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    साल में 57 दिन भीषण गर्मी झेलने को रहें तैयार, अंतरराष्ट्रीय मौसम विज्ञानियों की चेतावनी

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 07:43 AM (IST)

    दुनियाभर में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन एवं इसके परिणामस्वरूप होने वाले ग्लोबल वार्मिंग को लेकर अंतरराष्ट्रीय मौसम विज्ञानियों के अध्ययन में पता चला है कि सदी के अंत तक विश्व में हर साल 57 भीषणगर्म दिन जुड़ने वाले हैं। इससे कार्बन उत्सर्जन वाले बड़े देशों की तुलना में गरीब छोटे देश सबसे अधिक प्रभावित होंगे।

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    साल में 57 दिन भीषण गर्मी झेलने को रहें तैयार (फोटो- एएनआई)

    एपी, वाशिंगटन। दुनियाभर में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन एवं इसके परिणामस्वरूप होने वाले ग्लोबल वार्मिंग को लेकर अंतरराष्ट्रीय मौसम विज्ञानियों के अध्ययन में पता चला है कि सदी के अंत तक विश्व में हर साल 57 भीषण गर्म दिन जुड़ने वाले हैं। इससे कार्बन उत्सर्जन वाले बड़े देशों की तुलना में गरीब छोटे देश सबसे अधिक प्रभावित होंगे।

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     हालांकि, पेरिस जलवायु समझौते के साथ 10 साल पहले शुरू हुए इन गैसों के उत्सर्जन को रोकने के प्रयासों का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। इन प्रयासों के बिना पृथ्वी पर साल में 114 दिन और भीषण गर्मी झेलनी पड़ती।

    मौसम विज्ञानियों के अंतरराष्ट्रीय समूह ने कही ये बात

     मौसम विज्ञानियों के अंतरराष्ट्रीय समूह व‌र्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन और अमेरिका स्थित क्लाइमेट सेंट्रल ने अध्ययन में पता लगाने का प्रयास किया कि कि पेरिस समझौते ने हीट वेव (प्रचंड गर्मी) के संदर्भ में लोगों पर कितना असर डाला है।

     2015 में 200 से अधिक देशों में कितने भीषण गर्म दिन रहे, पृथ्वी को अभी और कितने अति-गर्म दिन देखने मिलेंगे और भविष्य के लिए क्या अनुमान है। विज्ञानी क्रिस्टीना डाहल ने कहा कि यदि देश कार्बन उत्सर्जन को कम करने के अपने वादे पूरे करते हैं तो वर्ष 2100 तक दुनिया पूर्व-औद्योगिक समय से 2.6 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म हो सकती है। इससे पृथ्वी पर भीषण गर्मी के दिनों की संख्या बढ़कर 57 हो जाएगी।

     अमेरिका, चीन एवं भारत में 23 से 30

    अतिरिक्त अति-गर्म दिन का अनुमान जिन 10 देशों में भीषण गर्मी वाले दिनों में सबसे ज्यादा वृद्धि देखी जाएगी, उनमें से अधिकतर देश समुद्र पर निर्भर हैं। इनमें सोलोमन द्वीप, समोआ, पनामा और इंडोनेशिया शामिल हैं।

     पनामा में लोगों को 149 अतिरिक्त भीषण गर्मी के दिनों का सामना करना पड़ सकता है। यूं तो इन 10 देशों ने हवा में मौजूद ताप-अवरोधक गैसों का केवल एक प्रतिशत ही उत्पन्न किया, लेकिन उन्हें लगभग 13 प्रतिशत अतिरिक्त भीषण गर्मी वाले दिन झेलने पड़ेंगे।

     सबसे ज्यादा कार्बन प्रदूषण फैलाने वाले देशों - अमेरिका, चीन और भारत में केवल 23 से 30 अतिरिक्त अति-गर्म दिन का अनुमान है। ये देश 42 प्रतिशत कार्बन डाइआक्साइड के लिए जिम्मेदार हैं।

     विनाशकारी भविष्य का संकेत!

    पाट्सडैम क्लाइमेट इंस्टीट्यूट के निदेशक जोहान राकस्ट्राम ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन का मौजूदा ट्रेंड पृथ्वी के लिए विनाशकारी भविष्य का संकेत दे रहा है।

     रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ा कार्बन डाइआक्साइड का स्तर

    विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने गुरुवार को कहा कि धरती के वायुमंडल में कार्बन डाइआक्साइड का औसत स्तर 2023 और 2024 के बीच रिकार्ड स्तर पर बढ़ा है। इससे पृथ्वी तेजी से गर्म हुई है, क्योंकि कार्बन डाइआक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसें सूर्य से आने वाली ऊर्जा को ग्रह की सतह के पास ही रोके रखती हैं।

     पिछला साल पृथ्वी के इतिहास का सबसे गर्म साल था।विश्व मौसम विज्ञान संगठन के उप-महासचिव को बैरेट ने कहा, उत्सर्जन में कमी लाना न केवल हमारी जलवायु के लिए बल्कि हमारी आर्थिक सुरक्षा और सामुदायिक कल्याण के लिए भी आवश्यक है। 1960 से अब तक इंसानों ने वायुमंडल में लगभग 500 अरब टन कार्बन उत्सर्जित किया है।