Uttarakhand: कर्नल अजय कोठियाल बोले, धराली आपदा में 62 नहीं, बल्कि 147 लोग दबे हुए हैं मलबे में
उत्तराखंड के भाजपा नेता कर्नल अजय कोठियाल ने धराली आपदा पर एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि आपदा में 62 नहीं, बल्कि 147 लोग मलबे में दबे हैं और उ ...और पढ़ें

उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष और भाजपा नेता कर्नल अजय कोठियाल (सेनि)।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष और भाजपा नेता कर्नल अजय कोठियाल (सेनि) का इंटरनेट मीडिया में एक बयान प्रसारित हो रहा है, जिसमें वह यह कहते सुनाई दे रहे हैं कि धराली आपदा में 62 नहीं बल्कि 147 लोग मलबे में दबे हुए हैं।
उन्होंने यह भी कहा है कि हम यह नहीं कह सकते कि उन्हें नहीं निकाल सकते। धराली आपदा को विज्ञानियों ने ब्लैम गेम बना दिया गया है। यही बात की जा रही है कि ऐसा होना चाहिए, वैसा होना चाहिए। धराली में जो गांव है, वह प्रथम गांव है। इस कारण उसे पूरी तवज्जो मिलनी चाहिए।
प्रसारित हो रहे बयान में अजय कोठियाल ने यह भी कहा कि धराली आपदा शोध गतिविधि एक अच्छा अवसर है। वहां पर वाडिया इंस्टीट्यूट, यूकोस्ट आदि के शोधार्थी कैंप कर सकते हैं। वहां प्रभावितों का सामान, बच्चों की डिग्रियां, घर व किसी की पत्नी का मंगलसूत्र दबा हुआ है, ऐसे में उसे कैसे छोड़ा जा सकता है।
इधर, धराली आपदा संघर्ष समिति के अध्यक्ष सचेंद्र पंवार ने भी कोठियाल के बयान का समर्थन किया है। इस बारे में कर्नल कोठियाल से दूरभाष पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने काल रिसीव नहीं किया।
उधर, अपने एक्स (ट्विटर) अकाउंट में भी कर्नल अजय कोठियाल ने पोस्ट किया है कि ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी देहरादून में यूसीओएसटी की ओर से आयोजित परिचर्चा 'वर्ल्ड समिट आन डिजास्टर मैनेजमेंट' में मैंने अपने विचार रखे।
मेरे वक्तव्य का सार यही था कि आपदा के करीब चार महीने बाद भी उत्तरकाशी जिले के धराली कस्बे की बदहाली हमारी 'नकारात्मक सोच' का उदाहरण है।
नकारात्मक सोच से मेरा तात्पर्य उन आपदा प्रबंधन तंत्र के जिम्मेदार अधिकारियों, भू-गर्भ विज्ञानियों, विज्ञानियों, पर्यावरण विशेषज्ञों और संस्थानों से है जो पुनर्वास के उचित रास्ते निकालने के बजाय चुनौतियों से बचने के बहाने खोजते हैं।
कर्नल कोठियाल के अनुसार, इसका सबसे ज्यादा खामियाजा उन्हीं पीड़ितों को भुगतना पड़ता है, जो पहले ही आपदा की मार से बुरी तरह टूटे हुए होते हैं। हमें इस नकारात्मक सोच से बाहर निकलने की जरूरत है।
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