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    2015 की तबाही से निकला Gen-Z का हीरो सुदन गुरुंग, पढ़ें क्या है नेपाल के आंदोलन का भूकंप से कनेक्शन

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 10:05 AM (IST)

    नेपाल के प्रधानमंत्री ने जेन जी प्रदर्शन के बाद इस्तीफा दे दिया। यह प्रदर्शन सोशल मीडिया पर लगे बैन के खिलाफ था लेकिन इसकी जड़ें 2015 के भूकंप से जुड़ी हैं। भूकंप के बाद सुदन गुरुंग नामक एक व्यक्ति उभरा जिसने हामी नेपाल नामक एक गैर-सरकारी संगठन बनाया। इस संगठन ने राहत कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गुरुंग जो कभी डीजे थे युवाओं की आवाज बन गए।

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    इस आंदोलन की जड़ें 2015 के भूकंप से जुड़ी हैं।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेपाल के प्रधानमंत्री ने केपी शर्मा ओली प्रदर्शन के बाद इस्तीफा दे दिया। ये प्रदर्शन 4 सितंबर को नेपाल सरकार की ओर से सोशल मीडिया पर लगाए बैन के खिलाफ शुरू हुई थी। लेकिन इस आंदोलन की जड़ें 2015 के भूकंप से जुड़ी हैं। गौरतलब है कि जेन जी प्रदर्शन में सुदन गुरुंग नाम का एक शख्स उभरकर सामने आया।

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    इसी भूकंप ने सुदन को भी गढ़ा जो दस साल बाद Gen Z के सबसे शक्तिशाली शख्सियतों में से एक बन गया। जब साल 2015 में नेपाल ढहते घरों और बिखरी हुई जिंदगियों से जूझ रहा था, तब सुदन गुरुंग ने एक ऐसी भूमिका निभाई जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी। भूकंप ने गुरुंग को बदल दिया था।

    38 वर्षीय गुरुंग ने उस समय कहा था, "एक बच्चा मेरी बाहों में मर गया। मैं उस पल को कभी नहीं भूलूंगा।"

    विनाशकारी भूकंप के कुछ ही क्षण बाद, गुरुंग का पहला विचार ऑनलाइन एक अपील पोस्ट करने का था। लगभग 200 स्वयंसेवक पहुँचे। उन्होंने गांवों में चावल पहुंचाए, स्कूलों के कैंपस में तंबू गाड़े और घायलों को उधार की मोटरसाइकिलों पर पहुंचाया। वह अचानक बना नेटवर्क 'हामी नेपाल' (हम नेपाल हैं) बन गया। 2020 तक, यह 1,600 से ज़्यादा सदस्यों के साथ एक गैर-सरकारी संगठन के रूप में पंजीकृत हो गया।

    उद्यमी से बने युवाओं की आवाज

    गुरुंग कोई पेशेवर राजनेता नहीं हैं। वे हामी नेपाल के अध्यक्ष हैं, जिसने उन्हें एक स्थानीय उद्यमी से एक अशांत पीढ़ी के प्रतीक में बदल दिया है।

    गुरुंग, कभी डीजे और नाइट क्लब ओएमजी के मालिक थे। पिछले कुछ वर्षों में, हामी नेपाल एक जमीनी राहत पहल से बढ़कर सामाजिक जुड़ाव, आपदा प्रतिक्रिया और भूकंप के बाद पुनर्वास के एक व्यापक मंच के रूप में विकसित हुआ है।

    गुरुंग का जीवन 2015 के भूकंप से बदल गया, जिसमें उनके बेटे सहित लगभग 9,000 लोगों की जान गई थी।

    भूकंप के बाद, उन्होंने इंटरनेट मीडिया का उपयोग कर राहत कार्यों के लिए लगभग 200 स्वयंसेवकों को जुटाया। इंटरनेट मीडिया पर बैन से पहले, हामी नेपाल ने तेजी से मोर्चा संभाल लिया था। गुरुंग की टीम ने आठ सितंबर को रैलियों का आह्वान किया।

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