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    'हमास को आतंकी संगठन घोषित करिए', इजरायल की भारत से खास अपील; लश्कर-ए-तैयबा से संबंधों का दिया हवाला

    Updated: Sun, 07 Dec 2025 10:42 PM (IST)

    इजरायल ने भारत से हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करने का आग्रह किया है। इजरायल ने इसके समर्थन में लश्कर-ए-तैयबा के साथ हमास के संबंधों का हवाला दिया है। ...और पढ़ें

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    इजरायल ने भारत से हमास को आतंकी ग्रुप घोषित करने की अपील की। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इजरायल और हमास के बीच भले ही सीजफायर पर बात बनी हो, लेकिन फिर भी छिटपुट हमलों की खबरें सामने आती रही हैं। इस बीच इजरायल ने भारत से हमास को एक आधिकारिक आतंकी संस्थान घोषित करने की अपील की है।

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    दरअसल, इजरायल का कहना है कि पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और दूसरे ईरानी प्रॉक्सी के साथ इस ग्रुप के बढ़ते रिश्ते भारत और इजरायल दोनों के लिए एक बढ़ता हुआ सुरक्षा खतरा हैं।

    इजरायल की भारत से अपील

    बता दें कि यरूशलम में पत्रकारों से बात करते हुए इजरायल के विदेश मंत्रालय के सीनियर अधिकारी ने कहा कि हमारी दरख्वास्त है कि भारत हमास जैसे संस्थान पर प्रतिबंध लगाए और इसको एक आतंकी संगठन घोषित करे।

    इजरायल का कहना है कि उसने कुछ साल पहले लश्कर-ए-तैयबा को एक आतंकी संगठन घोषित किया था। हम चाहेंगे कि भारत भी वैसा ही करे। बता दें कि इजरायल ने 7 अक्टूबर के खतरनाक हमले के एक महीने बाद, 2023 में LeT को टेरर ग्रुप घोषित किया।

    इजरायल ने कहा- भारत और इजरायल का एक कॉमन दुश्मन

    बता दें कि इजरायल का कहना है कि लश्कर-ए-तैयबा भारत और इजरायल का कॉमन दुश्मन है। आईडीएफ के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल नदाव शोशनी ने कहा कि अगर भारत हमास को टेरर ग्रुप घोषित कर दे तो यह अच्छी बात होगी। भारत और इज़राइल का एक कॉमन दुश्मन है। यह अच्छा होगा कि हम किसका सामना कर रहे हैं, इस बारे में साफ बयान दिया जाए।

    बढ़ रहा है हमास-LeT का गठजोड़

    बताया जा रहा है कि भारत सरकार 'ईरानी और इंटरनेशनल टेरर प्रॉक्सी ग्रुप्स के बीच बढ़ते लिंक्स' के बारे में अच्छी तरह जानती है। इजरायली अधिकारी का कहना है कि हम हमास और लश्कर-ए-तैयबा के बीच अहम लिंक देख रहे हैं। हमास और हिजबुल्लाह आतंकी हमले करने के लिए इंटरनेशनल क्रिमिनल प्रॉक्सी का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम यूरोप में किसी ईरानी ऑपरेटिव को काम करते नहीं देखेंगे। इसके बजाय हम एक ईरानी ऑपरेटिव से जुड़े इंटरनेशनल प्रॉक्सी को हमले करते देखेंगे, जैसा कि हमने लंदन में देखा है।

    ईरान की नीति में नहीं आया कोई बदलाव

    गौरतलब है कि इस साल जून में ईरान और इजरायल के बीच 12-दिन की लड़ाई और ईरानी न्यूक्लियर साइट्स पर US के हमलों के बावजूद, तेहरान ने इस इलाके में आतंक की धुरी की अपनी नीति में कोई बदलाव नहीं किया है।

    इजरायली अधिकारियों ने चेतावनी भी दी है। अधिकारियों का कहना है कि हमें लगा था कि 12-दिन की लड़ाई के बाद ईरान की नीति बदल जाएगी। हालांकि, अब हम समझते हैं कि कोई बदलाव नहीं हुआ है और इसके बजाय तेहरान दोगुना हो रहा है और हमास, हिजबुल्लाह, वगैरह जैसे प्रॉक्सी में अधिक निवेश कर रहा है।

    वहीं, अधिकारी ने आगे जोर देते हुए कहा कि तेहरान के खिलाफ वॉशिंगटन का मौजूदा प्रेशर कैंपेन काफी नहीं है। उन्होंने कहा कि ईरान के खिलाफ वॉशिंगटन का मैक्सिमम प्रेशर कैंपेन अभी से कहीं ज्यादा मजबूत होना चाहिए। सिर्फ बैन की घोषणा करना एक शुरुआत है, लेकिन यह काफी नहीं है। हमने पिछली ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन को इसे सख्ती से लागू करते देखा, लेकिन हम इस बार ऐसा नहीं देख रहे हैं।

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