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    डोनल्‍ड ट्रंप ने क्‍यों कहा, 'हम 150 बार दुनिया को तबाह कर सकते हैं'

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 01:37 PM (IST)

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा है कि दुनिया में इतने परमाणु हथियार हैं कि इसे 150 बार तबाह किया जा सकता है। उन्होंने रूस, चीन, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान द्वारा लगातार परमाणु परीक्षण करने पर चिंता जताई। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को भी परमाणु परीक्षण करना चाहिए, क्योंकि दूसरे देश ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के बारे में भी बात की।

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    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने सनसनीखेज बयान दिया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि दुनिया को 150 बार तबाह किया जा सकता है। ट्रंप का कहना है कि रूस, चीन, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान लगातार टेस्ट कर रहे हैं, जबकि अमेरिका पीछे रह गया है।

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    सीबीएस न्यूज को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने खुलकर बात कहा है कि दुनिया में इतने परमाणु बम हैं कि दुनिया को 150 बार तबाह किया जा सकता है। ट्रंप ने इन देशों को लेकर कहा कि ये देश जमीन के नीचे टेस्ट करते हैं, जहां कोई देख नहीं पाता। सिर्फ हल्की कंपन महसूस होती है। लेकिन अमेरिका खुला समाज है, इसलिए हमें बताना पड़ता है। ट्रंप ने जोर दिया कि अगर दूसरे टेस्ट कर रहे हैं, तो अमेरिका को भी करना चाहिए।

    अमेरिका ने 1992 के बाद परमाणु हथियारों का फुल-स्‍केल टेस्ट नहीं किया है। अब ट्रंप इसे फिर शुरू करने की वकालत कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर उत्तर कोरिया जैसे छोटे देश लगातार टेस्ट कर सकते हैं, तो अमेरिका जैसे सुपरपावर को पीछे नहीं रहना चाहिए। ट्रंप ने साफ कहा, "हम टेस्ट करेंगे क्योंकि वे टेस्ट कर रहे हैं।"

    कितने देशों के पास परमाणु हथियार हैं?

    • रूस
    • अमेरिका
    • चीन
    • फ्रांस
    • ब्रिटेन
    • भारत
    • पाकिस्तान
    • इजरायल
    • उत्तर कोरिया

    'हम क्यों पीछे रहें'

    ट्रंप ने कहा, "रूस टेस्ट कर रहा है, चीन टेस्ट कर रहा है, लेकिन वे इसके बारे में बात नहीं करते। उत्तर कोरिया तो लगातार टेस्ट करता रहता है। पाकिस्तान भी टेस्ट कर रहा है।"

    उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका नहीं टेस्ट करेगा, तो वह इकलौता देश बन जाएगा जो ऐसा नहीं कर रहा। ट्रंप का मानना है कि हथियारों की विश्वसनीयता जांचने के लिए टेस्ट जरूरी है। खासकर तब जब रूस ने हाल ही में पोसीडॉन अंडरवाटर ड्रोन जैसे एडवांस्ड न्यूक्लियर सिस्टम का ट्रायल किया हो।

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    परमाणु अप्रसार के लिए कोई समझौता है?

    अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा और नागाशाकी पर परमाणु हमले किए। इसके बाद इस रेस में रूस, ब्रिटेन और फ्रांस ने भी परमाणु शक्ति हासिल की। 1960 के दशक में चीन भी इस फेहरिस्त में जुड़ गया। भारत ने बहुत बाद में जाकर परमाणु शक्ति हासिल की। जब कई देश परमाणु हथियार की होड़ में लग गए तब इसके लिए एक संधि बनाने के प्रस्ताव लाया गया।

     एनपीटी का मकसद परमाणु हथियारों का प्रसार रोकना, परमाणु निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देना और शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना है। 1968 में बनी इस संधि को 1970 में लागू किया गया। इसका जोर इस बात पर है कि परमाणु हथियार सिर्फ उन पांच देशों (अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस) तक सीमित रहें, जिन्हें संधि में "परमाणु हथियार संपन्न देश" माना गया है। इसके साथ ही, यह देशों को परमाणु तकनीक के शांतिपूर्ण इस्तेमाल का हक देती है। गौरतलब है कि भारत इस संधि को तार्किक नहीं मानता है और अब भारत ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किया है।