पति के नास्तिक होने पर महिला ने मांगा तलाक, हाई कोर्ट पहुंची; बोली 'नहीं मानता धार्मिक रीति-रिवाज'
नैनीताल में एक महिला ने अपने पति के नास्तिक होने के कारण तलाक के लिए अर्जी दी है, क्योंकि वह धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन नहीं करते। महिला का कहना है कि उसके पति और ससुराल वाले संत रामपाल के अनुयायी हैं और हिंदू परंपराओं का पालन नहीं करते। पारिवारिक न्यायालय ने पहले तलाक की अर्जी खारिज कर दी थी, जिसके बाद महिला ने हाई कोर्ट में अपील की। कोर्ट ने अब इस मामले को काउंसलिंग के लिए भेज दिया है।

हाई कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए मामला काउंसलिंग के लिए भेज दिया। Concept Photo
जागरण संवाददाता, नैनीताल। हाई कोर्ट ने पति के नास्तिक होने के आधार पर तलाक मांगने के मामले में सुनवाई करते हुए मामला काउंसलिंग के लिए भेज दिया।
नैनीताल जिले की हिंदू महिला पूनम ने अपने पति से इस आधार पर तलाक मांगा कि उसका पति नास्तिक है और धार्मिक रीति-रिवाजों को नहीं मानता।
पूनम ने याचिका दायर कर कहा कि उसका पति भुवन सनवाल और ससुराल वाले संत रामपाल के अनुयायी हैं और किसी भी हिंदू परंपरा का पालन नहीं करते जबकि वह एक धार्मिक महिला है। पूजा पाठ करना चाहती है। महिला ने आरोप लगाया कि शादी के बाद उसे घर का मंदिर हटाने और देवताओं की मूर्तियां तक पैक कर बाहर रख देने के लिए कहा गया।
जब उनके बेटे का नामकरण संस्कार करने का समय आया, तो पति ने यह कहकर इन्कार कर दिया कि उनके आध्यात्मिक मार्ग में ऐसे संस्कारों की अनुमति नहीं है। धार्मिक विश्वासों से समझौता न कर पाने पर महिला ने पारिवारिक न्यायालय नैनीताल में तलाक की अर्जी दी, जो खारिज कर दी गई। इसके विरुद्ध महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए महिला को काउंसलिंग के लिए भेज दिया। महिला का सात साल का बेटा भी है। कोर्ट में उसकी परवरिश को भी ध्यान में रखा।

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