लोकसभा चुनाव से पहले बंगाल में संगठन का पुनर्गठन करना चाहती BJP, 42 सीटों के लिए सांगठनिक जिले होंगे 43
लोकसभा चुनाव से पहले बंगाल में भाजपा संगठन का पुनर्गठन करना चाहती है। जल्द ही विभिन्न जिलों के नए क्षेत्रों की घोषणा हो सकती है। भाजपा हमेशा छोटे संगठनात्मक क्षेत्रों की पक्षधर रही है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक बहरमपुर मुर्शिदाबाद और जंगीपुर तीन अलग-अलग जिले होंगे। हालांकि राज्य में लोकसभा की 42 सीटें के लिए भाजपा के सांगठनिक जिले 43 होंगे।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। प्रदेश भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले संगठन का पुनर्गठन करना चाहती है। भगवा शिविरर इसके तहत संगठनात्मक मानचित्र में भी कई बदलाव करना चाहते हैं। प्रदेश नेतृत्व ने जिला पुनर्गठन की तैयारी शुरू कर दी है।
जल्द ही विभिन्न जिलों के नए क्षेत्रों की घोषणा हो सकती है। इससे कुछ जिला अध्यक्षों के अधिकार क्षेत्र में बढ़ोतरी होगी तो कुछ के क्षेत्र में कमी आएगी। 2019 में भाजपा के सांसदों की संख्या दो से बढ़कर 18 हो गई थी। इस बार केंद्रीय नेतृत्व ने 36 का लक्ष्य रखा है। इसके करीब पहुंचने के लिए प्रदेश भाजपा बंगाल में अपने साथ संगठनात्मक जिलों और मंडलों की संख्या बढ़ाना चाहती है।
छोटे संगठनात्मक क्षेत्रों की पक्षधर है भाजपा
भाजपा हमेशा छोटे संगठनात्मक क्षेत्रों की पक्षधर रही है। इसी कारण से प्रत्येक लोकसभा प्रशासनिक जिलों पर निर्भर रहने के बजाय क्षेत्र के अनुसार संगठनात्मक जिले बनाती है। उदाहरण के लिए, बांकुड़ा जिले के भीतर एक अलग बिष्णुपुर जिला है। हुगली के अलावा, श्रीरामपुर और आरामबाग उस जिले के अलग-अलग संगठनात्मक जिले हैं। अब भाजपा उस 'फार्मूले' को हर जगह इस्तेमाल करना चाहती है।
राज्य में लोकसभा की 42 सीटें के लिए भाजपा के सांगठनिक जिले 43 होंगे
परिणामस्वरूप, वर्तमान की तुलना में एक जिला बढ़ सकता है। अब मुर्शिदाबाद उत्तर और दक्षिण नाम से दो जिले हैं। भाजपा सूत्रों के मुताबिक बहरमपुर, मुर्शिदाबाद और जंगीपुर तीन अलग-अलग जिले होंगे। हालांकि, राज्य में लोकसभा की 42 सीटें के लिए भाजपा के सांगठनिक जिले 43 होंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि भाजपा दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र के लिए पहाड़ी और मैदानी इलाकों को अलग-अलग संगठनात्मक जिलों के रूप में देखती है। दार्जिलिंग और सिलीगुड़ी जिले कहा जाता है। यह वैसा ही रह सकता है।
लोकसभा क्षेत्रों के हिसाब से संगठनात्मक जिले बनाती है भाजपा
बंगाल के प्रशासनिक जिला प्रभाग में उत्तर कूच बिहार जिले में नौ विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें से सात कूच बिहार लोकसभा क्षेत्रों के हैं। जिले की तुफानगंज विधानसभा सीट अलीपुरदुआ लोकसभा के अंतर्गत और मेखलीगंज जलपाईगुड़ी जिले के अंतर्गत आती है। अन्य लोकसभा क्षेत्रों में भी यही स्थिति है। भाजपा ने पहले भी लोकसभा क्षेत्रों के हिसाब से संगठनात्मक जिले बनाने की पहल की है लेकिन ऐसा हर जगह नहीं हो सका है। भगवा खेमा की योजना इस बार सभी लोकसभा क्षेत्रों को एक ही जिले में रखने की है। दो दिनाजपुर के बीच कुछ ऐसे इलाके भी हैं।
