Uttarkashi News: यमुनाघाटी में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया देवलांग पर्व, सदियों से चली आ रही अनोखी परंपरा
उत्तराकाशी की यमुनाघाटी में देवलांग पर्व धूमधाम से मनाया गया। यह सदियों पुरानी अनोखी परंपरा है, जिसमें देवलांग देवता की पूजा की जाती है। स्थानीय लोग पारंपरिक नृत्य और संगीत के साथ इस पर्व को मनाते हैं। मान्यता है कि देवलांग देवता क्षेत्र की रक्षा करते हैं और समृद्धि लाते हैं। इस पर्व को लेकर यमुनाघाटी में बहुत उत्साह था।

ग्रामीणों द्वारा पौराणिक देवलांग पर्व का आयोजन, दर्शन को उमड़ी भारी भीड़। सुधि पाठक
संवाद सूत्र, जागरण, बड़कोट : यमुनाघाटी के गैर गांव, गंगटाड़ी, कुथनौर सहित रवांई, जौनपुर व जौनसार क्षेत्र में परंपरागत मंगसीर की बग्वाल पर देवलांग पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। पर्व की मुख्य परंपरा के अनुसार विशालकाय देवदार के पेड़ को खड़ा कर उसे अग्नि को समर्पित किया गया।
यमुनाघाटी में राजा रघुनाथ को ईष्ट देव मानने वाले श्रद्धालु सदियों से इस पर्व को अंधेरे से उजाले की ओर विजय के रूप में मनाते आ रहे हैं। देवलांग पर्व के लिए ग्रामीण जंगल से विशाल देवदार का पेड़ लाते हैं।
65 गांवों के लोग शाटी और पानसाई दो हिस्सों में विभाजित होकर पेड़ पर सूखी लकड़ियों के गुच्छे बांधते हैं। इसके बाद डंडों के सहारे पेड़ को खड़ा किया जाता है और अग्नि प्रज्वलित की जाती है।
शंखनाद, ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक नृत्यों के बीच श्रद्धालु भगवान राजा रघुनाथ की स्तुति करते हुए पर्व को धूमधाम से मनाते हैं। क्षेत्र की समृद्धि व राजकुशलता के लिए रघुनाथ मंदिर में दर्शन व पूजा-अर्चना करना यहां की सदियों पुरानी परंपरा है।
सरकार द्वारा गैर गांव के देवलांग पर्व को राजकीय मेला घोषित किए जाने के बाद से संस्कृति विभाग की लोकनृत्य टीमें भी यहां प्रस्तुति देने पहुंचती हैं। बीते गुरुवार शाम को गैर गांव के साथ-साथ गंगटाड़ी और कुथनौर में भी देवलांग पर्व उत्साहपूर्ण माहौल में मनाया गया।
इस अवसर पर जिपं सदस्य सुखदेव रावत, रोहित जुड़ियाल, पूजारी सियाराम गैरोला, मोहन गैरोला, प्रदीप गैरोला, लायबर सिंह कलुडा, पवन सिंह, सुरेंद्र सिंह रावत, धनवीर रावत, सोहन गैरोला आदि मौजूद रहे।
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