नेपाल में अंतिरम पीएम के नाम पर ट्विस्ट, सुशीला कार्की की जगह Gen-Z ने के एम घिसिंग का नाम किया आगे
नेपाल में अंतरिम सरकार के लिए सुशीला कर्की के नामों के बीच अब कुल मान घिसिंग का नाम सामने आया है। प्रदर्शनकारियों ने उन्हें देशभक्त और सबका चहेता बताया है। काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने प्रस्ताव ठुकरा दिया जिसके बाद घिसिंग का नाम मजबूत हुआ। घिसिंग को बिजली संकट का हल निकालने के लिए जाना जाता है। वे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में नया जोश ला सकते हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेपाल में सुशीला कार्की के अंतरिम कयासों के बीच अब एक नया सामने आया है। अब खबर है कि बिजली संकट का हल निकालने वाले इंजीनियर कुल मान घिसिंग को अंतरिम सरकार की कमान सौंपी जा सकती है। प्रदर्शनकारियों ने उन्हें 'देशभक्त और सबका चहेता' बताते हुए चुना है।
जेन जी प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार दोपहर एक संक्षिप्त बयान में बताया कि छह घंटे की वर्चुअल बैठक में काठमांडू के मेयर बलेंद्र ‘बालेन’ शाह और सुप्रीम कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के नामों पर भी विचार हुआ। लेकिन घिसिंग का नाम सामने आना कई लोगों के लिए चौंकाने वाला है।
प्रदर्शनकारियों में मतभेद, बालेन ने ठुकराया प्रस्ताव
एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि, प्रदर्शनकारियों ने पहले काठमांडू के मेयर बालेन शाह को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने का प्रस्ताव दिया था। अपनी रैपर छवि और युवाओं में लोकप्रियता के कारण बालेन ‘जेन जी’ के करीब माने जाते हैं।
उन्होंने सोशल मीडिया पर शांति की अपील भी की थी। लेकिन बालेन ने यह जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों में मतभेद की खबरें भी सामने आई।
इसके बाद पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम सामने आया। लेकिन कुछ प्रदर्शनकारियों ने उनकी उम्र (73 साल) और संविधान का हवाला देते हुए इसका विरोध किया। उनका कहना था कि संविधान पूर्व जजों को प्रधानमंत्री बनने से रोकता है। इस बहस ने कुल मान घिसिंग के नाम को और मजबूती दी है।
बिजली संकट का 'मसीहा' कहे जाते हैं के एम घिसिंग
कुल मान घिसिंग नेपाल में एक जाना-माना नाम हैं। उन्होंने नेपाल विद्युत प्राधिकरण के प्रमुख के रूप में देश के बिजली संकट को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई थी।
उनकी कार्यकुशलता और देशभक्ति ने उन्हें जनता का चहेता बना दिया। प्रदर्शनकारी उन्हें एक ऐसे शख्स के रूप में देखते हैं जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में नया जोश ला सकता है।
घिसिंग का चयन इसलिए भी अहम है क्योंकि वह सियासत के पुराने चेहरों से अलग हैं। उनकी छवि एक तकनीकी विशेषज्ञ और समस्याओं का हल निकालने वाले शख्स की है।
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