण पत्रों की जांच कर उचित कार्रवाई के निर्देश दिए।हल्द्वानी तहसील क्षेत्र में 200 प्रमाण पत्रों की जांच में 48 प्रमाण पत्र भी निरस्त कर दिए गए हैं।

    इसी जांच के दौरान शुक्रवार को सिटी मजिस्ट्रेट हल्द्वानी जीएस चौहान, एसडीएम हल्द्वानी राहुल साह व तहसीलदार कुलदीप पांडे की संयुक्त टीम साहूकारा लाइन स्थित सोसाइटी के आजाद नगर स्थित पते का भौतिक सत्यापन करने पहुंच गए लेकिन वहां कुछ नहीं मिला। पता चला कि रईस अहमद अंसारी साहूकारा लाइन में दुकान चलाता है। 2007 से इसी सोसाइटी के नाम पर बिना किसी अधिकार के प्रमाणपत्र जारी कर रहा था। एसडीएम ने बताया कि जांच के दौरान रईस अहमद ने मौके पर स्वीकार किया कि वह लंबे समय से प्रमाणपत्र बना रहा है।

    रिकार्ड सत्यापन में यह भी पुष्टि हुई कि सोसाइटी 2007 के बाद नवीनीकृत नहीं है। इसके अध्यक्ष व महासचिव का निधन हो चुका है और संस्था पूरी तरह निष्क्रिय है। इसके बावजूद फर्जी प्रमाणपत्रों का उपयोग कई लोग जाति, जन्म व निवास प्रमाणपत्र प्राप्त करने में कर रहे थे। जबकि सोसाइटी के पास ऐसा कोई कानूनी अधिकार नहीं है। टीम ने मौके से सभी दस्तावेज जब्त कर लिए हैं। एसडीएम ने तहसीलदार को निर्देश दिए हैं कि इन फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर जारी सभी जाति प्रमाणपत्रों की तत्काल जांच की जाए। साथ ही अवैध प्रमाणपत्र जारी करने में संलिप्त रईस अहमद के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

    ऐसे प्रमाण पत्रों का उपयोग करने वालों पर भी होगी होगी

    एसडीएम साह ने कहा कि जांच में यह भी सामने आया कि फर्जी संस्था की ओर से दी गई रसीद पर अंकित फोन नंबर पर संपर्क करने पर प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने की पुष्टि की जाती थी। अब ऐसे सभी प्रमाणपत्रों की पहचान की जा रही है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अवैध प्रमाणपत्र जारी करने और उनका उपयोग करने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।