क्या अंग प्रत्यारोपण से प्राप्त की जा सकती है अमरता, पुतिन और चिनफिंग की मीटिंग के बाद क्यों उठी ये बहस?
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बीजिंग में अमरता की प्राप्ति के लिए जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग पर चर्चा की। पुतिन ने अंग प्रत्यारोपण के माध्यम से हमेशा जवान रहने का सुझाव दिया जिसपर विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि अंग एक दुर्लभ चिकित्सा संसाधन हैं और बार-बार प्रत्यारोपण मुश्किल हो सकता है। दीर्घायु के अन्य तरीकों पर भी चर्चा की गई है।

जेएनएन, नई दिल्ली। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके चीनी समकक्ष शी चिनफिंग ने बीजिंग में एक सैन्य परेड के दौरान अमरता की प्राप्ति के लिए जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग पर चर्चा की, जिसने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है।
विशेष रूप से, पुतिन ने सुझाव दिया कि बार-बार अंग प्रत्यारोपण से व्यक्ति हमेशा जवान रह सकता है। आस्ट्रेलिया के मोनाश यूनिवर्सिटी के बायोएथिक्स के लेक्चरर जूलियन कोप्लिन ने इस संदर्भमें एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें इस दावे की सच्चाई का विश्लेषण किया गया है...
अंग कहां से आएंगे
पुतिन का यह सुझाव कि हम बार-बार अंग प्रत्यारोपण के माध्यम से अमरता प्राप्त कर सकते हैं, निश्चित रूप से विवादास्पद है। एक स्वाभाविक प्रश्न यह उठता है कि ये अंग आएंगे कहां से। प्रत्यारोपण योग्य अंग एक दुर्लभ चिकित्सा संसाधन है। किसी वृद्ध तानाशाह के जीवन को बनाए रखने के लिए इनका उपयोग करने से अन्य जरूरतमंद लोग जीवन रक्षक प्रत्यारोपण से वंचित हो जाएंगे।
क्या प्रयोगशाला में विकसित अंग बनेंगे विकल्प
यदि हम मान लें कि पुतिन शायद स्टेम कोशिकाओं का उपयोग करके प्रयोगशाला में विकसित अंगों की कल्पना कर रहे थे, तो यह दृष्टिकोण दूसरों को प्रत्यारोपण से वंचित नहीं करेगा। हालांकि, विज्ञानी मानव ऊतकों के कुछ पहलुओं के माडल बनाने वाले लघु आर्गेनाइड विकसित कर सकते हैं, लेकिन पूर्ण आकार के प्रत्यारोपित अंग बनाना वर्तमान क्षमताओं की पहुंच से बहुत दूर है।
जटिल होता है प्रत्यारोपण
यदि काल्पनिक रूप से हमारे पास असीमित प्रतिस्थापन अंगों तक पहुंच भी हो, तो भी उम्र बढ़ने के साथ हमारे शरीर का सामान्य लचीलापन कम हो जाता है। इससे बार-बार होने वाली प्रत्यारोपण सर्जरी से उबरना और भी कठिन हो जाएगा। बूढ़े होते दिमाग भी इसमें एक बड़ी बाधा पेश करते हैं। हम अपनी पहचान बदले बिना एक किडनी या लिवर बदल सकते हैं, लेकिन हम अपने दिमाग को नहीं बदल सकते। मस्तिष्क प्रत्यारोपण के बाद हमारे शरीर में जो भी रहेगा, वह हम नहीं होंगे।
ज्यादा जीने के अन्य तरीके
दीर्घायु के अन्य तरीके भी हो सकते हैं। विज्ञानियों ने प्रयोगशाला में इस्तेमाल होने वाले जानवरों, जैसे बंदर, चूहे व मक्खियों का जीवनकाल दवाओं, आनुवंशिक परिवर्तनों, आहार परिवर्तनों और कोशिकीय रीप्रोग्रामिंग के जरिये बढ़ाया है। हालांकि, जानवरों पर किए गए अध्ययनों को इंसानों पर लागू करना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है। लेकिन ऐसे कोई साक्ष्य भी नहीं मिले हैं जो यह पुष्टि करते हों कि उम्र को बढ़ने से रोकना पूरी तरह नामुमकिन है। (स्रोतः द कन्वर्सेशन)
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।