Banbhulpura Encroachment: बनभूलपुरा में रेलवे भूमि पर अतिक्रमण का जिम्मेदार कौन? हर ओर यही सवाल
उत्तराखंड के नैनीताल जिले के बनभूलपुरा में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। हर तरफ यही प्रश्न है कि रेल ...और पढ़ें

वर्ष 2007 में रेलवे ने 2400 वर्गमीटर भूमि से हटाया अतिक्रमण, 2016 से कोर्ट में लंबित मामला. Jagran
उदय सेठ, हल्द्वानी। बनभूलपुरा बनाम रेलवे अतिक्रमण मामला सुर्खियों में है। यह मामला पहले 2007 में सामने आया था। इसके बाद 2016 से हाई कोर्ट नैनीताल के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में है। रेलवे का दावा है कि बनभूलपुरा क्षेत्र में 31 हेक्टेयर भूमि उसकी है। इसी भूमि पर कुछ प्रतिशत राज्य सरकार का भी दावा है। इन दावों और इसमें हो रही लड़ाई पर सवाल है कि यहां अतिक्रमण कैसे यहां पनपा? आखिर इसका जिम्मेदार कौन है? क्यों अतिक्रमण को इस गंभीर स्थिति तक पहुंचाया गया।
हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से सटे बनभूलपुरा क्षेत्र में पिछले 50 वर्षों से अधिक समय से अतिक्रमण है। शुरुआत में झोपड़ियां बनीं। कच्चे मकान बने। धीरे-धीरे मकान पक्के बनने लगे। इस दौरान रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी मौन रहे। किसी की नजर इस पर नहीं पड़ी। इसके बाद राजनीतिक रोटियां सेंकी जाने लगी। राजनीतिक हित साधने वालों ने इस क्षेत्र में बने लोगों को बिजली, पानी, सड़क सभी तरह की सुविधाएं पहुंचाने लगे। वोटर कार्ड बनवा दिए गए। इसके बाद अतिक्रमण इस तरह फैला गया कि विकास में ही बाधक बन गया।
रेलवे स्टेशन की एक तरफ से गौला नदी का कटान होने से पटरियां तक बह चुकी हैं और दूसरी तरफ अतिक्रमण है। ऐसे में नई ट्रेन चलाना संभव नहीं है। रेलवे का दावा है कि 31 हेक्टेयर भूमि पर 4365 घर, सरकारी स्कूल, धार्मिक स्थल, स्वास्थ्य केंद्र तक बन गए हैं। इसमें 50 हजार लोग हैं।
ऐसे में सरकारी अधिकारियों की लापरवाही और रेलवे अधिकारियों की अनदेखी भी है, जिन्होंने अपने समय में इस अतिक्रमण को पनपने दिया। जबकि वर्ष 2007 में बनभूलपुरा व गफूरबस्ती क्षेत्र में रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने को लेकर हाई कोर्ट ने आदेश पारित किया था। तब प्रशासन ने 2400 वर्गमीटर भूमि को अतिक्रमण मुक्त किया था। इस दौरान बुलडोजर चलाकर रेलवे स्टेशन से सटी बस्ती से कुछ मकान ध्वस्त किए गए। इस सीमित कार्रवाई के बाद फिर मामला अटक गया। दुर्भाग्य है कि इसके बावजूद रेलवे अपनी भूमि पर कब्जा नहीं कर सका।
बनभूलपुरा रेलवे अतिक्रमण मामले में आगे की कहानी
- वर्ष 2013 में गौलापार के रविशंकर जोशी ने रेलवे स्टेशन के पास गौला नदी में हो रहे अवैध खनन, गौला पुल के क्षतिग्रस्त मामले में हाई कोर्ट नैनीताल में जनहित याचिका दायर की।
- इस सुनवाई में रेलवे भूमि के अतिक्रमण का मामला दोबारा से सामने आया। नौ नवंबर 2016 को कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर रेलवे को 10 सप्ताह के भीतर समस्त अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए।
- इसके बाद वहां के लोगों और राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में एक शपथ पत्र देकर उक्त भूमि को सरकार की नजूल भूमि बताया।
- 10 जनवरी 2017 को कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
- इसके बाद से हाईकोर्ट में इस मामले पर कई तारीखें लगी।
- 20 दिसंबर 2022 को हाई कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के लिए रेलवे और राज्य सरकार को निर्देश दिए। जिस पर स्थानीय लाेग मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गए।
- पांच जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट से मामले में स्टे लग गया।
- सुप्रीम कोर्ट ने होई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए सरकार से यहां बसे लोगों के पुनर्वास का समाधान खोजने के भी निर्देश दिए थे। तब से मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
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