आगामी विधानसभा चुनाव में जिताऊ मुद्दों को धार देने की रणनीति, हिन्दुत्व की पिच पर बड़े शाॅट की तैयारी में CM Dhami
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बना रहे हैं। वे जिताऊ मुद्दों को और मजबूत करने और हिन्दुत्व के पिच पर बड़े शाॅट खेलने की तैयारी में हैं। इस रणनीति का उद्देश्य चुनाव में पार्टी की जीत सुनिश्चित करना है।

आगामी विधानसभा चुनाव में चुनावी चाशनी से जिताऊ मुद्दों को धार देने की रणनीति. File
किशोर जोशी, नैनीताल। राज्य में विधान सभा चुनाव भले ही 2027 में हों, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अभी से चुनावी चाशनी से तलकर जिताऊ मुद्दों को धार देने में जुट गए हैं। मुख्यमंत्री जिस तरह हर कार्यक्रम में विकास और विरासत के साथ आगे बढ़ने और जनसांख्यिकीय बदलाव नहीं होने देने, घुसपैठियों को उत्तराखंड से खदेड़ने के साथ ही योजनाओं को लाभ ले रहे अपात्रों पर कार्रवाई का जिक्र जिस अंदाज से कर रहे हैं, उससे साफ है कि धामी हिन्दुत्व की पिच पर फिर से बड़े शाट्स खेलने की तैयारी में हैं, ताकि 2027 में फिर से भाजपा की सरकार बन सके।
धामी सरकार के कार्यकाल की उपलब्धियों के साथ ही पीएम मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मतदाताओं के बड़े वर्ग में लोकप्रियता एक बार फिर सत्ता वापसी के रास्ते को और आसान बना देगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर गणेश गोदियाल की नियुक्ति के बाद कांग्रेस की गतिविधियां एकाएक बढ़ गई हैं। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकार भी चौकन्ने हो गए हैं। हालांकि भाजपा की कांग्रेस की गुटबाजी पर भी निगाहें हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पार्टी की रणनीति के मुताबिक अभी से मुद्दों को धार देने व सेट करने में जुट गए हैं।
नैनीताल में गुरुवार को विकास, विरासत और सुशासन के साथ ही तुष्टीकरण, डेमोग्राफिक बदलाव आदि मुद्दे उठाकर उन्होंने चुनावी एजेंडे की बुनियाद रख दी। ऐसे में सीएम आम तौर पर हर सार्वजनिक कार्यक्रम में इन इन मामलों को जोर-शोर से उठाने के साथ ही सरकार की ओर से देवभूमि के मूल स्वरूप को बनाए रखने के लिए उठाए जा रहे कदमों का ब्योरा भी रख रहे हैं।
योजनाओं के लाभार्थी भी हैं बड़ा वोट बैंक
हाल ही में बिहार चुनाव में लाभार्थी वोट बैंक के साथ ही महिला स्वरोजगार योजना को एनडीए सरकार की जीत का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। राज्य में लखपति दीदी से लेकर अन्य कल्याणकारी व स्वरोजगार योजनाओं के लाभार्थियों का बड़ा व निर्णायक वोट बैंक बन गया है। सीएम धामी की कोशिश है कि इस वोट बैंक में और इजाफा कर तीसरी बार पार्टी को सत्ता में ससम्मान वापसी कराई जाए। भाजपा ने लोक सभा चुनाव में भी विपक्ष के नेताओं को शामिल करने के साथ ही विधानसभा चुनाव में संगठन से बाहर किए नेताओं की वापसी भी कराई।
धार्मिक स्थलों का विकास भी बनेगा मुद्दा
धामी सरकार के कार्यकाल में प्रदेश में चार धाम सहित मंदिरों व धार्मिक स्थलों में सुविधाएं बढ़ी हैं। नयना देवी मंदिर से लेकर कैंची धाम, बैजनाथ, जागेश्वर, कोटगाड़ी, पूर्णागिरी, बाराही धाम देवीधूरा सहित अनगिनत धार्मिक स्थलों का नवनिर्माण व पुनर्निर्माण किया गया है। इसका आम जन में सकारात्मक संदेश गया है, जिसको राजनीतिक तौर पर भुनाने की भी रणनीति है।
विधायकों की नकारात्मक छवि ने बढ़ाई चिंता
मुख्यमंत्री एक ओर पार्टी के जनाधार मजबूत बनाने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन तमाम विधायकों की घटती लोकप्रियता व जनता में उनकी नकारात्मक छवि चिंता बनकर उभर रही है। ऐसे में चुनाव में नकारात्मक छवि वाले विधायकों के स्थान पर नए चेहरों पर दांव भी खेला जा सकता है, जिसकी सुगबुगाहट भी सुनाई देने लगी है।

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