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    कंबल वाले बाबा को बच्चों से था लगाव, देते थे चने की रोटी व गुड़; पढ़ें नीब करौरी महाराज के अनोखो किस्‍से

    नीम करौली बाबा की महिमा अपरंपार है कैंची धाम में हर दिन हजारों भक्त आ रहे हैं। 1977 की यादों को ताजा करते हुए सुरेन्द्र सिंह बताते हैं कि बाबा के धाम में भक्त गांवों में रहते थे विदेशी श्रद्धालु घरों में रुकते थे। स्कूल के बच्चे इंटरवल में बाबा से मिलने आते थे बाबा उन्हें चने की रोटी और गुड़ देते थे।

    By Jagran News Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sun, 15 Jun 2025 01:52 PM (IST)
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    बाबा नीम करौरी की महिमा अपरंपार है। प्रतीकात्‍मक

    मनीष साह, गरमपानी (नैनीताल) । बाबा नीम करौरी की महिमा अपरंपार है। एक एक भक्त का ध्यान रखने वाले के धाम में रोजाना हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। स्थापना दिवस पर लगने वाले मेले जैसी भीड़ अब रोजाना दिख रही है। पुरानी यादों को ताजा करते हुए कैंची गांव के सुरेंद्र सिंह कहते हैं की अब और तब के मेले में अंतर जरुर है पर श्रदालुओं में आस्था आज भी वही है। सुरेन्द्र ने जागरण टीम से बातचीत में बाबा के कई किस्से साझा किए।

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    कंबल वाले नीम करौरी बाबा के कई किस्से जगजाहिर है। स्टीव जॉब्स, मार्क जुकरबर्ग समेत वर्तमान कई नामचीन हस्तियां बाबा के भक्तों में शुमार है। बाबा के दरबार में उमड़ रही भीड़ को देख ऐसा लगता है मानो पूरा विश्व कैंची धाम में मत्था टेकने को आतुर है।

    समीपवर्ती कैंची गांव निवासी सुरेंद्र सिंह मेहरा वर्ष 1977 की यादों को ताजा कर कहते हैं की बाबा के धाम पहुंचने वाले श्रद्धालु काफि समय तक गांवों में रहते थे आसपास के गांवों में प्रत्येक घर में दो दो विदेशी श्रद्धालु रहते। दिनभर हनुमान चालीसा पाठ व लाल पैन से राम राम राम लिखते। शाम को सोने के लिए गांव पहुंचते। विदेशी श्रृद्धालुओं का एक दल वापस लौटता तो दूसरा दल आ जाता। बाबा नीम करौरी के धाम में आसपास के गांवों से सब्जियां व दूध पहुंचाया जाता उसके बदले में अनाज व पैसा मिलता।

    सुरेन्द्र बताते हैं की बाबा का भंडार हमेशा भरा रहता। कैंची में स्थित स्कूल के करीब सौ से अधिक बच्चे रोजाना इंटरवल में आश्रम पहुंचते। बच्चों को चने की रोटी व गुड़ दिया जाता। बाबा बच्चों के प्रति अगाध प्रेम रखते। बाबा बच्चों के साथ काफि समय बीताते। स्थापना दिवस के बाद जगह जगह गिरे प्रसाद को बाबा सख्त रवैए में भक्तों से इकठ्ठा करने को कहते। सुरेन्द्र आगे बताते हैं की बाबा जी महाराज को कई भाषाओं का ज्ञान था।

    कभी फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते तो कभी गुजराती। बाबा जी का रहस्यमयी कंबल भी हमेशा साथ रहता। कभी बाबा लखनऊ, दिल्ली में अपने भक्तों के घर पहुंचते तो पल भर में ही भूमियाधार, हनुमानगढ़ी व कैंची तथा काकड़ीघाट धाम में दिखते। सुरेन्द्र बताते हैं की आश्रम में दर्शन को पहुंचे यूपी दौर के कमिश्नर को बाबा ने विद्युत व्यवस्था करने को कहा पर कमिश्नर ने अनसुनी कर दी। उसी रात कमिश्नर के लखनऊ स्थित आवास में चोरी हो गई।

    बाबा के आदेश को याद कर कमिश्नर ने बरेली महानगर से ट्रांसफार्मर कैंची में स्थापित कर विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था बनाई। कहते हैं की कमिश्नर के आवास से चोरी हुआ सामान सकुशल मिल गया। स्थानीय लोगों भी बाबा की लीलाओं से भली भांति परिचित हैं।