Updated: Sat, 26 Jul 2025 02:30 PM (IST)
पश्चिमी विक्षोभ के चलते मानसून कमजोर पड़ने से नैनीताल में वर्षा की मात्रा में कमी आई है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कम वर्षा दर्ज की गई है। जलवायु परिवर्तन के कारण पश्चिमी विक्षोभ कमजोर हो रहे हैं जिससे मानसून भी प्रभावित हो रहा है। कंक्रीट निर्माण और हरियाली की कमी से क्षेत्रीय मौसम में बदलाव आया है।
रमेश चंद्रा, नैनीताल। पश्चिमी विक्षोभ के बाद मानसून कमजोर पड़ने लगा है। नैनीताल में लगातार वर्षा के बावजूद पिछले वर्ष की तुलना में पानी कम बरसा है। पिछले वर्ष 25 जुलाई तक 955 मिमी वर्षा हो चुकी थी, जबकि इस वर्ष मात्र 822 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई है।
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पश्चिमी विक्षोभ शीतकाल सूखे की भेंट चढ़ गया था। इन दिनों बरस रहा मानसून भी कमजोर नजर आ रहा है। सिंचाई विभाग के झील नियंत्रण कक्ष के मुताबिक गत वर्ष की तुलना में अभी तक 132 मिमी पानी कम बरसा है। इस वर्ष जनवरी में वर्षा की एक बूंद नहीं गिरी।
अप्रैल में पांच दिन हुई वर्षा में 30 मिमी रिकार्ड
फरवरी में सिर्फ एक दिन में 50 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई, जबकि मार्च में सिर्फ दो दिन वर्षा हुई, जो 56 मिमी रिकार्ड की गई। अप्रैल में पांच दिन हुई वर्षा में 30 मिमी रिकार्ड की गई।
मई के 14 दिन हुई वर्षा में 115 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई। जून में अधिकांश दिन हुई वर्षा 393 मिमी रिकार्ड की गई।
जुलाई में अभी तक 178 मिमी वर्षा हुई है। इसकी तुलना में पिछले वर्ष 2024 से करें तो जनवरी सूखा गया। फरवरी में 15 मिमी मार्च में 26 मिमी अप्रैल में दो मिमी, मई में 70 मिमी, जून में 214 मिमी और जुलाई में अभी तक 628 मिमी वर्षा हुई थी।
शिथिल होने लगा मानसून
कमजोर पश्चिमी विक्षोभ के साथ मानसून भी शिथिल आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ वायुमंडलीय विज्ञानी डा. नरेंद्र सिंह के अनुसार नैनीताल में वर्षा की मात्रा में कमी का मुख्य कारण जलवायु में बदलाव है। जिस कारण पश्चिमी विक्षोभ कमजोर पहुंचने लगे हैं तो मानसून भी शिथिल होने लगा है।
वर्षा की मात्रा में कमी आना चिंता का विषय है। कंक्रीट निर्माण और हरियाली में कमी आने से नैनीताल के क्षेत्रीय स्तर के मौसम में बदलाव आया है। उधर, शुक्रवार को मौसम दोपहर तक सुहावना बना रहा। इसके बाद बूंदाबांदी हुई। शाम को कोहरा छा गया।
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