1400 हत्याएं और हजारों को टॉर्चर का आरोप, शेख हसीना को सजा या राहत? अदालत का फैसला आज
बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध के मामले में इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल फैसले की तारीख का एलान करेगा। जुलाई 2024 में छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना पर गंभीर आरोप लगे हैं। फैसले से पहले बांग्लादेश में तनाव है, सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। आवामी लीग ने बंद का एलान किया है, वहीं ढाका में हिंसा और गिरफ्तारियां हुई हैं।
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शेख हसीना, बांग्लादेश की पूर्व पीएम। (फाइल फोटो)
डिजिट डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के खिलाफ दर्ज केस के मामले में 13 नवंबर यानी गुरुवार को इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्युल फैसले की तारीख का एलान करेगा। इस केस में शेख हसीना पर मानवाता के खिलाफ अपराध और हत्या जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। पूरा मामला जुलाई 2024 में बांग्लादेश में हुए छात्र आंदोलन से जुड़ा हुआ है।
फैसले की तारीख की घोषणा से पहले बांग्लादेश में तनाव बढ़ गया है। देश में सुरक्षा व्यवस्था को हाई अलर्ट पर रखा गया है। सेना, पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों को देश के अहम स्थानों पर तैनात किया गया है, जिससे किसी भी प्रकार के प्रदर्शन या बवाल को रोका जा सके।
आवामी लीग ने किया लॉकडाउन का एलान
इधर, पूर्व पीएम शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग ने गुरुवार को पूरे देश में सुबह से शाम तक बंद का एलान किया है। वहीं, आवामी लीग ने देश के लोगों से इसमें भाग लेने की अपील की है। बता दें कि बांग्लादेश की मोहम्मद युनूस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने आवामी लीग पर कई प्रकार का प्रतिबंध भी लगाया है। यही कारण है कि पार्टी के नेता सोशल मीडिया पर देश के लोगों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं और ऑनलाइन कैंपेन चला रहे हैं।
ढाका में हिंसा और गिरफ्तारियां
पिछले दो दिनों में ढाका समेत देश के बांग्लादेश के कई हिस्सों में गाड़ियों में आग लगाने और बम फोड़ने जैसी घटनाएं सामने आई है। आवामी लीग के समर्थक जगह-जगह अचानक रैलियां की। इसके बाद पुलिस ने अभियान चलाया और आवामी लीग के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। (समाचार एजेंसी एएनआई के इनपुट के साथ)
1400 लोगों की गई थी जान
जुलाई 2024 में छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह ने शेख हसीना की सरकार को गिरा दिया। 5 अगस्त, 2024 को, पूर्व प्रधानमंत्री भारत भाग गईं। इसके बाद मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई के विरोध प्रदर्शनों के दौरान लगभग 1,400 लोग मारे गए होंगे।

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