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    Pithoragarh News : डॉक्टर थे ना फार्मासिस्ट, अब चतुर्थ श्रेणी की रिटायर्मेंट के बाद कंडाराछीना PHC में लटका ताला

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 02:23 PM (IST)

    पिथौरागढ़ के कंडाराछीना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 10 साल से डॉक्टर का इंतजार है। फार्मासिस्ट भी नहीं हैं और एकमात्र महिला कर्मचारी भी रिटायर हो गई हैं जिससे अस्पताल में ताला लग गया है। 10 हजार की आबादी के लिए उपचार 20 किमी दूर हो गया है। उत्तराखंड बनने के बाद उम्मीदें बढ़ीं पर सुविधाएं घट गईं। जनप्रतिनिधियों से सिर्फ आश्वासन मिला है।

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    चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की सेवानिवृत्त से अस्पताल में ताला। जागरण

    किशन पाठक, जागरण, पिथौरागढ़ । पहाड़ की बदहाल सेवाएं और नेताओं के जुमले लगभग एक जैसे ही हैं। दावे बहुत होते हैं मगर सुधार नहीं। पिथौरागढ़ जिले का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) कंडाराछीना इसका ताजा उदाहरण है।

    यहां 10 हजार की आबादी का 10 साल से डाक्टर के आने का इंतजार तो खत्म नहीं हुआ। फार्मासिस्ट भी नहीं आया और अब एकमात्र कार्यरत महिला चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी सेवानिवृत्त हो गईं हैं। ऐसे में अस्पताल में ताला लटक चुका है और अब ग्रामीण आबादी के लिए उपचार भी 20 किमी दूर हो चुका है।

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    उत्तराखंड के पृथक राज्य बनने से पहले तक 1971 में स्थापित पीएचसी कंडाराछीना में नियमित डाक्टर तैनात रहते थे। जिससे आसपास के करीब 20 गांवों की लगभग 10 हजार आबादी को इलाज की सुविधा मिलती थी। वर्ष 2000 में उत्तराखंड बनने के बाद उम्मीदें तो बढ़ीं लेकिन सुविधाएं घटती चली गईं। साल-दो साल के लिए डाक्टर की तैनाती हुई। वर्ष 2015 के बाद से तो अस्पताल में डाक्टर ने आना ही छोड़ दिया। तब से लेकर अब तक एकमात्र सहारा थीं चतुर्थ श्रेणी महिला कर्मचारी देवकी देवी।

    ऐसी बांटी जाती थी दवाएं

    जो अस्पताल खोलतीं और कभी-कभार गंगोलीहाट से आने वाले फार्मासिस्ट की मदद से दवाएं बांटती थीं। 31 अगस्त को वह भी सेवानिवृत्त हो गई हैं और उनके जाते ही अस्पताल पर ताला लटक गया है। ऐसे में लोग अब उपचार के लिए 20 किलोमीटर दूर गंगोलीहाट अस्पताल जाने को मजबूर हैं।

    कंडाराछीना के पूर्व जिपं सदस्य हरीश भंडारी, पूर्व प्रधान मनीषा बिष्ट, महिला समूह कुंताचौड़ा की अध्यक्ष नीमा देवी व सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद सिंह बिष्ट का कहना है कि अब तक जनप्रतिनिधियों व अफसरों से उन्हें डाक्टर की तैनाती का सिर्फ कोरा आश्वासन ही मिल सका है। पिथौरागढ़ जिले की बात करें तो यहां चिकित्सकों के 174 पद स्वीकृत हैं और इनमें से 70 रिक्त हैं।

    रोटेशन पर तैनात एक चिकित्सक पर 30 हजार का जिम्मा

    अल्मोड़ा और बागेश्वर जनपद से लगा जिले का गणाईगंगोली क्षेत्र भी ऐसी ही स्थिति से जूझ रहा है। करीब 30 हजार की आबादी के लिए खुले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नौ चिकित्सकों की तैनाती होनी चाहिए थी लेकिन केवल एक डाक्टर कार्यरत हैं। वह भी पीजी की पढ़ाई के लिए गए हुए हैं। जनाक्रोश को देखते हुए सप्ताह में तीन दिन गंगोलीहाट से और तीन दिन बेरीनाग अस्पताल से चिकित्सक भेजकर व्यवस्था चलाई जा रही है।

    कुमाऊं में डाक्टरों के 42 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त

    कुमाऊं के छह जिलों में स्वीकृत 1039 पदों के सापेक्ष 432 रिक्त हैं। अल्मोड़ा में नौ सीएचसी में विशेषज्ञ चिकित्सकों के लगभग 47 पद रिक्त हैं। बागेश्वर जिले में 107 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 31 रिक्त हैं। नौ पीएचसी पूरी तरह चिकित्सक विहीन हैं। नैनीताल जिले में 340 पदों में लगभग 87 खाली हैं। चंपावत जिले में 18 पीएचसी में 111 के बजाय 60 डाक्टर ही काम चला रहे हैं। उधम सिंह नगर में स्वीकृत 226 पदों में से 131 खाली हैं।

    जिले में चिकित्सकों की कमी है। चिकित्सकों की तैनाती के लिए शासन को बार-बार पत्र भेजे जा रहे हैं। कंडाराछीना अस्पताल में गंगोलीहाट से फार्मासिस्ट भेजे जाते हैं। स्थायी चिकित्सक की तैनाती के लिए प्रयास चल रहे हैं, जल्द ही चिकित्सक की तैनाती की जाएगी।

    डा. एसएस नबियाल, मुख्य चिकित्साधिकारी, पिथौरागढ़