प्रशासनिक रूप से उत्तर दिनाजपुर का चोपड़ा वास्तव में दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र में आता है। अब दिनाजपुर में भाजपा का जिला संगठन प्रशासनिक हिस्से में है। उत्तर और दक्षिण दिनाजपुर दो अलग-अलग जिले हैं। उत्तर में रायगंज लोकसभा क्षेत्र और दक्षिण में बालुरघाट। लेकिन उत्तर दिनाजपुर का इटाहार बालुरघाट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत है। मालदा दक्षिण के दो विधानसभा क्षेत्र फरक्का और शमसेरगंज और मुर्शिदाबाद दक्षिण में हैं। सूत्रों के मुताबिक भाजपा अगले लोकसभा चुनाव से पहले इस तरह के बंटवारे को सुलझा लेगी, ताकि एक लोकसभा क्षेत्र के लिए एक ही जिला अध्यक्ष को जिम्मेदारी दी जा सके।
विधानसभा की 294 सीटों के लिए भाजपा के मंडलों की कुल संख्या अब 1,263 है
प्रदेश में संगठन के विस्तार के साथ ही प्रदेश भाजपा ने जिला मंडल में भी बदलाव किया है। उत्तर और दक्षिण बंगाल में भाजपा के संगठनात्मक जिलों की हिस्सेदारी बदलेगी। लोकसभा के अनुसार वर्तमान उत्तर और दक्षिण नादिया जिले राणाघाट और कृष्णानगर बन जाएंगे। पहले बनगांव भाजपा के बारासात जिले में था। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले बनगांव को अलग जिला बनाया गया था।
अब भाजपा के कोलकाता नार्थ सबअर्बन जिले में सिर्फ दमदम लोकसभा ही शामिल होगी। इस जिले में शामिल राजारहाट और न्यूटाउन को बारासात जिले से जोड़ा जाएगा। हावड़ा, हुगली को भाजपा पहले ही बंट चुकी है। हावड़ा लोकसभा का पूरा निर्वाचन क्षेत्र हावड़ा शहर जिले के अंतर्गत आता है और उलुबेरिया के साथ हावड़ा ग्रामीण जिला। हावड़ा में जगतवल्लभपुर फिर से श्रीरामपुर संगठनात्मक जिले के भीतर है।
स्वतंत्रता दिवस से पहले लागू हो सकती है जिला पुनर्गठन योजना
दक्षिण 24 परगना में भाजपा का संगठन हमेशा कमजोर रहा है। लंबे समय तक पूर्व और पश्चिम नामक दो जिले थे। बाद में डायमंड हार्बर, जयनगर, मथुरापुर अलग जिले बना गए, लेकिन जादवपुर कोई अलग जिला नहीं था। इस लोकसभा क्षेत्र में दक्षिण 24 परगना (पूर्व) जिले के अंतर्गत पांच विधानसभाएं थीं। जादवपुर और टालीगंज कोलकाता दक्षिण संगठनात्मक जिले में थे।
इस बार इन दो विधानसभा क्षेत्रों के साथ जादवपुर लोकसभा क्षेत्र के लिए एक अलग जिला होगा। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, जिला पुनर्गठन योजना स्वतंत्रता दिवस से पहले लागू हो सकती है। क्योंकि, इसके बाद भाजपा का राज्य में कार्यक्रमों का सिलसिला शुरू हो जाएगा।
भाजपा के मंडलों की कुल संख्या अब 1,263
केंद्रीय निर्देश के मुताबिक कार्यक्रमों का यह अभियान पूजा से पहले ही पूरे करने होंगे। भाजपा संगठनात्मक तौर पर हर विधानसभा क्षेत्र को बूथों की संख्या के हिसाब से तीन या चार मंडलों में बांटती है। विधानसभा की 294 सीटों के लिए भाजपा के मंडलों की कुल संख्या अब 1,263 है। प्रदेश नेतृत्व की योजना उन जगहों पर मंडलों की संख्या बढ़ाने की भी है जहां भाजपा संगठन मजबूत है। कुछ मंडलों के क्षेत्र का पुनर्गठन भी हो सकता है।
प्रदेश के नेताओं का मानना है कि मंडलों की संख्या बढ़ेगी तो कई नेताओं को पद दिए जाएंगे, साथ ही लोकसभा चुनाव की तैयारी में भी आसानी होगी। प्रदेश के महासचिव (संगठन) आमतौर पर देखते हैं कि जिले का विभाजन कैसे होगा।
सतीश धोंड अब अमिताभ चक्रवर्ती के साथ संयुक्त रूप से उस पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उन्होंने संगठन का नया नक्शा तैयार कर लिया है और बताया जा रहा है कि केंद्रीय नेता सुनील बंसल, मंगल पांडे इस पर सहमत हो गए हैं। इस पर घोषणा के बाद किसे जिम्मेदारी मिलेगी यह प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार तय करेंगे।

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