भारत-चीन युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करते हुए बलिदान, गढ़वाल रेजिमेंट ने पहली बार दिया ‘गार्ड आफ आनर’
1962 के भारत-चीन युद्ध में बलिदान हुए लांसनायक त्रिलोक सिंह नेगी को गढ़वाल रेजिमेंट ने पहली बार 'गार्ड ऑफ ऑनर' दिया। सतपुली के पास बौंसाल में उनकी स्मृति में बने शौर्य द्वार का अनावरण किया गया। ब्रिगेडियर नेगी ने कहा कि उनका बलिदान देश को प्रेरित करता रहेगा। असवालस्यूं पट्टी में खुशी का माहौल है, क्योंकि 63 वर्षों बाद उन्हें सैन्य सम्मान मिला।

संवाद सहयोगी, जागरण, लैंसडौन: 1962 के भारत-चीन युद्ध में दुश्मन के दांत खट्टे करने वाले वीरचक्र विजेता (मरणोपरांत) लांसनायक त्रिलोक सिंह नेगी की स्मृति में पहली बार आयोजित कार्यक्रम में गढ़वाल रेजिमेंट की ओर से उन्हें ‘गार्ड आफ आनर’ दिया गया।
इस मौके पर गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट सेंटर के ब्रिगेडियर विनोद सिंह नेगी ने कहा कि बलिदानी लांसनायक त्रिलोक सिंह नेगी ने भारत-चीन युद्ध के दौरान देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया था। उनकी स्मृतियां राष्ट्र को सदैव प्रेरित करती रहेंगी।

गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट सेंटर की ओर से सतपुली के पास बौंसाल में बलिदानी त्रिलोक सिंह नेगी की स्मृति में बनाए गए शौर्य द्वार का सोमवार को रेजिमेंट के ब्रिगेडियर विनोद सिंह नेगी ने वर्चुवल माध्यम से अनावरण किया। कार्यक्रम में लैंसडौन स्थित अभिलेख कार्यालय में तैनात मेजर पालेंद्र सिंह व मेजर आदित्य यादव भी मौजूद रहे।
वहीं, बौंसाल में पूर्व सैनिकों समेत पौड़ी जिले की असवालस्यूं पट्टी के ग्रामीणों ने बड़ी संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस दौरान लांस नायक त्रिलोक सिंह को सेना की ओर से ‘गार्ड आफ आनर’ से सम्मानित किया गया।

ब्रिगेडियर नेगी ने कहा कि थैर गांव निवासी बलिदानी लांसनायक त्रिलोक सिंह की स्मृति में बना शौर्य द्वार नई पीढ़ी को उनकी वीरता व त्याग से परिचित कराएगा। कहा कि कर्तव्यपरायणता व शौर्य गढ़वाल राइफल्स की परंपरा रहा है। लांसनायक त्रिलोक सिंह ने गढ़वाल रेजिमेंट की परंपरा का बखूबी निवर्हन किया।
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इससे पूर्व, बलिदानी त्रिलोक सिंह की शौर्य गाथा को रेखांकित करते हुए रेजिमेंट सेंटर की ओर से उन्हें पुष्पचक्र अर्पित कर श्रंद्धाजलि अर्पित की गई। इस दौरान लांसनायक त्रिलोक सिंह नेगी अमर रहे के जयघोष से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। इस मौके पर गढ़वाल रेजिमेंट के पाइप बैंड ने भी मनोहारी प्रस्तुति दी।

असवालस्यूं पट्टी में उत्साह का माहौल
बलिदानी त्रिलोक सिंह नेगी को उनकी पैतृक भूमि में पहली बार गार्ड आफ आनर का सम्मान दिया गया। इसे लेकर असवालस्यूं पट्टी में उत्साह व खुशी का माहौल देखने को मिला।

दरअसल, वर्ष 1962 के युद्ध में बलिदान होने के बाद उन्हें वीरचक्र से तो सम्मानित किया गया, लेकिन उनके पैतृक गांव में कभी भी उनको सम्मान नहीं मिल पाया।
बलिदानी की स्मृति में 63 वर्ष बाद पहली बार शौर्य द्वार बनाने के साथ उन्हें सैन्य सम्मान दिया गया। इससे क्षेत्र के लोग स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
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