बांग्लादेश में सलाफी समूह कर रहे तख्तापलट की तैयारी, कट्टरपंथियों के आगे कमजोर पड़ रही यूनुस सरकार
बांग्लादेश में सलाफी समूह तख्तापलट की साजिश रच रहे हैं, जिससे राजनीतिक अस्थिरता का खतरा बढ़ गया है। कट्टरपंथी विचारधारा के प्रभाव के कारण यूनुस सरकार कमजोर होती जा रही है। यह स्थिति देश के भविष्य के लिए चिंताजनक है।

मोहम्मद यूनुस। (फाइल)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में एक खतरनाक ट्रेंड देखा जा रहा है, जहां ज्यादा से ज्यादा कट्टरवादी इस्लामी संगठन एकजुट होकर देश में इस्लामी तख्तापलट की तैयारी में हैं। 'हिफाजत ए इस्लाम' जैसे तमाम सलाफी संगठन आपस में हाथ मिला रहे हैं ताकि देश में कट्टरपंथी इस्लामी कानून थोपा जा सके। आइएसआइ कट्टरपंथियों के जरिये देश को पूरी तरह कब्जे में लेने की योजना पर अमल कर रही है।
आइएसआइ ने तेजी से बांग्लादेश और पाकिस्तान में मौजूद सलाफी संगठनों के बीच जुड़ाव बढ़ाया। ये देश में इस्लामी तख्तापलट का नेतृत्व कर रहे हैं। इसके पीछे बांग्लादेश में ईरान की तर्ज पर शासन प्रणाली विकसित करना है। तब बांग्लादेश का नेतृत्व एक सुप्रीम लीडर करेगा।
आइएसआइ की निगरानी में आठ हजार से ज्यादा युवाओं को देश में तमाम जगहों पर इस्लामिक रिवोल्यूशनरी आर्मी (आइआरए) का हिस्सा बनाकर प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन्हें आगे चलकर ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कार्प्स (आइआरजीसी) की तरह तैयार किया जाएगा।
यूनुस ने जमात को छूट देकर बर्बादी का द्वार खोला विशेषज्ञों का कहना है कि यूनुस प्रशासन द्वारा जमात पर लागू प्रतिबंध को हटाया जाना घातक साबित हो रहा है। यूनुस स्थितियों को भांप नहीं पाए और जमात को जरूरत से ज्यादा छूट दे दी। जमात पूरी तरह आइएसआइ नियंत्रित इकाई है।
बांग्लादेश पर करीबी नजर रखनेवालों का कहना है कि देश में इस्लामी प्रति-क्रांति हो रही है। अगर बांग्लादेश में पाकिस्तान की दखलंदाजी रोकी नहीं गई, तो भारत के लिए सिरदर्द बहुत जल्द बढ़ सकता है।
धार्मिक नवाचारों के खिलाफ है सलाफी
सलाफी एक मुस्लिम आंदोलन है जिसका उद्देश्य इस्लाम की शुरुआती तीन पीढि़यों (जिन्हें 'सलाफ़' कहा जाता है) के तरीकों को अपनाना है। वे कुरान और पैगंबर की सुन्नत के शाब्दिक अर्थों का पालन करने पर जोर देते हैं और धार्मिक नवाचारों को अस्वीकार करते हैं। यह आंदोलन विभिन्न समूहों में बंटा हुआ है, जिसमें राजनीति से दूर रहनेवाले शुद्धतावादी, राजनीतिक कार्यकर्ता और सशस्त्र संघर्ष के समर्थक जिहादी शामिल हैं।
हसीना ने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट को किया खारिज
बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने देश के इंटरनेशनल कोर्ट ट्रिब्यूनल (आइसीटी) को खारिज किया है, जो 17 नवंबर को उनके मामले में फैसला सुनाने जा रहा है। उन्होंने इसे विरोधियों द्वारा राजनीति से प्रेरित साजिश बताया है। हसीना ने कहा कि बांग्लादेश का तथाकथित आइसीटी न तो अंतरराष्ट्रीय है और न ही ट्रिब्यूनल है। ये केवल न्यायिक मखौल है।
नीदरलैंड्स में आइसीटी के बाहर मानव श्रृंखला यूरोप भर में फैले बांग्लादेश मूल के नागरिकों ने नीदरलैंड्स की राजधानी द हेग में स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आइसीजे) के बाहर मानव श्रृंखला बनाकर बांग्लादेश में हो रहे मानवाधिकार हनन के खिलाफ प्रदर्शन किया और दुनियाभर का ध्यान इस ओर दिलाया। इस प्रदर्शन को शेख हसीना की अवामी लीग की नीदरलैंड्स शाखा ने आयोजित किया था।
(समाचार एजेंसी आइएएनएस के इनपुट के साथ)

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।