Uttarakhand Panchayat Chunav: प्रवासियों के लौटने से खुले बंद घरों के ताले, गुलजार हुए सूने गांव
पंचायत चुनाव के चलते पलायन से सूने गाँव फिर से गुलजार हो रहे हैं। लम्बे समय से बंद घरों के ताले खुल रहे हैं जिस कारण गांवों में रौनक बढ़ गई है। प्रवासी मतदाताओं के आने से मतदान केंद्रों पर चहल-पहल है। कई प्रवासी अपने प्रत्याशियों के लिए समर्थन जुटा रहे हैं और बुजुर्गों के साथ समय बिता रहे हैं।

जागरण टीम, गढ़वाल। पंचायत चुनाव के बहाने ही सही, पलायन के चलते सूने पड़े गांव एक बार फिर गुलजार नजर आ रहे हैं। लंबे समय से बंद पड़े घरों के ताले खुलने से गांवों की रौनक देखते ही बन रही है। हर चौखट व हर आंगन में चर्चाओं का खैर चल रहा है।
प्रवासियों के गांव पहुंचने से मतदान केंद्रों पर भी खासी चहल-पहल रही। दोपहर बाद मतदाताओं की आमद बढ़ने से और रंगत निखर आई। इसमें प्रवासी मतदाताओं की भूमिका अहम रही। हालांकि, नजदीकी शहर व नगरों से गांव पहुंचे मतदाता देर शाम अपने-अपने गंतव्यों की ओर लौट गए।
बुजुर्गों के साथ बिताया समय
कोटद्वार : लंबे समय से बंद पड़े मकानों के ताले खुलना सुखद एहसास करा गया। वोट डालने पैतृक गांव पहुंचे प्रवासी अपने-अपने प्रत्याशियों के पक्ष में समर्थन जुटाते नजर आए। रिखणीखाल व नैनीडांडा ब्लाक के कमोवेश सभी गांवों में ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली।
प्रवासियों का अपने प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार करना, बुजुर्गों के साथ बैठकर फुर्सत के पल व्यतीत करना जैसे दृश्य आंखों को सुकून पहुंचा रहे थे। कई प्रवासी तो निकट भविष्य में वापस गांव लौटकर बसने की बात भी कह रहे थे।
गांव एवं क्षेत्र का विकास हर प्रवासी की जिम्मेदारी
श्रीनगर गढ़वाल : दिखवाल गांव पहुंचे राहुल ने बताया कि वह रोजगार के सिलसिले में श्रीनगर बस गए, लेकिन वोट देना उनका कर्तव्य है। वह वोट डालने गांव इसलिए पहुंचे है कि एक जिम्मेदार और जवाबदेह प्रतिनिधि का चुनाव कर सकें।
83 वर्षीय मथुरा देवी का कहना था कि गांव में लंबे समय से पेयजल की समस्या बनी हुई है, वहीं गुलदार की दहशत भी हमेशा बनी रहती है। उम्मीद है कि नई पंचायत इन समस्याओं के समाधान के लिए गंभीरता से कार्य करेगी। मतदान के लिए पहुंचे कांडा निवासी विपिन ने बताया, वह चाहते हैं कि गांव में उनका प्रतिनिधि योग्य एवं शिक्षित हो।
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